Chhath Puja: गोरखपुर शहर में हर जगह दुकानें, छठ पूजा को लेकर बाजारों में बढ़ी चहल-पहल Gorakhpur News
छठ पर्व मनाने में कोई कोर कसर नहीं छोडऩा चाहता। इसका असर बाजार पर दिख रहा है। नौसढ़ असुरन पादरी बाजार सिंघडिय़ा सूरजकुंड और राजघाट में सड़क किनारे सैकड़ों अस्थायी दुकानें सजी हैं। पिछले वर्ष की तुलना में इस बार 25 फीसद तक इजाफा हुआ है।
गोरखपुर, जेएनएन। लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा को लेकर बाजार में चहल-पहल बढ़ गई है। कई स्थानों पर सड़क किनारे पूजन सामग्री के अस्थाई बाजार सज गए हैं। यहां टोकरी, सूप, डगरी के साथ-साथ क'ची हल्दी, अदरक, सेब, संतरा, सिंघाड़ा, नारियल सहित अन्य फल व पूजन सामग्रियों की बिक्री जोरों पर है। साड़ी और सौंदर्य प्रसाधन की दुकानों पर भी महिलाओं की भीड़ नजर आ रही है। खरीदारों की भीड़ देख कारोबारी भी उत्साहित हैं।
शहर के सभी सड़कों के किनारे लगीं दुकानें
छठ पर्व मनाने में कोई कोर कसर नहीं छोडऩा चाहता। इसका असर बाजार पर दिख रहा है। नौसढ़, असुरन, पादरी बाजार, सिंघडिय़ा, सूरजकुंड और राजघाट में सड़क किनारे सैकड़ों अस्थायी दुकानें सजी हैं। पिछले वर्ष की तुलना में बांस से तैयार टोकरी, सूप, डगरी की कीमतों में 25 फीसद तक इजाफा हुआ है। डगरी में अघ्र्य दिया जाता है और टोकरी में पूजन सामग्री छठ घाट ले जायी जाती है, इसलिए इनकी बिक्री खूब होती है। सूप 150 से 200, डगरी 100 से 150 तथा टोकरी 200 से 250 रुपये तक बिक रही है। बांस से पूजन सामग्री बनाने वाले संतोष कुमार एवं गायत्री देवी का कहना है कि बांस के दाम बढऩे से सामान थोड़े महंगे हुए हैं। चार माह से छठ को लेकर तैयारी कर रहे थे, तब जाकर माल तैयार हो पाया है। बाजार में अमरुद, शरीफा व अनार 80 से 110 रुपये प्रति किलो, ङ्क्षसघाड़ा, सुथनी, शकरकंद 30 से 50 रुपये किलो तथा अन्नानास व नारियल 35 से 50 रुपये प्रति पीस बिक रहे हैं।
गोरखनाथ मंदिर में पूरी हुई छठ पूजा की तैयारी
गोरखनाथ मंदिर परिसर के भीम सरोवर से होने वाली परंपरागत छठ पूजा की तैयारी मंदिर प्रबंधन ने पूरी कर ली है। इसमें कोविड प्रोटोकाल का विशेष ध्यान रखा गया है। इसका प्रारूप शासन-प्रशासन की ओर से जारी गाइडलाइन के मुताबिक बनाया गया है। इसे लेकर मंदिर प्रबंधन की ओर से व्रती महिलाओं के लिए दिशा-निर्देश भी जारी किए गए हैं। मंदिर सचिव द्वारिका तिवारी ने बताया कि व्रती महिलाएं भीम सरोवर से 20 नवंबर को अस्ताचलगामी और 21 नवंबर को उगते सूर्य को अघ्र्य देंगी। मंदिर सचिव ने व्रती महिलाओं से अपील की है कि वह अघ्र्य देने के लिए कम से कम सहयोगियों के साथ आएं, जिससे परिसर में भीड़ कम हो और फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा सके।
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