Indian Railways: सात महत्वपूर्ण ट्रेनें निरस्त, एक सप्ताह तक प्रभावित रहेगा इन रूटों पर ट्रेनों का संचालन
नान इंटरलाकिंग का कार्य के कारण विभिन्न तिथियों में कुछ ट्रेनों का संचालन प्रभावित रहेगा। अमृतसर से दरभंगा जयनगर न्यू जलपाईगुड़ी आदि जगहों पर जाने वाले यात्रियों को एक सप्ताह तक परेशानी का सामना करना पड़ेेेेगा। इस रूट पर 25 जून से 30 जून तक ट्रेनों का संचालन प्रभावित रहेगा।

गोरखपुर, जेएनएन। उत्तर रेलवे के सरहिंद स्टेशन पर नान इंटरलाकिंग का कार्य चल रहा है। इसके चलते विभिन्न तिथियों में कुछ ट्रेनों का संचालन प्रभावित रहेगा। अमृतसर से दरभंगा, जयनगर, न्यू जलपाईगुड़ी आदि जगहों पर जाने वाले यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ेेेेगा। मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह के अनुसार दर्जन भर स्पेशल ट्रेनें निरस्त रहेंगी।
निरस्त होने वाली कुछ ट्रेनें
26, 28 एवं 30 जून को चलने वाली 05212 अमृतसर-दरभंगा।
26 एवं 28 जून को चलने वाली 05211 दरभंगा-अमृतसर।
27 एवं 29 जून को चलने वाली 04674 अमृतसर-जयनगर स्पेशल।
26 एवं 28 जून को चलने वाली 04673 जयनगर-अमृतसर स्पेशल।
25 जून को चलने वाली 04653 न्यू जलपाईगुड़ी-अमृतसर स्पेशल।
30 जून को चलने वाली 04654 न्यू जलपाईगुड़ी-अमृतसर स्पेशल।
29 जून को चलने वाली 05098 जम्मूतवी- भागलपुर स्पेशल एक्सप्रेस।
रेल पटरियां अब नहीं होंगी गंदी
अब रेल की पटरियों (रेल लाइन) पर टायलेट की गंदगी नहीं गिरेगी। प्लेटफार्म भी पूरी तरह साफ-सुथरे रहेंगे। स्वच्छ रेल- स्वच्छ भारत अभियान के तहत पूर्वोत्तर रेलवे की ट्रेनों में लगने वाले कुल 3355 कोचों में बायोटायलेट लगा दिए गए हैं। अब सिर्फ लखनऊ से दिल्ली के बीच चलने वाली डबल डेकर ट्रेन के 14 और 23 हाइब्रिड कोच में लगने शेष रह गए हैं। गोरखपुर स्थित यांत्रिक कारखाने में डबल डेकर के 5 कोचों में बायोटायलेट लग गए हैं। बाकी नौ में भी जल्द ही लग जाएंगे। यानी, अब डबल डेकर ट्रेन भी बायोटायलेट कोच के साथ ही चलाई जाएगी। यही नहीं हमसफर के एक रेक में लगे हवाई जहाज वाले बायोटायलेट लगाने की तैयारी की जा रही है।
ऐसे काम करता है बायोटायलेट
दरअसल, सामान्य टायलेट की तरह बायोटायलेट की गंदगी नीचे नहीं गिरती है। बल्कि पानी में घुलकर कुछ बह जाती है, कुछ गैस बनकर हवा में उड़ जाती है। इस प्रक्रिया के लिए बायोटायलेट के टैंक में बैक्टीरिया छोड़े जाते हैं। अभी तक ट्रेनों के कोचों में सामान्य टायलेट ही लगते थे। इसके चलते टायलेट की पूरी गंदगी रेल लाइनों पर ही गिरती थी। गंदगी के चलते प्लेटफार्मों पर खड़ा होना मुश्किल हो जाता था। अब पटरियों पर कहीं भी गंदगी नहीं दिखती है।
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