UPPCL: बिजली कटौती की शिकायत नजरअंदाज करने पर अधीक्षण अभियंता निलंबित, ऑडियो हुआ था वायरल
बस्ती में बिजली कटौती की शिकायत पर उपभोक्ता से अमर्यादित व्यवहार करने वाले अधीक्षण अभियंता प्रशांत सिंह को निलंबित कर दिया गया है। सेवानिवृत्त अफसर की शिकायत को ऊर्जा मंत्री तक पहुंचाने के बाद यह कार्रवाई हुई। अभियंता ने शिकायतकर्ता को टोल फ्री नंबर पर फोन करने की सलाह दी थी और अपनी पहुँच का बखान किया था।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। बस्ती जिले में बिजली कटौती की शिकायत को नजरअंदाज कर उपभोक्ता को टोल फ्री नंबर पर फोन करने की सलाह देते हुए अमर्यादित आचरण करने वाले अधीक्षण अभियंता (एसई) प्रशांत सिंह को शनिवार देर रात निलंबित कर दिया गया।
एसई को फोन करने वाले सेवानिवृत्त अफसर ने आडियो को एक पूर्व सांसद के माध्यम से ऊर्जा मंत्री तक पहुंचाया था। अधीक्षण अभियंता के जवाबों से नाराज ऊर्जा मंत्री ने आडियो को एक्स पर पोस्ट करते हुए बिजली निगम के अधिकारियों को जनता के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझने तथा उचित भाषा में संवाद कर समस्या का निराकरण करने की पुन: चेतावनी दी। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक शंभू कुमार ने इसका संज्ञान लेते हुए निलंबन आदेश जारी किया। एसई को वाराणसी मुख्यालय से संबध्द किया गया है।
अधीक्षण अभियंता के पास फोन करने वाले भरत पांडेय ने खुद को मूढ़घाट, बस्ती का बताया। उन्होंने बताया कि वह सेवानिवृत्त अपर आयुक्त हैं और मथुरा में एडीएम रह चुके हैं। मोहल्ले में सुबह आठ बजे से रात दस बजे तक बिजली नहीं है।
इस पर अभियंता ने उन्हें टोल फ्री नंबर 1912 पर फोन करने की सलाह देते हुए कहा कि आपने मुझे फालतू में फोन मिलाया। मोहल्ला नहीं पूरे उत्तर प्रदेश में बिजली न आ रही हो तो टोल फ्री नंबर पर ही फोन करना होगा।
फोन करने वाले सेवानिवृत्त अधिकारी ने अधीक्षण अभियंता को जनशिकायतें सुनने की जिम्मेदारी का बोध कराया तो अभियंता ने पूर्व सांसद और प्रदेश के कई वरिष्ठ अधिकारियों से अपने रिश्ते गिना डाले। बातचीत समाप्त होने तक अधीक्षण अभियंता टोल फ्री नंबर पर ही फोन करने की सलाह देते रहे।
ऊर्जा मंत्री ने इस बातचीत का आडियो एक्स पर पोस्ट करते हुए एक बार फिर बिजली निगम के अधिकारियों को चेतावनी दी। लिखा कि तीन दिन पहले भी मैंने यूपीपीसीएल के चेयरमैन और एमडी से कहा था कि 1912 की टोल फ्री व्यवस्था या अन्य टेक्नोलॉजी आधारित व्यवस्था, मानवीय व्यवस्था की पूरक हो सकती है; विकल्प नहीं। अधिकारी फ़ोन उठाना बंद कर दिए हैं। मेरे कहने के बावजूद अधिकारी नहीं सुन रहे हैं। अधिकारी जनता की समस्याओं को गंभीरता से सुनें अन्यथा परिणाम भयंकर होंगे।
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