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    Railway News: घोटालेबाजों ने विजिलेंस कर्मियों का भी बदल डाला पेंशन अंशदान, इस खेल में दो ID का हुआ है इस्तेमाल

    By Jagran NewsEdited By: Pragati Chand
    Updated: Sat, 28 Oct 2023 12:45 PM (IST)

    रेलकर्मियों का पेंशन अंशदान बदलने में दो आइडी का प्रयोग हुआ है। मामले को लेकर रेलकर्मी अब रेलवे प्रशासन से प्राथमिकी की अनुमति मांग रहे हैं। घोटालेबाजों ने कर्मचारियों का पेंशन अंशदान सरकार के अधीन बैंकों की जगह प्राइवेंट बैंकों में बदलने का खेल कई विभागों में खेला है। अब प्राइवेट बैंकों का लगातार शेयर गिर रहा है जिससे घट रही जमा पूंजी ने रेल कर्मचारियों की चिंता बढ़ा दी है।

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    घोटालेबाजों ने विजिलेंस कर्मियों का भी बदल डाला पेंशन अंशदान। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। घोटालेबाजों द्वारा कमीशन के रूप में लाखों कमाने के चक्कर में कर्मचारियों का पेंशन अंशदान सरकार के अधीन बैंकों एसबीआइ, यूटीआइ और एलआइसी की जगह प्राइवेंट बैंकों में बदलने का मामला भले ही यांत्रिक कारखाना में खुला, पर अब यह परिचालन विभाग होते हुए सतर्कता संगठन (विजिलेंस) तक पहुंच गया है।

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    घोटालेबाजों ने भ्रष्टाचार मामलों को वाच (निगरानी) करने वाले रेलकर्मियों (वाचर) को भी नहीं बख्शा है। यांत्रिक कारखाना में रेलकर्मियों के पेंशन अंशदान बदलने की जांच करने वाले सतर्कता संगठन में तैनात वाचरों के अंशदान में भी गड़बड़झाला कर दिया है। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पेंशन का अंशदान भी बिना सहमति के सरकारी से प्राइवेट बैंकों में बदल दिया है। पेंशन घोटाला का खेल पूर्वोत्तर रेलवे के कारखानों, विभागों और कारखानों में वर्षों से चल रहा है।

    पूर्वोत्तर रेलवे के ही करीब 20 हजार कर्मचारियों का पेंशन असुरक्षित हाथों में है। यांत्रिक कारखाना के कर्मचारियों का कहना है कि नई पेंशन योजना में बिना कर्मचारी की सहमति से पेंशन का अंशदान बदलना साइबर क्राइम के अंतर्गत आता है। रेलकर्मी रेलवे प्रशासन से साइबर क्राइम में प्राथमिकी दर्ज कराने की अनुमति मांग रहे हैं।

    कर्मचारियों का कहना है कि यांत्रिक कारखाना के करीब तीन हजार कर्मचारियों का पेंशन अंशदान बदलने में दो आइडी का प्रयोग किया गया है। वे कारखाना प्रशासन से दोनों आइडी को संचालित करने वालों की जानकारी मांग रहे हैं। वह जानना चाह रहे हैं कि दोनों आइडी किन अधिकारियों की है और किसने इसका उपयोग किया है। कुछ रेलकर्मियों की नियुक्ति पत्र में निवेश विकल्प मिटाने के मामले भी प्रकाश में आ रहे हैं।

    आरोप है कि कार्मिक और लेखा विभाग के कर्मचारियों ने नियुक्ति पत्र से निवेश विकल्प को मिटाकर अपने मन से प्राइवेट बैंकों का विकल्प भर दिया है। रेलकर्मी प्राइवेट बैंकों के लगातार गिर रहे घाटे को लेकर भी परेशान हैं। पेंशन में कम हो रही जमा पूंजी ने उनकी चिंता बढ़ा दी है। कर्मचारियों का कहना है कि जमा पूंजी में घाटे की भरपाई कौन करेगा। इसपर न रेलवे प्रशासन कुछ बोल रहा और न कारखाना प्रबंधन आश्वासन दे रहा।

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    एनई रेलवे मजदूर यूनियन के महामंत्री केएल गुप्ता महाप्रबंधक के समक्ष नई पेंशन में कटौती की धनराशि बिना कर्मचारियों की सहमति लिए निर्धारित बैंक से अलग दूसरे बैंक/ पेंशन फंड में भेजने का मुद्दा उठा चुके हैं। वह इस मामले की जांच सीबीआइ से कराने के साथ कटौती की धनराशि दिलाने सहित दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

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    हालांकि, पूर्वोत्तर रेलवे के महाप्रबंधक चन्द्र वीर रमण के निर्देश पर मुख्य कारखाना प्रबंधक ने वरिष्ठ कार्मिक अधिकारी गोपाल प्रसाद गौतम और वरिष्ठ लेखाधिकारी संजय मिश्रा को हटा दिया है। इनके अलावा कुछ कर्मचारियों पर भी कार्रवाई की गाज गिरी है। फिलहाल, विजिलेंस की जांच चल रही है। शुक्रवार को भी विजिलेंस टीम ने कारखाना स्थित कार्मिक और लेखा विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों से पूछताछ की। इस प्रकरण में अभी कई अधिकारी और कर्मचारी नप सकते हैं।