नई शक्ल में आटोमोबाइल सेक्टर संग आर्थिकी को गति-शक्ति दे रहे मालगाड़ी के पुराने कोच
पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह ने बताया कि तीव्र निर्बाध विश्वसनीय एवं सुरक्षित परिवहन सुविधा उपलब्ध कराना रेलवे की प्राथम ...और पढ़ें

प्रेम नारायण द्विवेदी, गोरखपुर : मालगाड़ी के पुराने और खराब घोषित कर दिए कोच के दोबारा प्रयोग में आने से न केवल रेलवे की आमदनी बढ़ी है, बल्कि देश के आटोमोबाइल सेक्टर को भी सहूलियत मिली है। पूर्वोत्तर रेलवे के इंजीनियरों का यह अनूठा प्रयास भारतीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान कर रहा है। गोरखपुर व इज्जतनगर स्थित यांत्रिक कारखानों में बने न्यू माडिफाइड गुड्स वैगन (एनएमजी) से देश ही नहीं विदेश (नेपाल और बांग्लादेश) तक कम खर्चे में आटोमोबाइल्स (मोटर साइकिल, कार, ट्रैक्टर, वैन और आटो आदि) को आसानी से पहुंचाया जा रहा है। इसके पहले फैक्ट्रियों से निकलने वाले दोपहिया-चार पहिया वाहनों को कंटेनर और ट्रेलर के जरिये सड़क मार्ग से देश के कोने-कोने में भेजा जाता था। एनएमजी कोच तैयार होने के बाद अब इन गाड़ियों को कम खर्च में पहुंचा दिया जा रहा है। पूर्वोत्तर रेलवे में 762 एनएमजी से मालगाड़ी की 30 रेक तैयार हुई हैं। वर्ष 2021-22 में अप्रैल से सितंबर तक 77 रेक से आटोमोबाइल्स की ढुलाई हुई थी, जिससे रेलवे को करीब 11 करोड़ रुपये की आमदनी हुई थी। वर्ष 2022-23 में अप्रैल से सितंबर तक 111 रेक से ढुलाई हुई है जिससे आमदनी छह करोड़ रुपये बढ़ गई है।

100 और एनएमजी बनाने का लक्ष्य
रेल मंत्रालय ने पूर्वोत्तर रेलवे को हाईस्पीड वाले 100 और एनएमजी बनाने का लक्ष्य दिया है, जिसमें गोरखपुर में 60 और इज्जतनगर में 40 वैगन बनाए जाएंगे। दिसंबर से वैगन बनने शुरू हो जाएंगे। इन वैगनों के तैयार हो जाने से आटोमोबाइल्स और पैक्ड फूड ढोने वालीं मालगाड़ियां भी एक्सप्रेस की रफ्तार से चलने लगेंगी। बता दें कि गोरखपुर और इज्जतनगर स्थित कारखानों में कोचों की मरम्मत के अलावा न्यू माडिफाइड गुड्स वैगन भी तैयार किए जाते हैं। कारखानों के इंजीनियर और रेलकर्मी कम खर्चे में अधिकतम 20 वर्ष की आयु पूरी कर चुकी परंपरागत कोचों को परिवर्तित कर न्यू माडिफाइड गुड्स वैगन बनाते हैं।
अब हाईस्पीड एनएमजी बनाने की तैयारी
पुराने कोच को आटोमोबाइल क्षेत्र के लिए नया रूप देने के इस प्रयोग की सफलता से उत्साहित होकर रेल मंत्रालय ने जनरल एनएमजी के बाद अब हाईस्पीड एनएमजी-एचएस बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। इस विशेष रेक से आटोमोबाइल्स के साथ डिब्बबांद खाद्यपदार्थ की ढुलाई और भी सुविधाजनक हो जाएगी। नए वैगन की अधिकतम गति 110 किमी प्रति घंटे होगी। इन वैगनों में दोनों साइड दरवाजे होंगे, जिससे प्लेटफार्मों से भी आटोमोबाइल्स और पैक्ड फूड की लदान और उतरान हो सकेगी। कुछ वैगन बन भी चुके हैं। जनरल एनएमजी में पिछले हिस्से में ही दरवाजे होते हैं।
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एक एनएमजी बनने में 22 लाख की होती है बचत
एक एनएमजी वैगन के निर्माण में लगभग छह लाख रुपये की लागत आती है। नया वैगन बनाने में रेलवे को करीब 30 लाख रुपये खर्च करने पड़ते हैं। अगर एक पुराने कोच को कबाड़ में बेचते हैं तो लोहे के भाव से लगभग दो लाख रुपये ही मिलते हैं। ऐसे में रेलवे एक पुराने कोच को न्यू माडिफाइड गुड्स वैगन के रूप में तैयार कर 22 लाख रुपये की बचत कर रहा है। सिर्फ गोरखपुर स्थित रेल कारखाने के इंजीनियर व कर्मचारी एनएमजी बनाकर 16 करोड़ की बचत कर चुके हैं।
पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह ने बताया कि तीव्र, निर्बाध, विश्वसनीय एवं सुरक्षित परिवहन सुविधा उपलब्ध कराना रेलवे की प्राथमिकता है। इसी क्रम में आटोमोबाइल्स परिवहन को आसान बनाने के लिए एनएमजी वैगन बनाए जा रहे हैं, जिनका उपयोग अब डिब्बाबंद खाद्य सामग्री के परिवहन के लिए भी आरंभ हो गया है। आटोमोबाइल्स के अलावा इज्जतनगर के हल्दी रोड स्टेशन से कोलकाता के लिए 25 वैगन मैगी की लदान हुई है। पूर्वोत्तर रेलवे को और 100 एनएमजी वैगन बनाने हैं। नए एनएमजी वैगनों की गति सीमा 110 किमी प्रति घंटा होगी, जिससे आटोमोबाइल का परिवहन तेज गति से हो सकेगा।

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