गर्मी में ठंडा हो रहा 'लोहा', पीक समय में घट रहा सरिया का दाम; अब सस्ते में पूरा होगा घर बनाने का सपना
अप्रैल मई जून लोहे के बाजार के मद्देनजर पीक समय होता है। बावजूद इसके सरिया का दाम लगातार घट रहा है। पिछले साल जहां सरिया के दाम 80 रुपये प्रति किलो थे वहीं इस बार 58 से 60 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक रहे हैं।

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। लोहे से जुड़े कारोबारियों के बीच कहावत प्रचलित है कि ‘जितनी गर्मी पड़ती है, लोहा उतना गर्म होता है’। यह कहावत पिछले साल तक बिल्कुल सटीक बैठ रही थी, लेकिन इस बार स्थितियां बदली नजर आ रही हैं। गर्मी तो बढ़ रही, लेकिन लोहा ठंडा हो रहा है। यानी लोहे के दाम कम हो रहे हैं।
58 से 60 रुपये प्रति किलो हो गई कीमत
उद्यमी एवं व्यापारी इसे वैश्चिक बाजार की मंदी से जोड़कर देख रहे हैं। उनका कहना है कि अन्य देशों में मांग कम होने से जो माल निर्यात होता था, उसे भी बड़ी कंपनियां घरेलू बाजार में ला रही हैं। परिणाम यह है कि आपूर्ति बढ़ गई है और माल खपाना सभी के लिए चुनौती बन चुका है। अप्रैल, मई, जून लोहे के बाजार की दृष्टि से पीक समय होता है। पिछले साल इस समय सरिया की कीमत 80 रुपये प्रति किलो थी, लेकिन इस समय 58 से 60 रुपये प्रति किलो है। संभावना जताई जा रही है कि इसमें और कमी आ सकती है।
पीतल, तांबा आदि पर भी वैश्चिक बाजार का असर
यही असर लोहे के वायर राड एवं अन्य उत्पाद पर भी है। पीतल, तांबा आदि पर भी इसका असर है। गोरखपुर से बाहर भेजे जाने वाले अन्य उत्पाद की मांग भी दूसरे देशों में घटी है। दाम कम होने से निर्माण कराने वाले लोगों को तो फायदा हो रहा है, लेकिन उत्पादकों एवं व्यापारियों को समस्या हो रही है। दाम जब गिरने लगता है तो व्यापारी उत्पादक से माल लेने में भी कतराता है। उन्हें उम्मीद होती है कि अगले दिन कीमत में और भी कमी आ सकती है।
क्या कहते हैं व्यापारी
अंकुर स्टील के निदेशक निखिल जालान बताते हैं कि पिछले साल की तुलना में इस बार सरिया की कीमत काफी कम है। मांग अभी भी है लेकिन आपूर्ति अधिक होने से कीमत नहीं बढ़ी। कुल मिलाकर बाजार की स्थिति उत्साहजनक नहीं कही जा सकती। चैंबर आफ इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष आरएन सिंह का कहना है कि वायर राड की कीमत भी पिछले साल की तुलना में इस बार काफी कम है।
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