गोरखपुर वासियों के लिए बेगाने नहीं रहेंगे क्रांतिकारी शचींद्रनाथ, सहेजी जाएंगी सान्याल की शहर से जुड़ी यादें
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर तीन करोड़ रुपये खर्च कर क्रांतिकारी सचींद्र नाथ सान्याल का घर पर्यटन केंद्र बनेगा। इसके लिए शासन को प्रस्ताव तैयार कर भेज दिया गया है। प्रस्ताव के मुताबिक घर में म्यूजियम व लाइब्रेरी बनाया जाएगा।

गोरखपुर, डॉ. राकेश राय। आजादी के आंदोलन में काकोरी ट्रेन लूट व बनारस षडयंत्र की योजना बनाने वाले सरदार भगत सिंह के गुरू सचींद्रनाथ सान्याल अब गोरखपुर के लोगों के लिए बेगाने नहीं रहेंगे। गोरखपुर से जुड़ी उनकी सभी यादें सहेजी जाएंगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर पर्यटन विभाग ने न केवल इसकी योजना बना ली है बल्कि इसे लेकर कार्यवाही भी शुरू कर दी है। सान्याल के घर को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए विभाग ने करीब तीन करोड़ का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेज दिया है। प्रस्ताव स्वीकृत होते ही कार्ययोजना धरातल पर दिखने लगेगी।
सान्याल के आवास का बनेगा भव्य प्रवेश द्वार
प्रस्ताव के मुताबिक कैंट थाने के बगल की गली में मौजूद सचींद्र सान्याल के आवास का भव्य प्रवेश द्वार बनाया जाएगा। घर के सामने उनकी प्रतिमा स्थापित की जाएगी। घर को लाइब्रेरी व वाचनालय और म्यूजियम के रूप में विकसित किया जाएगा। लाइब्रेरी में स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी किताबें रखी जाएंगी तो वाचनालय में उन्हें पढ़ने की व्यवस्था भी की जाएगी। वहां पहुंचने वाले पर्यटकों की सुविधा के लिए यात्री शेड, टायलेट ब्लाक व पेयजल पोस्ट बनाने की योजना भी प्रस्ताव में शामिल है। आवास परिसर को सजाया-संवारा जाएगा।
बंगाली समिति ने उठाई थी आवाज
स्वतंत्रता संग्राम में अभूतपूर्व योगदान देने वाले सचींद्र सान्याल की शहर से जुड़ी यादों को सहेजने की आवाज दो वर्ष पहले बंगाली समिति ने उठाई थी। समिति के पूर्व अध्यक्ष अमरनाथ चटर्जी का कहना था कि सचींद्र की स्मृति में किसी चौराहे व सड़क का नाम होना चाहिए। उनकी एक मूर्ति भी स्थापित होनी चाहिए।
गोरखपुर में ही पढ़े सचींद्र के बेटे-बेटी, यहीं ली अंतिम सांस
सचींद्र सान्याल का ज्यादातर जीवन जेल में ही बीता, इसलिए उनके बेटे रंजीत और बेटी अंजलि की पढ़ाई की जिम्मेदारी उनके भाई रवींद्र नाथ सान्याल ने उठा रखी थी। चूंकि रवींद्र सेंट एंड्रयूज कालेज में शिक्षक थे, इसलिए उनके साथ रहकर सचींद्र के बेटे व बेटी गोरखपुर मेंं ही पढ़े। तीन जून 1893 को वाराणसी में जन्मे सान्याल को 50 वर्ष की उम्र में टीबी हो गई थी। डाक्टरों की सलाह पर वह अपने भाई के पास गोरखपुर आ गए, जहां सात फरवरी 1942 में उन्होंने दाउदपुर स्थित अपने आवास में आखिरी सांसें लीं। रवींद्र व सचींद्र के परिवार का फिलहाल कोई भी गोरखपुर में नहीं रहता। उनकी कुछ संपत्ति 1998 को भारत सेवाश्रम को दान में दे दी गई। जहां आज की तारीख मेंं स्वामी प्रणवानंद आश्रम है।
क्या कहते हैं अधिकारी
गोरखपुर के क्षेत्रीय पर्यटक अधिकारी रवींद्र कुमार मिश्र ने कहा कि यह गोरखपुर ही नहीं समूचे पूर्वांचल के लिए गर्व की बात है कि सचींद्रनाथ सान्याल जैसे महान क्रांतिकारी का यहां से गहरा नाता है। इसे ध्यान में रखकर ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर उनके आवास को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना बनाई गई है। प्रस्ताव स्वीकृत होते ही योजना का भौतिक क्रियान्वयन शुरू हो जाएगा।
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