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    गोरखपुर में दत्तात्रेय होसबाले ने समाज को साजिश से चेताया, बोले- आस्था बन रही माध्यम

    Updated: Thu, 18 Dec 2025 12:00 PM (IST)

    गोरखपुर में, आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने समाज को साजिश का शिकार होने के प्रति आगाह किया। उन्होंने कहा कि आस्था को एक माध्यम बनाया जा रह ...और पढ़ें

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    प्रमुख जन गोष्ठी को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले : जागरण

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले का मानना है कि संपूर्ण समाज एक साजिश का शिकार हो गया और इसका माध्यम धर्म और आस्था को बनाया जा रहा है। विश्व में कई देशों में हुई दुर्घटनाएं इसका उदाहरण हैं। इसे लेकर अपने विचार वह संघ के शताब्दी वर्ष के अंतर्गत चल रहे कार्यक्रमों की श्रृंखला में बुधवार को गोरखपुर क्लब में 'संघ की 100 वर्ष की यात्रा एवं भविष्य की दिशा' विषय पर आयोजित प्रमुख जन गोष्ठी में रख रहे थे। अपने इस विचार की पुष्टि के लिए उन्होंने आस्ट्रेलिया के सिडनी में यहूदी पर्व पर हुए हमले का जिक्र किया।

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    इस क्रम में जर्मनी में हाल के वर्षों में हुई सांप्रदायिक घटनाओं की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि वहां के लोगों ने अपनी अगली पीढ़ी को इन घटनाओं की जानकारी देने के लिए होलोकास्ट म्यूजियम बनवाया है।

    उन्होंने कहा कि घटनाओं की संख्या अधिक होने से किसी एक घटना का महत्व कम नहीं हो जाता। इस पर हमें ध्यान देना होगा। इसी को ध्यान रखते हुए भारत सरकार ने 14 अगस्त को 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' मनाने का निर्णय लिया है।

    सरकार्यवाह ने धर्म रक्षा के लिए गुरु तेग बहादुर और उनके शिष्यों के बलिदान का स्मरण किया। उन्होंने कहा कि गुरु महाराज के साहिबजादों को निर्दयतापूर्वक दीवारों में चुनवा दिया गया, पर उन्होंने धर्म नहीं छोड़ा।

    संघ की स्थापना की परिस्थितियों की चर्चा करते हुए सरकार्यवाह ने कहा कि डा. हेडगेवार ने देश की स्वाधीनता के लिए लंबी लड़ाई लड़ी। इस दौरान उनके मन में एक प्रश्न उठा कि अंग्रेज चले जाएंगे, पर क्या केवल उनका जाना ही वास्तविक स्वतंत्रता होगी? इसी प्रश्न के उत्तर के लिए उन्होंने संघ की स्थापना की।

    उन्होंने कहा कि भारत के महापुरुषों ने अपने जीवन मूल्यों की रक्षा के लिए बलिदान दिए। क्या भारत उन्हें याद रख पाएगा? इसी चिंता और भारत के ज्ञान व मूल्यों से विश्व को परिचित कराने के लिए संघ कार्य कर रहा है। भारत ने दुनिया को 64 कलाएं, व्याकरण, संगीत के सप्त स्वर और वैज्ञानिक दृष्टिकोण दिया। परंतु, संपन्न होने के बाद भी समाज आपस में लड़ने लगा।

    स्वाधीनता के बाद देश को एकता के सूत्र पिरोने का जो सपना उस समय स्वतंत्रता सेनानियों ने देखा था, उसे पूर्ण करने के लिए डा. हेडगेवार ने संघ की स्थापना की। कार्यक्रम का संचालन विभाग कार्यवाह संजय व आभार ज्ञापन अरुण मल्ल ने किया। संगोष्ठी में सिंधी समाज के चोइथा राम पाहूजा का अध्यक्षीय संबोधन भी हुआ। इस दौरान क्षेत्र प्रचारक अनिल, प्रांत प्रचारक रमेश, सह प्रांत प्रचारक सुरजीत, हरे कृष्ण सिंह, संकर्षण, ईश्वर शरण विश्वकर्मा, सुशील, विभाग प्रचारक अजय नारायण आदि मौजूद रहे।

    यह भी पढ़ें- हिंदू सम्मेलन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह ने किया लोगों का आह्वान, बोले- हिंदू समाज जगेगा तो विश्व को दिशा देगा


    संघ किसी को विरोधी नहीं मानता
    सरकार्यवाह ने कहा कि संगठन का कार्य निरंतर चलना चाहिए, इसीलिए संघ में 'शाखा' की पद्धति विकसित की गई। जाति, भाषा, पंथ और ऊंच-नीच के भेदभाव के रहते संगठन संभव नहीं है, इसलिए 'एक राष्ट्र-एक भाव' का होना अनिवार्य है। संघ समाज में परिवर्तन लाने के लिए एक जीवंत संगठन है। समाज का मुख्य मार्ग 'धर्म' है, जिसका अर्थ है - मनुष्य हित, राष्ट्र हित और प्रकृति हित। संघ किसी को विरोधी नहीं मानता, बल्कि सबको साथ लेकर चलने वाला संगठन है। इसी क्रम में उन्होंने पंच परिवर्तन से जुड़ने का आह्वान किया।