यात्रियों का दुर्घटना बीमा भी करता है रोडवेज, टिकट पर किराये के साथ लेता है मामूली रकम; ऐसे मिलता है लाभ
Passenger Relief and Security Scheme रोजवेज द्वारा यात्रियों को दी जाने वाली सुविधाओं की जानकारी सभी लोगों को शायद न हो। ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं कि रोडवेज आपको सुगम यात्रा कराने के लिए प्रयासरत तो रहती ही है दुर्घटना होने पर बीमा का लाभ भी दिलाती है। आइए जानते हैं दुर्घटना होने पर बीमा का लाभ कैसे मिलता है।

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। परिवहन निगम (रोडवेज) यात्रियों को सिर्फ सुरक्षित गंतव्य तक ही नहीं पहुंचाता, बल्कि उनका दुर्घटना बीमा भी करता है। दुर्घटना बीमा के नाम पर प्रत्येक टिकट पर किराया के साथ न्यूनतम 50 पैसा से लेकर अधिकतम 2.50 रुपये तक लेता है। दुर्घटना होने पर नजदीक वाले डिपो पर तैनात अधिकारी मौके पर पहुंचकर तत्काल सहायता राशि उपलब्ध कराते हैं।
यात्री राहत एवं सुरक्षा योजना से मिल रही सहूलियत
सरकार यात्रियों को सहूलियत प्रदान करने के उद्देश्य से यात्री राहत एवं सुरक्षा योजना तैयार की है। योजना में किसी भी तरह के टिकट पर यात्रा करने वाले लोग शामिल हैं। काउंटर या आनलाइन टिकट, मासिक सीजन टिकट, स्मार्ट कार्ड और फैमिली पास पर यात्रा करने वाले लोग भी लाभ पा सकते हैं। योजना में चालक व परिचालक भी शामिल हैं।
अनुबंधित बसें भी योजना में शामिल
गोरखपुर डिपो के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक महेश चन्द्र बताते हैं कि यात्री राहत एवं सुरक्षा योजना में अनुबंधित बसें भी शामिल हैं। बस दुर्घटनाओं पर अंकुश लगा है, लेकिन यदि दुर्घटना हो जाती है तो नजदीक वाले डिपो के एआरएम मौके पर पहुंच प्रभावित यात्रियों को तत्काल सहायता उपलब्ध कराते हैं।
ऐसे मिलता है यात्री राहत एवं सुरक्षा योजना का लाभ
10 हजार तत्काल सामान्य घायल को
25 हजार तत्कार गंभीर रूप से घायल को
7.50 लाख औपचारिकताओं के बाद
7.50 लाख मृत्यु होने पर वयस्क को
3:75 लाख मृत्यु होने पर आधा टिकट पर
अब संविदा पर तैनात होंगे एआरएम
परिवहन निगम (रोडवेज) में अब संविदा पर सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक (एआरएम) तैनात होंगे। मास्टर आफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (एमबीए) उपाधि धारक युवाओं को अवसर मिलेगा। दो दिन पहले एमडी की वीडियो कान्फ्रेंसिंग में मामला प्रकाश में आने के बाद परिवहन निगम ने अधिकारियों की कमी को आउटसोर्स से पूरा करने के लिए तैयारी शुरू कर दी है। प्रदेश भर में 50 से 60 एआरएम तैनात किए जा सकते हैं।
परिवहन निगम संविदा पर तैनात एआरएम को महीने में लगभग 50 हजार रुपये देने की योजना बना रहा है। जल्द ही मुख्यालय लखनऊ से विज्ञापन भी निकल सकता है। परीक्षा, साक्षात्कार और मेडिकल के बाद भी एआरएम की तैनाती की जाएगी। दरअसल, परिवहन निगम में कर्मचारियों की ही नहीं अधिकारियों का भी टोटा है। अधिकारियों की कमी से भी कार्य प्रभावित होने लगे हैं। सुपरवाइजर स्तर के रोडवेजकर्मियों को एमआरएम की जिम्मेदारी सौंपी जा रही है।
गोरखपुर डिपो को ही कई साल बाद एमआरएम मिला है। अधिकारियों की सीधी भर्ती नहीं होने से मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं। डिपो कार्यालय में एक तो चालक और परिचालक नहीं है, जो तैनात हैं उनकी समुचित निगरानी नहीं हो पा रही। जानकारों का कहना है कि रोडवेज भी धीरे-धीरे रेलवे के पदचिन्हों पर चलना शुरू कर दिया है। चालकों और और परिचालकों के बाद संविदा पर अधिकारियों की तैनाती निजीकरण की तरफ इशारा कर रहा है। यही स्थिति रही तो परिवहन निगम भी निजी हाथों से संचालित होने लगेगा।
गोरखपुर में ही है 296 परिचालकों का टोटा
गोरखपुर डिपो में 101 और राप्तीनगर डिपो में 196 सहित गोरखपुर में ही कुल 296 परिचालकों की कमी है। परिक्षेत्र में करीब 400 परिचालकों की कमी चल रही है। इसके चलते सभी बसें संचालित नहीं हो पा रहीं। लगभग 100 बसें खड़ी रह जाती हैं।
अब अनुबंधित बसों के मालिक भी रख सकेंगे कंडक्टर
रोडवेज से अनुबंधित बसों के मालिक चालक के साथ परिचालक भी रख सकेंगे। एमडी की वीडियो कान्फ्रेंसिंग में परिचालकों की कमी का मुद्दा भी जोरशोर से उठा। क्षेत्रीय प्रबंधकों ने बताया कि परिचालकों की कमी से बसें खड़ी हो जा रहीं हैं। निगम की आय प्रभावित होने के साथ लोगों की परेशानी भी बढ़ गई है। एमडी ने कहा कि बस मालिक जब चालक रख सकते हैं तो संविदा पर परिचालक क्यों नहीं। एमडी की पहल पर परिवहन ने इसकी योजना भी बनानी शुरू कर दी है। जल्द ही इसका खाका भी तैयार कर लिया जाएगा। अनुबंधित बस मालिक चालकों की तैनाती खुद करते हैं। परिचालक निगम का होता है।
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