राजनीतिक हलचल: पिछले चुनाव में जिसके खिलाफ लड़े, अब बने उनकी ही जीत के खेवनहार
गोरखपुर-बस्ती मंडल की नौ लोकसभा सीटों में से चार पर यह स्थिति देखी जा सकती है। कुशीनगर में आरपीएन सिंह बस्ती में राजकिशोर सिंह डुमरियागंज में चंद्रेश उपाध्याय ने पाला बदल लिया है और वे भाजपा के लिए वोट मांगते नजर आ रहे हैं। इसी तरह 2022 में भाजपा के विरुद्ध खलीलाबाद से विधानसभा का चुनाव लड़ने वाले जय चौबे भी अब भाजपा के लिए समर्थन जुटाने में लगे हैं।

उमेश पाठक, जागरण गोरखपुर। राजनीति में समीकरण चुनाव के साथ बदलते रहते हैं। पिछले कुछ चुनावों में जो नेता विरोध में लड़े थे, इस बार वे अपने पुराने प्रतिद्वंद्वी की जीत के लिए उनके खेवनहार बने हैं। गोरखपुर व बस्ती मंडल की नौ लोकसभा सीटों में से चार पर यह स्थिति देखी जा सकती है। कुशीनगर में आरपीएन सिंह, बस्ती में राजकिशोर सिंह, डुमरियागंज में चंद्रेश उपाध्याय ने पाला बदल लिया है और वे भाजपा के लिए वोट मांगते नजर आ रहे हैं।
इसी तरह 2022 में भाजपा के विरुद्ध खलीलाबाद से विधानसभा का चुनाव लड़ने वाले जय चौबे भी अब भाजपा के लिए समर्थन जुटाने में लगे हैं। कुशीनगर संसदीय सीट पर 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने विजय कुमार दुबे को प्रत्याशी बनाया था तो सपा व बसपा गठबंधन ने नथुनी प्रसाद कुशवाहा पर भरोसा जताया था। कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ी थी और इस पार्टी के प्रत्याशी थे पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री कुंवर आरपीएन सिंह।
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लोकसभा चुनाव के बाद बदले समीकरण में वह भाजपा के साथ आ गए। भाजपा ने उन्हें राज्यसभा भेजकर सम्मान भी दिया है। पिछली बार जीत भाजपा के विजय को मिली थी और इस बार भी उन्हें ही प्रत्याशी बनाया गया है। जातिगत आधार पर उनकी घेराबंदी की जा रही है, ऐसे में आरपीएन सिंह की प्रतिष्ठा भी यहां दांव पर है।
आरपीएन भाजपा प्रत्याशी को जिताने के लिए जोर-आजमाइश कर रहे हैं। इसी तरह का उदाहरण बस्ती में भी नजर आता है। पिछले चुनाव में भाजपा ने यहां से हरीश द्विवेदी को प्रत्याशी बनाया था। सपा व बसपा गठबंधन से रामप्रसाद चौधरी मैदान में थे। कांग्रेस ने पूर्व मंत्री राजकिशोर सिंह पर भरोसा जताया था।
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इस चुनाव में हरीश को जीत मिली थी और राजकिशोर लगभग 87 हजार वोट पाने में सफल रहे थे। इस बार भी हरीश पर भाजपा का भरोसा कायम है। उनके विरुद्ध चुनाव लड़ने वाले राजकिशोर सिंह अब भाजपा में शामिल होकर हरीश को जिताने के लिए मेहनत कर रहे हैं। उनकी चुनावी नइया को पार लगाने के लिए खेवनहार की भूमिका में हैं।
बात डुमरियागंज लोकसभा क्षेत्र की करें तो पिछले चुनाव में भाजपा से जगदंबिका पाल चुनाव लड़े थे और जीते भी थे। सपा व बसपा गठबंधन में यह सीट बसपा के खाते में थी और आफताब आलम मैदान में थे। कांग्रेस ने चंद्राश उर्फ चंद्रेश कुमार उपाध्याय को जगदंबिका पाल के विरुद्ध प्रत्याशी बनाया था। चंद्रेश लगभग 60 हजार से अधिक मत पाने में कामयाब रहे थे।
इस बार स्थितियां बदलीं और लगभग एक महीने पहले वह भाजपा के साथ आ गए। अब जगदंबिका पाल को लगातार चौथी जीत दिलाने के लिए चुनावी मोर्चे पर तैनात हैं। संतकबीर नगर लोकसभा में भी स्थिति बदली है। यहां 2022 में सपा के टिकट पर खलीलाबाद विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने वाले जय चौबे ने दूसरा स्थान पाया था।
इससे पहले 2017 में वह भाजपा के विधायक थे। 2024 के चुनाव में भी उन्होंने सपा से टिकट मांगा था लेकिन टिकट न मिलने के बाद वह भाजपा के साथ चले गए। अब भाजपा प्रत्याशी प्रवीण निषाद को एक बार फिर संसद पहुंचाने के लिए जोर लगा रहे हैं।
पुराने प्रतिद्वंद्वी के साथ आए एनपी कुशवाहा
कुशीनगर संसदीय सीट से कभी जिसे हराने के लिए एनपी कुशवाहा उर्फ नथुनी प्रसाद ने पूरा जोर लगाया था, आज उसी के साथ हैं। 10 मई को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने उन्होंने भाजपा की सदस्यता ली और कुशीनगर से भाजपा प्रत्याशी विजय कुमार दूबे को जिताने में लग गए।
नथुनी प्रसाद ने 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा के टिकट पर दावेदारी की थी। इस चुनाव में सपा व बसपा का गठबंधन था। नथुनी को दूसरा स्थान मिला था। उन्होंने लगभग दो लाख 59 हजार वोट प्राप्त किए थे। उनके भाजपा में जाने के बाद कुशीनगर में समीकरण थोड़ा और बदला है।
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