रेलवे के गार्ड व लोको पायलट ने आरटीआइ को बनाया हथियार, रेलवे से पूछ रहे सवाल- पटाखा फूटने पर कौन होगा जिम्मेदार
रेलवे में लोको पायलट और गार्ड को लाइन बाक्स की जगह दिए जा रहे ट्राली बैग का मामला ठंडा नहीं पड़ रहा। रनिंग स्टाफ और रेलवे प्रशासन में अभी भी खींचतान जारी है। इज्जतनगर के लगभग 45 गार्डों ने आरटीआइ को ही अपनी लड़ाई का हथियार बना लिया है।

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। पूर्वोत्तर रेलवे में रनिंग स्टाफ (लोको पायलट और गार्ड) को लाइन बाक्स की जगह दिए जा रहे ट्राली बैग का मामला ठंडा नहीं पड़ रहा। रनिंग स्टाफ और रेलवे प्रशासन में अभी भी खींचतान जारी है। धरना-प्रदर्शन तो बंद हो गया है लेकिन इज्जतनगर के लगभग 45 गार्डों ने सूचना का अधिकार (आरटीआइ) को ही अपनी लड़ाई का हथियार बना लिया है। गार्डों ने रेलवे प्रशासन से सवाल पूछा है कि अगर रास्ते में ट्राली बैग चोरी हो गया या किसी ने लूट लिया तो कौन जिम्मेदार होगा। बैग में रखा पटाखा भी चोरी हो गया या फूट गया तो होने वाली जान-माल की क्षति की जिम्मेदारी कौन लेगा।
ठंडा नहीं पड़ रहा ट्राली बैग का मामला, इज्जतनगर के 45 गार्डों ने आरटीआइ को बनाया लड़ाई का हथियार
दरअसल, पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने एक सितंबर से ट्राली बैग अनिवार्य कर दिया है। इज्जतनगर मंडल के रनिंग स्टाफ ने ट्राली बैग लेकर प्रयोग भी शुरू कर दिया। लेकिन बैग की सुरक्षा को लेकर उनकी परेशानी बढ़ गई। वे बैग की सुरक्षा और उसमें रखे गए पटाखा को लेकर डर गए हैं। बैग, पटाखा व अन्य सामानों की सुरक्षा को लेकर सवाल भी खड़ा करने लगे हैं। लेकिन मंडल स्तर पर उन्हें सही जवाब नहीं मिल रहा। थक-हार कर गार्डों ने आरटीआइ से जानकारी लेनी शुरू कर दी है।
मुख्यालय गोरखपुर के अधिकार हैरान, तैयार कर रहे जवाब
गार्डों के सवाल ट्राली बैग की सुरक्षा को लेकर ही हैं। गार्डों के सवालों से मुख्यालय गोरखपुर के अधिकारी भी हैरान हैं। उनकी समझ में नहीं आ रहा कि क्या जवाब दें। फिलहाल, जवाब देने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। मंथन चल रहा है। जानकारों के अनुसार गार्डों को बैग में पटाखा के अलावा झंडी, टार्च, टेल लैंप आदि लेकर चलना अनिवार्य होता है। पहले 21 तरह के उपकरण लाइन बाक्स में रहते थे। ऐसे में सामानों की सुरक्षा को लेकर रनिंग स्टाफ निश्चिंत रहते थे। अब बैग साथ लेकर चलना पड़ रहा है तो चिंता बढ़ गई है।
पीठ पर 80 ग्राम विस्फोटक लेकर चल रहे रनिंग स्टाफ
आल इंडिया गार्ड काउंसिल के पदाधिकारियों का कहना है कि रेलकर्मियों को भी सूचना के लिए आरटीआइ की शरण में जाना पड़ रहा है। यह विडंबना ही है कि रनिंग स्टाफ को अपनी पीठ पर 80 ग्राम विस्फोटक लेकर स्टेशन से घर तक चलना पड़ रहा है। काउंसिल ने रेलवे प्रशासन से ट्राली बैग पर यथाशीघ्र रोक लगाने की मांग की है।
यह भी जानें
एक गार्ड को दस पटाखा लेकर चलना अनिवार्य होता है।
एक पटाखा में लगभग आठ ग्राम विस्फोटक होता है।
पटाखा के चारो तरफ मजबूत कवर लगा रहता है।
दो टन व उससे अधिक वजन पर विस्फोट करता है।
गार्डों के सवाल
किसके निर्देश पर ट्राली बैग दिया जा रहा।
ट्राली बैग को घर ले जाने की अनुमति किसने दी है।
चोरी या लूट होने पर किसकी जिम्मेदारी तय होगी।
पटाखा फूटने पर जानमाल की क्षति पर कौन जिम्मेदार होगा।
बैग लेकर चलने से तबीयत खराब होने पर कौन जिम्मेदार होगा।
संरक्षा उपकरण व नियमावली क्यो नहीं दी जा रही।
संरक्षा प्रभावित होने पर किसकी जिम्मेदारी तय होगी।
टेबलेट में नियमावली नहीं समझ में आने पर कौन जिम्मेदार होगा।
ट्राली बैग चलता रहेगा या परीक्षण के बाद बंद हो जाएगा।
ट्राली बैग पर कब तक रोक लगाई जाएगी।
ट्राली बैग की लागत क्या है, इससे रेलवे को क्या फायदा है।
अन्य सुविधा की जगह ट्राली बैग के लिए जबरदस्ती क्यों हो रही।

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