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    Exclusive: सेरोगेट और कमीशनिंग मदर भी पा सकेंगी मातृत्व अवकाश, नियमों में किया गया बड़ा बदलाव

    Updated: Fri, 13 Jun 2025 12:38 PM (IST)

    रेलवे बोर्ड ने मातृत्व पितृत्व बाल देखभाल और गोद लेने से जुड़े अवकाश नियमों में बदलाव किए हैं। सरोगेट और कमीशनिंग मां को 180 दिन का मातृत्व अवकाश मिलेगा। सरोगेसी से जन्मे बच्चे के कमीशनिंग पिता को 15 दिन का पितृत्व अवकाश मिलेगा। पुरुष रेलकर्मी एक वर्ष से कम आयु के बच्चे को गोद लेने पर भी 15 दिन का अवकाश ले सकते हैं।

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    रेलवे बोर्ड ने मातृत्व और पितृत्व अवकाश नियमों में किया बड़ा बदलाव। जागरण

     प्रेम नारायण द्विवेदी, जागरण गोरखपुर। रेलवे बोर्ड ने मातृत्व, पितृत्व, बाल देखभाल और बाल गोद लेने से संबंधित अवकाश के नियमों में कई अहम बदलाव किए हैं। बोर्ड के ज्वाइंट डायरेक्टर गौरव पुरी ने नौ जून को इसके अनुपालन के लिए सभी रेलवे जोन तथा इकाई के महाप्रबंधकों को पत्र भेजा है।

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    इसके मुताबिक, सामान्य मां की तरह सेरोगेट संग कमीशनिंग मदर (मां) भी 180 दिन का मातृत्व अवकाश पा सकती हैं। इस दौरान उन्हें पूरा वेतन भी मिलता रहेगा। यदि सरोगेट या कमीशनिंग मां या दोनों रेलवे कर्मचारी हैं, तो उन्हें भी 180 दिनों के मातृत्व अवकाश मिल सकता है।

    सरोगेट मां से तात्पर्य उस महिला से होगा जो कमीशनिंग मदर की ओर से बच्चे को जन्म देती है। कमीशनिंग मां वह जैविक मां होती है जिसके अंडाणु का उपयोग किसी अन्य महिला में भ्रूण प्रत्यारोपित करने में होता है। नई व्यवस्था के अंतर्गत सरोगेसी से जन्मे बच्चे के मामले में, कमीशनिंग पिता रेलवे कर्मचारी हैं, तो उन्हें भी छह माह के अंदर 15 दिनों का पितृत्व अवकाश दिया जा सकता है।

    पुरुष रेलकर्मी एक वर्ष से कम आयु के बच्चे को वैध रूप से गोद लेने पर 15 दिनों का पितृत्व अवकाश प्राप्त कर सकते हैं। यह सवेतन अवकाश भी बच्चे को गोद लेने के छह माह के अंदर ही मिलेगा। यदि नियत अवधि में अवकाश नहीं लिया गया, तो उसे समाप्त मान लिया जाएगा।

    महिला रेलकर्मी एक वर्ष से कम उम्र के बच्चे को गोद लेने पर 180 दिन का अवकाश ले सकती हैं। बाल देखभाल अवकाश के अंतर्गत 18 वर्ष से कम आयु की कोई भी संतान जिसमें न्यूनतम 40 प्रतिशत दिव्यांगता हो, के लिए एक कैलेंडर वर्ष में पुरुष रेलकर्मी द्वारा अधिकतम तीन बार अवकाश लिया जा सकता है।

    महिला रेलकर्मी के लिए यह सीमा छह बार तक हो सकती है। इसमें पांच दिन से कम का अवकाश नहीं मिलेगा। महिला रेलकर्मी और अविवाहित/विधुर/तलाकशुदा पुरुष रेलकर्मी को अपने दो जीवित बच्चों के लालन-पालन, शिक्षा, बीमारी आदि के लिए सेवा जीवन में अधिकतम 730 दिन का अवकाश मिल सकता है।