रजवंती की फरियाद रहनुमाओं की कार्यशैली पर सवाल
कुशीनगर में सरकारी योजनाओं से वंचित महिला पारिवारिक लाभ व विधवा पेंशन के लिए लगा रही गुहार मजदूरी के सहारे किसी तरह कर रही तीन बचों की परवरिश इस महिला की ही तरह गांव की अन्य निराश्रित महिलाएं भी हैं जिन्हें सरकारी योजनाओं को लाभ नहीं मिल रहा है।

कुशीनगर : रामकोला विकास खंड के रामवर की रजवंती को सरकारी दफ्तरों का चक्कर लगाते साल भर बीत गया, लेकिन न तो पारिवारिक लाभ योजना का फायदा मिला न ही विधवा पेंशन मिली। साल भर पहले पति की मौत के बाद मजदूरी के सहारे किसी तरह तीन बच्चों की परवरिश कर रहीं हैं। उनका परिवार जर्जर झोपड़ी में रहने को मजबूर है। नियमित मजदूरी न मिलने पर कई दिन एक ही समय चूल्हा जल पाता है।
खोटही गांव के टोला रामवर के रामा राजभर मजदूरी के सहारे पत्नी व बच्चों की परवरिश कर रहे थे। एक वर्ष पहले वह बीमार पड़े। आर्थिक तंगी की वजह से समुचित इलाज नहीं हो पाया जिससे उनकी मौत हो गई। रामा की मौत के बाद पत्नी रजवंती पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था। 11 वर्षीय पुत्री संध्या, आठ वर्षीय पुत्र राजा व छह वर्षीय पुत्री पुष्पा के भरण-पोषण में दिक्कत खड़ी हुई तो वह लोगों के खेतों में मजदूरी करने लगीं। बताया कि पति की मौत के बाद पारिवारिक लाभ योजना और विधवा पेंशन के लिए आवेदन किया था। ग्राम प्रधान, सचिव से लेकर ब्लाक कार्यालय का चक्कर लगाते-लगाते थक गई, लेकिन अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं। कोरोना काल में कई दिनों तक काम नहीं मिला। इस वजह से दोनों समय घर का चूल्हा नहीं जल पाया। जर्जर झोपड़ी में बच्चों संग गुजर-बसर कर रही हूं। बारिश में पानी टपकता है, जागकर रात काटनी पड़ती है। जिम्मेदारों ने सरकारी आवास का लाभ भी नहीं दिलाया।
इन महिलाओं को भी नहीं मिला लाभ
गांव की सुनैना, गुड़िया, अंजनी, कुसमावती, लक्ष्मी, आरती के भी पति की भी मौत हो चुकी है। सभी महिलाओं ने पारिवारिक लाभ योजना व विधवा पेंशन के लिए आवेदन किया था, जो आज तक नहीं मिल सका। महिलाएं आर्थिक तंगी व रोजगार के संकट से जूझ रही हैं।
बीडीओ रमाकांत प्रसाद ने कहा कि दो माह पहले मेरी तैनाती हुई है, समस्या मेरे संज्ञान में नहीं है। इसे दिखवाया जाएगा। पात्रता के हिसाब से सरकारी योजनाओं का लाभ दिलवाया जाएगा।
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