गोरखपुर खाद कारखाना में शुरू हुआ यूरिया का उत्पादन, अगले माह से पूरी क्षमता से चलेंगी मशीनें
गोरखपुर खाद कारखाना में नीम कोटेड यूरिया का उत्पादन शुरू हो गया है। अगले महीने से कारखाना पूरी क्षमता पर काम करने लगेगा और प्रतिदिन 3850 मीट्रिक टन उत्पादन होने लगेगा। एक दिन में 4040 मीट्रिक टन यूरिया का प्रेषण किया गया है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। हिन्दुस्तान उर्वरक रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) द्वारा संचालित खाद कारखाना में उत्पादन धीरे-धीरे बढ़ने लगा है। 31 मई को कारखाने में एक दिन में अब तक का सर्वाधिक उत्पादन हुआ है। इस दिन 3125 मीट्रिक टन यूरिया का उत्पादन किया गया है।
अगले महीने से पूरी क्षमता से चलेगा कारखाना
प्रबंधन का दावा है कि अगले महीने से कारखाना पूरी क्षमता पर काम करने लगेगा और प्रतिदिन 3850 मीट्रिक टन उत्पादन होने लगेगा। उत्पादन के साथ यूरिया के प्रेषण (डिस्पैच) का भी रिकार्ड बना है। एक दिन में 4040 मीट्रिक टन यूरिया का प्रेषण किया गया है। खाद कारखाना से अबतक एक लाख मीट्रिक टन से अधिक यूरिया का प्रेषण हो चुका है। मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने ट्वीट कर इस उपलब्धि पर बधाई दी है।
पीएम ने किया था राष्ट्र को समर्पित
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयास से बंद हो चुके खाद कारखाना को नए सिरे से स्थापित किया गया है। 22 जुलाई 2016 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पुराने खाद कारखाना परिसर में ही नये कारखाने का शिलान्यास किया। 2017 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद इसका निर्माण तेजी से होने लगा। सात दिसम्बर 2021 को प्रधानमंत्री ने गोरखपुर आकर खाद कारखाने को राष्ट्र को समर्पित कर दिया।
80 प्रतिशत क्षमता के साथ हो रहा उत्पादन
खाद कारखाना में मार्च के आखिरी सप्ताह से वाणिज्यिक उत्पादन शुरू हो गया था। वर्तमान में यहां करीब 80 प्रतिशत क्षमता के साथ उत्पादन होने लगा है। इतने बड़े पैमाने पर उत्पादन से देश के कुल खाद आयात में कमी आनी तय है। इससे उत्तर प्रदेश, बिहार व यूपी से सटे अन्य राज्यों में नीम कोटेड यूरिया की बड़े पैमाने पर आपूर्ति भी सुनिश्चित हो रही है।
गोरखपुर में बनाई जा रही सर्वश्रेष्ठ गुणवत्ता की खाद
गोरखपुर के खाद कारखाना में सर्वश्रेष्ठ गुणवत्ता की नीम कोटेड यूरिया बन रही है। इसका कारण इस कारखाने की प्रीलिंग टावर की ऊंचाई। यहां बने प्रिलिंग टावर की ऊंचाई 149.2 मीटर है। तुलनात्मक विश्लेषण करें तो यह कुतुब मीनार से भी दोगुना ऊंचा है। कुतुब मीनार की ऊंचाई 72.5 मीटर है। प्रीलिंग टावर की ऊंचाई जितनी अधिक होती है, यूरिया के दाने उतने छोटे व गुणवत्तायुक्त बनते हैं।