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    मालामाल कर देगी आलू की खेती, जानें कब और कैसे करें इसकी बोआई

    By Pradeep SrivastavaEdited By:
    Updated: Mon, 08 Nov 2021 11:35 AM (IST)

    Farming of potato अधिक उपज देने वाली आलू की किस्मों की समय से बोआई संतुलित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग समुचित कीटनाशक उचित जल प्रबंधन के जरिये आलू का अधिक उत्पादन कर अपनी आय बढ़ाई जा सकती है।

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    आलू की वैज्ञान‍िक खेती कर दो गुना लाभ प्राप्‍त क‍िया जा सकता है। - फाइल फोटो

    गोरखपुर, जागरण संवाददाता। आलू एक प्रमुख नगदी फसल है। हर परिवार में यह किसी न किसी रूप में उपयोग किया जाता है। इसमें स्टार्च, प्रोटीन, विटामिन-सी और खनिज लवण प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। अधिक उपज देने वाली किस्मों की समय से बोआई, संतुलित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग, समुचित कीटनाशक, उचित जल प्रबंधन के जरिये आलू का अधिक उत्पादन कर अपनी आय बढ़ाई जा सकती है।

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    नवंबर अंतिम सप्ताह तक कर सकते हैं कुफरी बादशाह, कुफरी सिंदूरी, कुफरी देवा आदि की बोआई

    आलू की खेती के लिए दोमट व बलुई दोमट भूमि जिसमें जीवांश की प्रचुर मात्रा हो, उपयुक्त रहता है। मध्य समय की किस्में- कुफरी पुखराज, कुफरी अरुण, कुफरी लालिमा, कुफरी बहार आदि को नवंबर के प्रथम सप्ताह में बोआई करने से अच्छा उत्पादन होता है। देर से बोने के लिए कुफरी बादशाह, कुफरी सिंदूरी, कुफरी देवा आदि की नवंबर के अंतिम सप्ताह तक बोआई अवश्व कर देना चाहिए।

    आलू की बोआई से पहले करें खेत की तीन गहरी जुताई, 50-60 सेमी की दूरी पर बनाएं पंक्ति

    आलू शीतकालीन फसल है। इसके जमाव व शुरू की बढ़वार के लिए 22 से 24 डिग्री सेल्सियस व कंद के विकास के लिए 18 से 20 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है। खेत की तैयारी के लिए तीन से चार गहरी जुताई करके मिट्टी अच्छी प्रकार से भुरभुरी बना लें व बोआई से पहले प्रति एकड़ 55 किलो यूरिया, 87 किलो डीएपी या 250 किलो सिंगल सुपर फास्फेट व 80 किलो एमओपी को मिट्टी में मिला दें।

    कब डालें खाद

    बोआई के 30 दिन बाद 45 किलो यूरिया खेत में डालें। खेत की तैयारी के समय 100 किलो जिप्सम प्रति एकड़ प्रयोग करने से अच्छे परिणाम मिलते हैं। शीतगृह से आलू निकालकर सात-आठ दिन छाया में रखने के बाद ही बोआई करें यदि बड़े आलू हो तो उन्हें काटकर बोआई करें। लेकिन प्रत्येक टुकड़े का वजन 35-40 ग्राम के करीब रहे। प्रत्येक टुकड़े में कम से कम 2 स्वस्थ आंखें हो। इस प्रकार प्रति एकड़ के लिए 10 से 12 क्विंटल कंद की आवश्यकता होगी। बोआई से पहले कंद को तीन प्रतिशत बोरिक एसिड या पेंसीकुरान (मानसेरिन), 250मिली/आठ क्विंटल कंद या पेनफ्लूफेन (इमेस्टो), 100 मिली/10 क्विंटल कंद की दर से बीज का उपचार करके ही बुवाई करें। बोआई के समय खेत में पर्याप्त नमी रखें। एक पंक्ति की दूसरी पंक्ति 50 से 60 सेमी की दूरी पर रखें। कंद से कंद 15 सेमी की दूरी पर बोएं।

    आलू की बोआई के 7 से 10 दिन के बाद हल्की सिंचाई कर दें। खरपतवार नियंत्रण के दो से चार पत्ती आने पर मेट्रिब्यूज़ीन 70 फीसद, डब्ल्यूपी 100 ग्राम मात्रा 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। - डा.एसपी सिंह, वरिष्ठ वैज्ञानिक- कृषि विज्ञान केंद्र बेलीपार।