PM Narendra Modi आज जारी करेंगे स्वामी प्रभुपाद पर 125 रुपये का स्मारक सिक्का
125th Birth Anniversary of Swami Prabhupada पीएम नरेंद्र मोदी बुधवार को अंतरराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ (इस्कान) के संस्थापक भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपाद की 125वीं जयंती पर स्मारक सिक्का जारी करेंगे। 35 ग्राम वजन और 50 फीसद चांदी मिश्रित यह सिक्का कोलकाता टकसाल ने डिजायन किया है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को वर्चुअल कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ (इस्कान) के संस्थापक भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपाद की 125वीं जयंती पर स्मारक सिक्का जारी करेंगे। 35 ग्राम वजन और 50 फीसद चांदी मिश्रित यह सिक्का कोलकाता टकसाल ने डिजायन किया है।
कोलकाता टकसाल 125वीं जयंती पर जारी करेगी 125 रुपये मूल्य वर्ग का सिक्का
प्रधानमंत्री मोदी बुधवार की शाम साढ़े चार बजे दिल्ली में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए इस सिक्के का अनावरण करेंगे। सिक्के में चांदी के साथ तांबा, जस्ता और निकिल धातु भी होगी। दिल्ली इस्कान मुख्यालय ने सिक्का जारी होने से पहले अपने सदस्यों को जून 2021 तक का समय देकर बुुकिंग भी कराई थी। इसमें विश्व भर में फैले आठ सौ से ज्यादा केंद्र, मंदिर, गुरुकुल एवं अस्पतालों से जुड़े सदस्य शामिल थे।
35 ग्राम वजन के सिक्के में 50 फीसद होगी चांदी, शेष में तांबा, जस्ता और निकिल
इस्कान के अनुयायियों की संख्या देखते हुए इस सिक्के की मांग भी काफी है। सिक्कों का अध्ययन करने वाले सुधीर लुणावत के अनुसार इससे पहले देश मे सात बार 125 रुपये मूल्य वर्ग का स्मारक सिक्का जारी हुआ है। यह सिक्का कभी प्रचलन में नहीं आएगा। इसका स्मारक सिक्के के रूप में संग्रह किया जा सकता है।
गोरखपुर में मिला कुषाण कालीन मृदभांड
गोरखपुर के ब्रह्मपुर ब्लाक के राजधानी गांव में समाजवादी नेता काली शंकर को कुषाणकालीन मृदुभांड के अवशेष मिले हैं। काली शंकर का दावा है कि उन्हें मिले कुछ मृदुभांड मौर्य काल के भी हैं। हालांकि पुरातत्व विभाग ने इसकी पहचान के लिए गहन अध्ययन की जरूरत बताई है। विभाग की टीम इसके लिए जल्द राजधानी गांव पहुंचेगी।
पुरातत्व विभाग ने बीते दिनों ब्रह्मपुर ब्लाक के गौरसयरा गांव में अपने सर्वे के दौरान 2000 साल पुराने स्तूप और तेरहवीं शताब्दी की मूर्तियों को पाया था। उस सर्वे में काली शंकर भी भूमिका रही थी। उसके बाद काली शंकर ने अपने स्तर से सर्वे का सिलसिला आगे बढ़ाया। सर्वे के दौरान उन्हें स्थानीय बुजुर्गों से स्तूप और आसपास के अन्य पुरातात्विक स्थलों के बारे में जानकारी मिली। लोगों ने बताया कि राजधानी गांव में पहले एक बहुत बड़ा स्तूप था, जिसे चकबंदी के दौरान लोगों ने ध्वस्त कर दिया और ईंट उठा ले गए। उसके बाद काली शंकर ने राजधानी गांव का सर्वे शुरू किया। वहां उन्हें तालाब से निकली हुई मिट्टी में मृदुभांड के टुकड़े और ईंटें मिलीं। पहचान के लिए उन्होंने क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी नरसिंह त्यागी से संपर्क साधा और उन्हें वाट्सएप के माध्यम से उन टुकड़ों और ईंटो की तस्वीर भेजी।
तस्वीर देख अधिकारी ने उन्हें बताया कि यह टुकड़े कुषाणकालीन तो हैं लेकिन मौर्य काल के भी हो सकते हैं। इसके मौके पर आकर ही स्पष्ट किया जा सकता है। काली शंकर ने बताया कि राजधानी गांव कभी पिप्पलवन हुआ करता था, जहां मौरिय गणराज्य का शासन था। ऐसे में यह क्षेत्र मौर्य का वंश का इतिहास समेटे हुए है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि पुरातात्विक महत्व के इस स्थल पर विभिन्न स्थानों पर खुदाई कराई जा, जिससे क्षेत्र के समृद्ध् प्राचीन इतिहास की जानकारी पूरी दुनिया को हो सके। सर्वे के दौरान काली शंकर को रंजीत, आकाश यादव, ङ्क्षपटू पासवान, गुलशन निषाद, रुदल, गोलू, अवधेश आदि का सहयोग मिला।
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