कोरोना मरीजों के किसी काम की नहीं प्लाज्मा थेरेपी, ICMR ने कोविड इलाज गाइडलाइन से किया बाहर
आइसीएमआर द्वारा कराए गए शोध में शामिल 464 मरीजों में लगभग आधी संख्या ऐसे मरीजों की थी जिन्हें प्लाज्मा थेरेपी दी गई थी। आधा ऐसे थे जिनपर इस थेरेपी का प्रयोग नहीं किया गया गया था। कई चरणों में हुए इस शोध में रिकवरी रेट में कोई अंतर नहीं आया।
गोरखपुर, जेएनएन। कोरोना संक्रमण में प्लाज्मा थेरेपी किसी काम की नहीं मिली। 39 अस्पतालों में 464 लोगों पर हुए शोध के बाद यह निष्कर्ष सामने आया कि इस थेरेपी से कोई फायदा नहीं है। इसके बाद इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) ने इस थेरेपी को कोविड के इलाज की अपनी गाइडलाइन से बाहर कर दिया है। एक तरह से अब प्लाज्मा थेरेपी पर रोक लगा दी गई है।
39 अस्पतालों में 464 लोगों पर किए गए शोध में कारगर नहीं मिली थेरेपी
आइसीएमआर द्वारा कराए गए शोध में शामिल 464 मरीजों में लगभग आधी संख्या ऐसे मरीजों की थी, जिन्हें प्लाज्मा थेरेपी दी गई थी। आधा ऐसे थे जिनपर इस थेरेपी का प्रयोग नहीं किया गया गया था। विशेषज्ञों ने लगातार उनकी निगरानी की। दोनों को समान दवाएं और सुविधाएं प्रदान की गईं। अंतर केवल प्लाज्मा थेरेपी का रखा गया। कई चरणों में हुए इस शोध में रिकवरी रेट में कोई अंतर नहीं आया। इसके बाद इस थेरेपी को आइसीएमआर ने कोविड इलाज की अपानी गाइडलाइन से बाहर कर दिया है।
कोई फायदा नहीं, नुकसान की आशंका
प्लाज्मा थेरेपी से कोई फायदा नहीं है, यह तो शोध में सिद्ध हो चुका है। लेकिन इन्फेक्शन की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता। चढ़ाने के पहले जांच जरूर होती है लेकिन कोई मशीन ऐसी नहीं है जो सौ फीसद इन्फेक्शन पकड़ने का दावा करती हो। इसलिए दूसरे का प्लज्मा दूसरे को चढ़ाने पर संक्रमण का खतरा बना रहता है।
57 लोगों को चढ़ाया गया प्लाज्मा
बीआरडी मेडिकल कालेज में पिछले साल अक्टूबर में प्लाज्मा थेरेपी की शुरुआत हुई थी। कुल 64 यूनिट प्लाज्मा 32 लोगों ने दान किया था। जिसे 57 मरीजों को चढ़ाया गया था। कालेज के अनुसार प्लाज्मा चढ़ाने से मरीजों की स्थिति में काफी सुधार हुआ। 56 लोग स्वस्थ होकर घर गए। केवल एक की मौत हुई थी।
शोध में पाया गया कि प्लाज्मा थेरेपी किसी काम नहीं है। इससे कोई फायदा नहीं है। यूके में भी हुए एक शोध में भी यह थेरेपी कारगर नहीं पाई गई है। इसलिए अनावश्यक रूप से मरीजों को दूसरे का प्लाज्मा चढ़ाना ठीक नहीं है। इस वजह से इसे गाइडलाइन से बाहर किया गया है। - डा. रजनीकांत, प्लानिंग कोआर्डिनेटर, आइसीएमआर
अभी तक मेडिकल कालेज में प्लाज्मा थेरेपी की जा रही थी, क्योंकि वह आइसीएमआर के कोविड इलाज की गाइडलाइन में शामिल थी। गाइडलाइन से बाहर होने के बाद अब यहां भी यह थेरेपी बंद कर दी गई है। क्योंकि सभी जांच होने के बाद भी नुकसान की आशंका तो रहती ही है। - डा. राजेश कुमार राय, ब्लड बैंक प्रभारी, बीआरडी मेडिकल कालेज।