Ground report: शोहरतगढ़ के लोग बोल, 'वोट तो बेहतर प्रत्याशी व काम पर ही जाएगा'
सिद्धार्थनगर जिला मुख्यालय से करीब दस किमी दूर शोहरतगढ़ विधान सभा क्षेत्र का गांव कपिया। चौराहे पर सीमेंट की दुकान के पास बहस छिड़ी है। दुकानदार प्रदीप शुक्ला कहते हैं कि जाति और मजहब के नाम पर लगता है फिर सियासत होगी।

गोरखपुर, जागरण सांवाददाता। नेपाल की सीमा से सटे शोहरतगढ़ विधानसभा क्षेत्र में चुनाव की गर्माहट है। गली, चौराहे हों या बाजार, सभी जगह सियासी चर्चा सुनने को मिल जाएगी। बातचीत में ज्यादातर स्थानीय विकास कार्य व समस्याएं ही हावी हैं। बार्डर के कस्बे बढऩी या खुनवा तक जाने वाली जो सड़क पांच साल पहले जर्जर थी, आज चमक रही है। गाडिय़ां फर्राटा भर रही हैं। लहलहाती फसलें किसानों की खुशहाली तो बयां कर रही हैं पर उनके अंदर हर वर्ष बाढ़ से घिरने और आग से फसल जलने की टीस भी है। सिद्धार्थनगर से ब्रजेश पांडेय की रिपोर्ट।
दुकानों पर चल रही चुनावी बहस
सिद्धार्थनगर जिला मुख्यालय से करीब दस किमी दूर शोहरतगढ़ विधान सभा क्षेत्र का गांव कपिया। चौराहे पर सीमेंट की दुकान के पास बहस छिड़ी है। दुकानदार प्रदीप शुक्ला कहते हैं कि जाति और मजहब के नाम पर लगता है फिर सियासत होगी। तभी पंकज मिश्रा कहते हैं, नहीं भाई अब जनता समझदार हो गई है। सभी जान गए हैं कि किसे किधर जाना है। बगल की दुकान से खाद लेने आए कपिया के रामजस यादव भी बोल पड़े, भाई सरकार तो बदलनी चाहिए। तभी सोनू ने कहा कि सरकार किसी की आए, वोट तो बेहतर प्रत्याशी और विकास पर ही गिरेगा।
लोग स्वीकार कर रहे हैं विकास की बात
यहां से चार किलोमीटर आगे चिल्हियां में बबलू की चाय की दुकान पर चुनावी चर्चा जारी है। चाय की चुस्की के साथ मुडिला खुर्द के राजाराम कहते हैं कि विकास तो बहुत हुआ है। हाथ दिखाते हुए, यहां से जो सड़क पल्टा देवी की तरफ जाती है, आठ वर्ष से खराब थी। देखिए अब बननी शुरू हो गई है। तभी राम अचल यादव बोल पड़े, आपको अपने गांव की सड़क नहीं दिखती क्या। स्कूल से तीन सौ मीटर सड़क बनाकर छोड़ दी गई है। तभी रामकस ने कहा, किसी की सरकार बने, गरीबों को कोई पूछने वाला नहीं है। बाढ़ से फसल नष्ट हो जाती है। आग लगती है तो फायर ब्रिगेड की गाड़ी समय से नहीं पहुंचती। बेसहारा पशुओं ने तो तबाह करके रख दिया है। कोई देखने वाला है क्या। जोखन कहते हैं तीन किलोमीटर तक कनवा-करौती संपर्क मार्ग पर न तो पहले ध्यान दिया गया और न अब।
चर्चा में महंगाई बन रही चर्चा
यहां से छह किलोमीटर आगे शोहरतगढ़ कस्बे से सटे करीब एक किलोमीटर तक रेलवे स्टेशन जाने वाली सड़क जर्जर दिखी। स्टेशन पर पकौड़ा तल रहे गुरु प्रसाद पहले तो बातचीत से कन्नी काटते रहे, फिर कुरेदने पर कहा कि विकास कार्य तो हुए हैं, लेकिन महंगाई भी बहुत है। बाबूजी और घर वाले जहां तय करेंगे, उसी को इस बार वोट देंगे। बगल में खड़े शोहरतगढ़ कस्बे के कृष्ण प्रताप ङ्क्षसह बोल पड़े, यहां शाम पांच बजे के बाद प्रमुख शहरों तक यात्रा करने के लिए रेल व बस का साधन नहीं मिल पाता, इसकी ङ्क्षचता किसी को नहीं है। दो किमी तक शोहतरगढ़ कस्बे में जाम मिला।
छुट्टा पशू हैं समस्या
यहां से करीब आठ किलोमीटर दूर बानगंगा में झरूआ के रइस मोहम्मद मिले, वह काम की तलाश में आए थे। कहा कि मैं मनरेगा मजदूर हूं। दो सौ रुपया मिलता है। अभी काम नहीं है। सबसे बड़ी समस्या पशुओं की है। कोई देखने वाला नहीं है। शोहतरगढ़ से खुनवा की सड़क ठीक मिली, लेकिन कोई बस नहीं दिखी। सड़क के किनारे खेतों में लहलहा रही फसल के बीच सियांव नानकार के जय प्रकाश खेत में यूरिया का छिड़काव करते मिले। बोले, मैं यहीं शोहरतगढ़ में बीए तक पढ़ा हूं। नौकरी नहीं मिली तो खेती-बारी संभाल रहा हूं। मतदाता नहीं बन सका। गांव के बीएलओ से कई बार कहा। आधार कार्ड भी दिया, लेकिन सूची में नाम नहीं आया। साहब, मैं तो वोट नहीं डाल पाऊंगा लेकिन गांव का वोट माहौल पर गिरता है।
सड़कों के बनने से सफर हुआ आसान
खुनवां पहुंचते साढ़े तीन बज चुके थे वहां एक कपड़े की दुकान पर प्रभुदयाल कसौधन मिले, जो कस्बे के ही निवासी हैं। बोले, विकास हुआ है। पिछली सरकार में यह सड़क बदहाल थी। दस किलोमीटर शोहरतगढ़ तक के सफर में एक घंटे लग जाते थे। अब पंद्रह मिनट में तहसील मुख्यालय पहुंचा जा सकता है। फ्री में अनाज मिल रहा है, खाते में भी छह हजार रुपये आ रहे हैं। बिजली मिल रही है। और क्या चाहिए।
बानगंगा के नाम थी शोहरतगढ़ की पहचान
आजादी से पहले शोहरतगढ़ चांदापार के नाम से मशहूर था। विधानसभा क्षेत्र की पहचान बानगंगा के नाम से थी। क्षेत्र का नामकरण चार बार हुआ है। वर्ष 1951 में नाम बांसी उत्तरी तृतीय, वर्ष 1957 में बानगंगा पूर्वी व पश्चिमी दो भागों में विभाजित था। वर्ष 1967 में नए परिसीमन के बाद बानगंगा का नाम दिया गया। शोहरतगढ़ का नामकरण वर्ष 1974 के चुनाव में हुआ था।
क्या बोले लोग
पल्टा देवी स्थान की रहने वाली सुधाकर गिरी ने बताया कि भाजपा सरकार ने बेहतर कार्य किए हैं। महंगाई और बेरोजगारी जरूर है, लेकिन सरकार ने खुद के पैरों पर खड़ा होना भी सिखाया है। जब लोगों को सब कुछ फ्री में चाहिए तो महंगाई तो बढ़ेगी ही। सियांव नानकर निवासी नारायन ने कहा कि मनरेगा में जाबकार्ड बना है, लेकिन काम नहीं है। किसी की सरकार बने, हम तो जैसे हैं वैसे ही रहेंगे। दोनों सरकार में अच्छा काम हुआ। मैं नहीं बता सकता कि मेरा वोट किसे पड़ेगा। पकड़ी लाला निवासी ज्ञान प्रताप यादव ने बताया कि गांव की सड़क बदहाल है। जो अधूरे काम थे, वह भी पूरे नहीं हुए। पीएचसी बन गया है, डाक्टर नहीं हैं। सेमराताल में आरटीआई भवन का निर्माण छह वर्ष में भी नहीं हो सका। इस सरकार में महंगाई और बेरोजगारी बढ़ी है। पकड़ी शोहरतगढ़ निवासी केवल प्रसाद ने बताया कि पशुओं को लोग छोड़ देते हैं, रात भर खेत की रखवाली करनी पड़ती हैं। डर लगता है कि कहीं चोट न लग जाय। फसल बचाने की ङ्क्षचता बराबर लगी रहती है। पशुओं के लिए अभी तक कहीं कोई व्यवस्था नहीं की गई।
शोहरतगढ़ विधानसभा क्षेत्र, एक नजर में
कुल मतदाता 358135
पुरुष मतदाता 190237
महिला मतदाता 167856
युवा मतदाता (18-19)4335
युवा मतदाता (20-40)174811
बुजुर्ग मतदाता (80 वर्ष से ऊपर)7089
इनके सिर बंधा चेहरा
वर्ष विधायक पार्टी
1951 अंशुमान सिंह कांग्रेस
1957 मोहम्मद सुलेमान कांग्रेस
1957 प्रभुदयाल कांग्रेस
1962 चंद्रपाल जनसंघ
1962 माधव प्रसाद त्रिपाठी जनसंघ
1967 एम सिंह जनसंघ
1974 प्रभुदयाल कांग्रेस
1977 शिवलाल मित्तल जनता पार्टी
1980 कमला साहनी कांग्रेस
1985 कमला साहनी कांग्रेस
1989 कमला साहनी कांग्रेस
1991 शिवलाल मित्तल भाजपा
1996 रविंद्र प्रताप उर्फ पप्पू चौधरी भाजपा
2002 दिनेश सिंह
2007- रविंद्र प्रताप उर्फ पप्पू चौधरी-कांग्रेस
2012 - लालमुन्नी सिंह सपा
2017- अमर सिंह चौधरी (अपना दल एस)
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