Gorakhpur News: समय से नहीं पहुंच रही एंबुलेंस, निजी वाहनों से अस्पताल पहुंच रहे रोगी
Gorakhpur News सरकार ने सुविधा दी है लेकिन रोगियों को नहीं मिल पा रही। जर्जर हो चुकी 102 नंबर एंबुलेंस अक्सर खराब हो जाती हैं। ऐसे में रोगियों को निजी वाहनों से अस्पताल पहुंचना पड़ रहा है।

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। जंगल हकीम नंबर एक के भानू तिकोनिया जंगल से आते समय जंगल धूसड़ चौराहे पर दुर्घटना के शिकार हो गए थे। फोन करने के बाद भी एंबुलेंस नहीं पहुंची। उधर से गुजर रही एक महिला रंजनी राय ने ऑटो बुक कर किसी तरह उन्हें मेडिकल कॉलेज पहुंचाया। शिवपुर सहबाजगंज के रामचंद्र सोनकर 16 फरवरी को घर से फातिमा बाईपास रोड पर श्रीराम चौराहे के पास अपनी दुकान पर जा रहे थे, गिर गए, पैर में फैक्चर हो गया। स्वजन ने एंबुलेंस को फोन किया लेकिन एक घंटा बीत जाने के बाद भी एंबुलेंस नहीं पहुंची। वे उन्हें किराये के वाहन से अस्पताल ले गए।
एंबुलेंस सुविधा से रोज वंचित होते हैं रोगी
यह बानगी भर है। जिले में रोज ऐसे कई रोगी एंबुलेंस सुविधा से वंचित होते हैं। जबकि फोन करने के बाद 15 मिनट के अंदर एंबुलेंस पहुंचने का नियम है। निश्शुल्क एंबुलेंस की सुविधा सरकार ने दी है लेकिन रोगियों के बुलाने पर समय से एंबुलेंस पहुंच नहीं रही है। 108 नंबर एंबुलेंस के चालक व इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन मनमानी कर रहे हैं। समय से मौके पर पहुंच नहीं रहे हैं। रोगियों को निजी या किराये के साधनों से अस्पताल जाना पड़ रहा है।
'फोन करने के 15 मिनट के अंदर ही पहुंच जारी है एंबुलेंस'
एंबुलेंस का संचालन करने वाली संस्था जीवीके के समन्वयक प्रवीन द्विवेदी ने कहा कि फोन करने के 15 मिनट के अंदर ही एंबुलेंस पहुंचती है। किसी तकनीकी दिक्कत के कारण कहीं नहीं पहुंच पाई होगी। 108 नंबर की 15 एंबुलेंस बदली जा चुकी हैं। शेष की दूरी पूरी होने पर उन्हें भी बदल दिया जाएगा। 102 नंबर की एंबुलेंस भी जो खराब हो चुकी हैं, उन्हें बदला जाएगा। कैंपियरगंज में खराब एंबुलेंस ठीक करने के लिए मिस्त्री भेज दिया गया है।
50 में केवल 15 बदली गईं 108 नंबर
जिले में 108 नंबर की एंबुलेंसों की संख्या 50 है। इनमें पिछले साल 15 बदल दी गईं। जबकि लगभग एक साथ ही सभी आई थीं। शेष भी खराब हो चुकी हैं। लेकिन कार्यदायी संस्था का कहना है कि अभी वे ढाई लाख किमी दूरी तय नहीं कर पाईं हैं, यह दूरी पूरी होते ही उन्हें भी बदल दिया जाएगा।
सभी 102 नंबर जर्जर
जिले में 46 एंबुलेंस 102 नंबर की हैं। सभी पूरी तरह जर्जर हो चुकी हैं। रोगियों को अस्पताल ले जाते या घर पहुंचाते समय अक्सर खराब हो जाती हैं और रोगी को निजी साधनों से जाना पड़ता है। 2012 में यह सुविधा शुरू हुई थी। इसके बाद केवल एक बार बदली गईं हैं। जबकि चार से पांच साल में एंबुलेंस की ढाई लाख किमी दूरी पूरी हो जाती है।
प्रसूता को घर छोड़कर आते समय खराब हो गई एंबुलेंस
सीएचसी कैंपियरगंज को छह एंबुलेंस उपलब्ध कराई गई हैं। चार एंबुलेंस 102 नंबर की हैं। एमसीएच विंग में भर्ती ठाकुर नगर की प्रसूता रीना को सोमवार की रात सात बजे एंबुलेंस घर छोड़कर वापस सीएचसी पर आ रही थी। राष्ट्रीय राजमार्ग से अस्पताल रोड पर मुड़ते समय खराब हो गई। तभी से वहीं खड़ी है।
क्या कहते हैं अधिकारी
सीएमओ डॉ. आशुतोष कुमार दुबे ने बताया कि फोन करने के बाद एंबुलेंस न पहुंचने की कोई शिकायत नहीं आई है। शिकायत मिलने पर जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। एंबुलेंस कर्मियों को 15 मिनट के अंदर घटना स्थल पर पहुंचने का निर्देश दिया गया है।
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