Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पातालपुरी पीठाधीश्‍वर संत बालक दास महाराज बोले, स्वतंत्रता के समर्थक व समरसता के प्रतीक हैं राम

    By Navneet Prakash TripathiEdited By:
    Updated: Tue, 15 Feb 2022 09:05 AM (IST)

    संत बालक दास महाराज ने कहा कि श्रीराम छुआछूत अमीर गरीब ऊंच-नीच के भेदभाव के विरोध का प्रतीक है। प्रभु राम ने किष्किंधा व लंका जीता लेकिन अपने अधीन रखने की बजाय सुग्रीव व विभीषण को राजा बनाया।

    Hero Image
    कसया स्थित राम जानकी मठ। फाइल फोटो

    गोरखपुर, जागरण संवाददाता। कुशीनगर के कसया उपनगर स्थित श्रीराम जानकी मंदिर (मठ) में श्रीराम महायज्ञ का 14 फरवरी को पूर्णाहुति व भंडारा के महाप्रसाद वितरण के साथ समापन हो गया। प्रसाद ग्रहण करने नेपाल सहित कई जिलों के लोग पहुंचे। महाप्रसाद वितरण के पश्चात महंत त्रिभुवन शरण दास व पुजारी देवनारायण शरण ने यज्ञाचार्य, कथा व्यास व संतों की भावपूर्ण विदाई की।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    संत बालक दास महाराज ने कराया श्रीराम कथा का रसपान

    कथा व्यास संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष पातालपुरी पीठाधीश्वर संत बालक दास महाराज ने श्रद्धालुओं को श्रीराम कथा का रसपान कराया। सुग्रीव का राज्यारोहण, अशोक वाटिका में हनुमान जी का प्रवेश, राम जी का सेना सहित लंका गमन, रावण वध व प्रभु श्रीराम के राज्याभिषेक का प्रसंग सुन श्रद्धालु पुरुष महिला भावविभोर हो गए। कथा व्यास ने श्रद्धालुओं को प्रभु राम के जीवन का मर्म बताया और उनके चरित्र को जीवन में उतारने की बात कही। कहा कि राम का जीवन स्वतंत्रता के समर्थक व समरसता का प्रतीक है।

    भारत के संस्‍कृति पुरुष हैं श्रीराम का चरित्र

    संत बालक दास महाराज ने कहा कि श्रीराम छुआछूत, अमीर गरीब, ऊंच-नीच के भेदभाव के विरोध का प्रतीक है। प्रभु राम ने किष्किंधा व लंका जीता , लेकिन अपने अधीन रखने की बजाय सुग्रीव व विभीषण को राजा बनाया। शबरी के जूठे बेर खाए तो केवट को भी गले लगाया। इन गुणों के कारण वह भारत के संस्कृति पुरुष और मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम से विभूषित किया जाता है।

    प्रस्‍तुत की गई श्रीराम के राज्‍याभिषेक की झांकी

    इस दौरान संस्कार भारती के कलाकारों शिवम, हरिओम, नाजिया की टीम ने प्रभु राम के राज्याभिषेक एवं राधा कृष्ण की झांकी नृत्य के साथ प्रस्तुत की। यजमान ओंकार राय व यज्ञाचार्य रामजी पांडेय के निर्देशन में व्यास पीठ के पूजन के साथ कथा का प्रारंभ हुआ। बाल मुकुंद शरण दास, विष्णु शरण दास, इंद्र मिश्र, सुरेश गुप्त, डा.. हरिओम मिश्र, मणि प्रकाश यादव, सच्चिदानंद, विनयकांत मिश्र, बृजेश गौतम, शुभी, शांभवी, रमाशंकर कुशवाहा, आशुतोष चतुर्वेदी, ऋषिकेश मिश्र, प्रज्ञा राय, अभिलाषा मिश्रा, अक्षय पांडेय, डा. चंद्रशेखर सिंह, सुमित त्रिपाठी, अमिय गुप्त, राधे यादव, सुरेंद्र पांडेय, अनमोल तिवारी, अमर चौरसिया आदि मौजूद रहे।