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    UP News: बिना पैक कुट्टू के आटे की बिक्री पर लगी रोक, इस वजह से सरकार ने लिया फैसला

    गोरखपुर में कई जिलों में फूड प्वाइजनिंग की घटनाओं के बाद खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन ने जिले में बिना पैक कुट्टू के आटे की बिक्री पर रोक लगा दी है। पैक्ड कुट्टू आटे के पैकेट पर निर्माता का पूरा पता फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया का लाइसेंस पैकिंग और एक्सपायरी तिथि अंकित होनी चाहिए। दरअसल कई जिलों से खराब कुट्टू आटा मिलने की शिकायत मिली है।

    By Durgesh Tripathi Edited By: Vivek Shukla Updated: Sun, 06 Oct 2024 09:18 AM (IST)
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    कुट्टू के आटे से फूड प्वाइजनिंग की घटना समाने आई है। जागरण

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। उत्‍तर प्रदेश के कई जिलों में फूड प्वाइजनिंग की घटनाएं सामने आने के बाद खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन ने जिले में बिना पैक कुट्टू के आटे की बिक्री पर रोक लगा दी है।

    पैक्ड कुट्टू आटे के पैकेट पर निर्माता का पूरा पता, फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथारिटी आफ इंडिया का लाइसेंस, पैंकिंग व एक्सपायरी तिथि अंकित होनी चाहिए। सहायक आयुक्त डा. सुधीर सिंह ने कहा कि निर्देशों की अवहेलना करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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    इससे पूर्व शुक्रवार को खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की टीम ने व्रत में इस्तेमाल होने वाले खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता की जांच की थी। अलग-अलग दुकानों में नौ खाद्य पदार्थों के नमूने लिए गए थे। इनमें कुट्टू का आटा, सिंघाड़ा का आटा, रामदाना, सेंधा नमक, ड्राई फ्रूट शामिल हैं।

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    बता दें कि नवरात्र में उपवास के चलते ज्यादातर लोग कुटटू के आटे का प्रयोग करते हैं। इससे पूड़ी, पराठा और पकौड़ी आदि बनाकर उपवास का भोज तैयार किया जाता हे। नवरात्र में बड़ी मात्रा में लोगों को कुटटू के आटे की जरूरत होती है।

    ऐसे में बाजार में दुकानदार काफी पहले से आटा तैयार कराकर रख लेते हैं। इस दौरान सामान्यतया तापमान ज्यादा रहता है। ऐसे में आटे में फंगस होने की आशंका बढ़ जाती है। कुटटू का गर्म भी होता है। ऐसे में कई लोगों की तबियत इसका प्रयोग करने पर बिगड़ जाती हैं।

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    खाद्य सुरक्षा विभाग की जांच में सामने आया है कि लोगों को ज्यादा परेशानी कुटटू का पुराना आटा खाने से होती है। पुराने आटे में फंगस लगी होने के कारण ही लोगों को परेशानी होती है। जिन लोगों को ताजा आटा मिलता है, उनके यहां परेशानी होने की आशंका कम रहती है। वहीं पुराना आटा प्रयोग करने वालों को परेशानी ज्यादा होती है।