UP News: गोरखपुर में बड़ी कार्रवाई, बाल संप्रेक्षण गृह में लापरवाही उजागर होने के बाद अधीक्षक समेत तीन निलंबित
गोरखपुर के राजकीय बाल संप्रेक्षण गृह में अमानवीय स्थिति पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया। क्षमता से अधिक बच्चों को ठूंसे जाने गंदगी और खराब चिकित्सा व्यवस्था पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जनहित याचिका के रूप में सुनवाई शुरू की। शासन ने तत्काल कार्रवाई करते हुए अधीक्षक के.एम. मिश्रा और दो केयर टेकरों को निलंबित कर दिया।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। राजकीय बाल संप्रेक्षण गृह में अमानवीय स्थिति, बच्चों की भीड़, गंदगी और लचर चिकित्सा व्यवस्था को लेकर शासन ने सख्त कदम उठाया है। देवरिया जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव मनोज कुमार तिवारी के निरीक्षण के बाद आई रिपोर्ट और दैनिक जागरण में छपी खबर पर स्वतः संज्ञान लेते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में जनहित याचिका के रूप में सुनवाई शुरू करने का आदेश दिया। इसके तुरंत बाद अधीक्षक केएम मिश्रा और दो केयर टेकरों को निलंबित कर दिया गया।
17 मई को हुए निरीक्षण में सामने आया कि संप्रेक्षण गृह की अधिकतम क्षमता 100 बच्चों की है, लेकिन वहां 257 बच्चों को बेहद तंग कमरों में रखा गया था। एक कमरे में 30 से अधिक बच्चों को ठूंसकर रखा गया।
गंदगी की हालत ऐसी थी कि बाथरूम और डस्टबिन से बदबू आ रही थी। निरीक्षण में यह भी सामने आया कि कई बच्चों को टीबी और चर्म रोग जैसे गंभीर बीमारियां थीं लेकिन इलाज का कोई इंतजाम नहीं था।
जस्टिस शेखर कुमार यादव की पीठ ने मीडिया रिपोर्ट के आधार पर संज्ञान लेते हुए कहा कि यह बच्चों के संवैधानिक अधिकारों का खुला उल्लंघन है। कोर्ट ने इसे गंभीर जनहित का विषय मानते हुए शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।
इसके बाद शासन ने भी मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत एसआइटी गठित कर दी है। जो इस मामले की पूरी गहनता से जांच करेगी।
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