इस रूट पर बढ़ रही रेल लाइन की क्षमता, 130 किमी प्रति घटा की रफ्तार से चलेंगी ट्रेनें Gorakhpur News
गोरखपुर के रास्ते अब वंदे भारत राजधानी और शताब्दी ट्रेनें चलेंगी। इसके लिए तैयारी शुरू हो गई है। रेलवे ट्रैक दुरुस्त किए जाएंगे।
By Edited By: Published: Wed, 03 Jul 2019 08:30 AM (IST)Updated: Wed, 03 Jul 2019 10:58 AM (IST)
गोरखपुर, जेएनएन। पूर्वोत्तर रेलवे के रूटों पर भी वंदे भारत, राजधानी और शताब्दी आदि देश की महत्वपूर्ण गाड़ियां दौड़ेंगी। अधिकतम 110 से 130 किमी प्रति घटा की रफ्तार से चलने वाली इन ट्रेनों के लिए बाराबंकी से छपरा (425 किमी) मुख्य रूट पर रेल लाइन की क्षमता बढ़ाई जाएगी।
इसके लिए रेल लाइन और स्लीपर बदले जाएंगे। रेल लाइनों के बीच के ज्वाइंट समाप्त किए जाएंगे। लूप लाइनों को जोड़ने वाले प्वाइंट पर मजबूत थिक वेब स्वीच लगाए जाएंगे। रफ्तार बढ़ाने और उसे नियंत्रित करने के लिए डिस्टेंट सिग्नल से पहले डबल डिस्टेंट सिग्नल लगाए जाएंगे। रेलवे बोर्ड ने इसकी स्वीकृति भी प्रदान कर दी है। 52 की जगह अब 60 किलो वजन की रेल लाइन पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य रूट बाराबंकी से छपरा तक अभी भी 52 किलो ग्राम वजन की रेल लाइनें लगी हैं। अब इनकी जगह 60 किलो ग्राम वजन की रेल लाइनें लगाई जाएगी। यानी एक मीटर रेल लाइन का वजन 60 किलो होगा।
ऐसे में रेल ट्रैक का वजन सहने की क्षमता बढ़ जाएगी। रेल लाइन जल्दी नहीं घिसेगी जिससे फ्रैक्चर की घटनाओं पर भी अंकुश लगेगा। नीचे पत्थर कम होने पर भी रेल लाइन का आकार नहीं बदलेगा। एक से दूसरे स्टेशन के बीच नहीं होगा कोई गैप संरक्षा और सुरक्षा को देखते हुए एक ब्लाक सेक्शन यानी एक रेलवे स्टेशन से दूसरे स्टेशन के बीच दो रेल लाइनों के बीच कोई गैप नहीं होगा। स्टेशनों के बीच लांग वेल्डेड रेल और कांटीन्यूअल वेल्डेड रेल लगाई जाएंगी। दोनों स्टेशन छोर पर स्वीच एक्शपेंशन ज्वाइंट लगाए जा रहे हैं। इससे बीच वाले गैप समाप्त हो जाएंगे। ऐसे में गैप पर दुर्घटनाएं कम होंगी, साथ ही मरम्मत कार्य भी समाप्त हो जाएगा। एक रेल लाइन 13 मीटर लंबी होती है। पहले दो रेल लाइन जोड़कर 26 मीटर आती थी। अब दस और 20 मीटर रेल लाइन जोड़कर आ रही हैं। प्वाइंटों पर लगाए जाएंगे मजबूत थिक वेब स्वीच मुख्य रेल मार्ग पर पड़ने वाले सभी स्टेशनों के यार्ड में लूप लाइन को जोड़ने वाले प्वाइंट पर मजबूत थिक वेब स्वीच लगाए जाएंगे। यह स्वीच नए आकार में बनाए गए हैं, जिसके नोज बेहद मजबूत हैं। प्वाइंट बदलते समय भी ट्रेनों की रफ्तार पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
वैसे प्वाइंट पर ट्रेनों की रफ्तार कम पड़ जाती है। 26 मई 2014 को चुरेब स्टेशन यार्ड में प्वाइंट पर गोरखधाम एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। डिस्टेंट से पहले लगाए जाएंगे डबल डिस्टेंट सिग्नल बाराबंकी से छपरा के बीच सभी स्टेशनों पर डबल डिस्टेंट सिग्नल लगाए जाएंगे। यह स्टेशन यार्ड के बाहर डिस्टेंट सिग्नल से पहले लगाए जाएंगे। जिसमें सिर्फ पीले और हरे रंग के सिग्नल होंगे, जो लोको पायलटों को पीछे वाले सिग्नलों की स्थिति के बारे में आगाह करेंगे। हरे रंग के सिग्नल पर ट्रेन उसी स्पीड से यार्ड में प्रवेश कर जाएगी। जबकि पीला होने पर लोको पायलट ट्रेन को नियंत्रित कर लेंगे। डबल डिस्टेंट सिग्नल लगाने के लिए रेलवे बोर्ड ने इसकी स्वीकृति भी प्रदान कर दी है। इस संबंध में पूर्वोत्तर रेलवे के सीपीआरओ पंकज कुमार सिंह का कहना है कि वाराणसी और इलाहाबाद रेल मार्ग के बीच 80 किमी रूट पर वंदे भारत ट्रेन 110 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने लगी है। अन्य रेल मार्गो पर भी ट्रेनों की स्पीड बढ़ाई जाएगी। कवायद शुरू हो चुकी है।
इसके लिए रेल लाइन और स्लीपर बदले जाएंगे। रेल लाइनों के बीच के ज्वाइंट समाप्त किए जाएंगे। लूप लाइनों को जोड़ने वाले प्वाइंट पर मजबूत थिक वेब स्वीच लगाए जाएंगे। रफ्तार बढ़ाने और उसे नियंत्रित करने के लिए डिस्टेंट सिग्नल से पहले डबल डिस्टेंट सिग्नल लगाए जाएंगे। रेलवे बोर्ड ने इसकी स्वीकृति भी प्रदान कर दी है। 52 की जगह अब 60 किलो वजन की रेल लाइन पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य रूट बाराबंकी से छपरा तक अभी भी 52 किलो ग्राम वजन की रेल लाइनें लगी हैं। अब इनकी जगह 60 किलो ग्राम वजन की रेल लाइनें लगाई जाएगी। यानी एक मीटर रेल लाइन का वजन 60 किलो होगा।
ऐसे में रेल ट्रैक का वजन सहने की क्षमता बढ़ जाएगी। रेल लाइन जल्दी नहीं घिसेगी जिससे फ्रैक्चर की घटनाओं पर भी अंकुश लगेगा। नीचे पत्थर कम होने पर भी रेल लाइन का आकार नहीं बदलेगा। एक से दूसरे स्टेशन के बीच नहीं होगा कोई गैप संरक्षा और सुरक्षा को देखते हुए एक ब्लाक सेक्शन यानी एक रेलवे स्टेशन से दूसरे स्टेशन के बीच दो रेल लाइनों के बीच कोई गैप नहीं होगा। स्टेशनों के बीच लांग वेल्डेड रेल और कांटीन्यूअल वेल्डेड रेल लगाई जाएंगी। दोनों स्टेशन छोर पर स्वीच एक्शपेंशन ज्वाइंट लगाए जा रहे हैं। इससे बीच वाले गैप समाप्त हो जाएंगे। ऐसे में गैप पर दुर्घटनाएं कम होंगी, साथ ही मरम्मत कार्य भी समाप्त हो जाएगा। एक रेल लाइन 13 मीटर लंबी होती है। पहले दो रेल लाइन जोड़कर 26 मीटर आती थी। अब दस और 20 मीटर रेल लाइन जोड़कर आ रही हैं। प्वाइंटों पर लगाए जाएंगे मजबूत थिक वेब स्वीच मुख्य रेल मार्ग पर पड़ने वाले सभी स्टेशनों के यार्ड में लूप लाइन को जोड़ने वाले प्वाइंट पर मजबूत थिक वेब स्वीच लगाए जाएंगे। यह स्वीच नए आकार में बनाए गए हैं, जिसके नोज बेहद मजबूत हैं। प्वाइंट बदलते समय भी ट्रेनों की रफ्तार पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
वैसे प्वाइंट पर ट्रेनों की रफ्तार कम पड़ जाती है। 26 मई 2014 को चुरेब स्टेशन यार्ड में प्वाइंट पर गोरखधाम एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। डिस्टेंट से पहले लगाए जाएंगे डबल डिस्टेंट सिग्नल बाराबंकी से छपरा के बीच सभी स्टेशनों पर डबल डिस्टेंट सिग्नल लगाए जाएंगे। यह स्टेशन यार्ड के बाहर डिस्टेंट सिग्नल से पहले लगाए जाएंगे। जिसमें सिर्फ पीले और हरे रंग के सिग्नल होंगे, जो लोको पायलटों को पीछे वाले सिग्नलों की स्थिति के बारे में आगाह करेंगे। हरे रंग के सिग्नल पर ट्रेन उसी स्पीड से यार्ड में प्रवेश कर जाएगी। जबकि पीला होने पर लोको पायलट ट्रेन को नियंत्रित कर लेंगे। डबल डिस्टेंट सिग्नल लगाने के लिए रेलवे बोर्ड ने इसकी स्वीकृति भी प्रदान कर दी है। इस संबंध में पूर्वोत्तर रेलवे के सीपीआरओ पंकज कुमार सिंह का कहना है कि वाराणसी और इलाहाबाद रेल मार्ग के बीच 80 किमी रूट पर वंदे भारत ट्रेन 110 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने लगी है। अन्य रेल मार्गो पर भी ट्रेनों की स्पीड बढ़ाई जाएगी। कवायद शुरू हो चुकी है।
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