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अब विधानसभा चुनाव की तैयारी में भाजपा, शक्ति केंद्रों से मिलेगी विपक्षियों को चुनौती

शक्ति केंद्र पार्टी का कोई नया कान्सेप्ट नहीं है। पार्टी नेताओं ने चुनाव की वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए वर्षों के अंतराल के इसे अपने पिटारे से निकाला है। यह केंद्र सेक्टर का स्थान लेंगे जिससे बूथ को ताकत देने का काम किया जाएगा।

By Satish Chand ShuklaEdited By: Published: Thu, 22 Jul 2021 09:45 AM (IST)Updated: Thu, 22 Jul 2021 06:06 PM (IST)
भारतीय जनता पार्टी के चुनाव चिह्न का फाइल फोटो, जेएनएन।

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। पंचायत चुनाव की शानदार सफलता से उत्साहित भाजपा ने अब विधानसभा चुनाव को लेकर मिशन मोड मेें तैयारी शुरू कर दी है। बीते विस चुनाव के मुकाबले बदली परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए चुनावी रणनीति बनाई जा रही है। सत्ताधारी पार्टी के तौर पर इस बार मिलने वाली चुनावी चुनौती से पार पाने को लेकर शीर्ष नेता लगातार माथापच्ची कर रहे हैं। चुनाव के लिए पार्टी की ओर से बनाई जा रही रणनीति में इसकी झलक साफ दिख रही है। विपक्षियों को शक्ति केंद्रों से चुनौती देने का निर्णय इसी माथापच्ची का परिणाम है।

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शक्ति केंद्र द्वारा होगा बूथ समितियों का गठन

शक्ति केंद्र पार्टी का कोई नया कान्सेप्ट नहीं है। पार्टी नेताओं ने चुनाव की वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए वर्षों के अंतराल के इसे अपने पिटारे से निकाला है। यह केंद्र सेक्टर का स्थान लेंगे, जिससे बूथ को ताकत देने का काम किया जाएगा। शक्ति केंद्रों को मजबूत करने की जिम्मेदारी केंद्र प्रभारियों की होगी। मंडल अध्यक्षों और महामंत्रियों की मदद से बूथ समितियों का गठन और उनका सत्यापन शक्ति केंद्र द्वारा किया जाएगा। इन केंद्रों पर भाजपा के 'बूथ जीता तो चुनाव जीता स्लोगन को धरातल पर उतारने का दायित्व होगा। शक्ति केंद्र मंडल और बूथ के बीच की कड़ी होंगे। एक शक्ति केंद्र के जिम्मे चार से पांच बूथों को मजबूत करने का जिम्मा होगा। मंडल अध्यक्ष केंद्रों की कार्यप्रणाली की मानीटरिंग करेंगे और उनके काम का फीडबैक ऊपर के नेताओं को देंगे। बीते दिनों प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में भाजपा के महामंत्री संगठन सुनील बंसल ने शक्ति केंद्रों की जिम्मेदारी से पार्टी पदाधिकारियों को अवगत कराया और चुनाव को देखते हुए केंद्रों की लिए पार्टी की ओर से तय की गई कार्ययोजना की जानकारी दी। कार्ययोजना के मुताबिक शक्ति केंद्र के संयोजक नौ से 15 अगस्त के बीच बूथ समितियों का पुनर्गठन और उसके बाद 15 अगस्त से उनका सत्यापन सुनिश्चित करेंगे।

बड़ों को भी मिलेगी शक्ति केंद्रों की जिम्मेदारी

इस बार के चुनाव में शक्ति केंद्रों की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण होगी, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पार्टी चुनाव करीब आने पर इसकी जिम्मेदारी बड़े पदाधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को भी देने पर विचार कर रही है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक शक्ति केंद्र के दायरे में आने वाले क्षेत्रों में निवास करने वाले पदाधिकारी और जनप्रतिनिधि को उससे जोड़ा जाएगा।

इस के बार वोटों को सहेजने पर जोर

2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने वोटों को हासिल करने के लिए आक्रामक रवैया अख्तियार किया था। ऐसा इसलिए उस बार पार्टी की सूची में कमजोर बूथों की तादाद ज्यादा थी। पर इस बार परिस्थितियों अलग है। सत्ता में आने के बाद बूथों पर पार्टी की साख बढ़़ी है। ऐसे में इस बार पदाधिकािरयों और कार्यकर्ताओं को पार्टी ने बूथों को सहेजने का काम सौंपा है। पार्टी का मानना है कि बूथों पर उनके वोट तो हैं, जरूरत उन वोटों को मतदान केद्रों तक पहुंचाने मात्र की है।


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