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    अभी तक बांधों पर दुरुस्त नहीं हुए रेनकट, मचेगी तबाही

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 03 Jul 2018 07:24 PM (IST)

    अभी तक बांधों पर रेनकट नहीं भरे जा सके हैं, पानी बढा तो तबाही जरूर मचेगी ...और पढ़ें

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    अभी तक बांधों पर दुरुस्त नहीं हुए रेनकट, मचेगी तबाही

    गोरखपुर : बांसगांव तहसील के कौड़ीराम-मलौली बांध में जगह-जगह रेनकट व रैटहोल भरे पड़े हैं। बरसात शुरू होने के साथ ही आमी व राप्ती नदी का जलस्तर बढ़ना शुरू हो गया है। दूसरी ओर बंधों के सुरक्षा व्यवस्था के सरकारी दावे की पोल खुलती जा रही है।

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    लगभग छह किलोमीटर लंबा कौड़ीराम-मलौली बांध टूटा तो दो दर्जन गांवों में तबाही मच सकती है। कहने को तो यह बांध है लेकिन चौरीचौरा एवं बांसगांव विधानसभा सभा क्षेत्र के दर्जनों गांवों की लाइफलाइन है। राप्ती पर बने सोहगौरा-छितहरी पक्के पुल से लोगों का आवागमन बांध पर दिन भर लगा रहता है लेकिन मरम्मत के अभाव में इसकी स्थिति काफी दयनीय हो गई है। बंधे परं उगे झाड़-झंखाड़ स्थिति को नाजुक बनाए हुए हैं। इसमें काफी रैटहोल एवं स्याही के माद छिपे हुए हैं। इस बांध पर लगभग साढ़े तीन किलोमीटर खड़ंजा लगाया गया है लेकिन उसकी स्थिति ऐसी है कि बरसात में लोग गिरकर घायल हो जाते हैं। कुछ लोग मार्ग बदलकर कलानी- देउरवीर का चक्कर काटकर कौड़ीराम या गंतव्य की ओर बढ़ते हैं। लगभग दो किलोमीटर बांध कच्चा है, जहां सूखे समय में धूल व बारिश में कीचड़ लगा रहता है, जिस पर राहगीरों का चलना मुश्किल हो जाता है।

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    टूट चुका है कई बार बांध : वर्ष 1998 व 2001 के अलावा कई बार बांध टूट चुका है। इसके चलते साड़े, मिश्रौली, देउरवीर, जरलही, वस्तुपार, कौड़ीराम, पलहपुर, तिघरा, तेनुआ आदि गांवो में तबाही मचा चुकी है। पुरानी घटनाओं को याद करते ही लोगों की नींद उड़ जा रही है।

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    कटान स्थल पर भी नहीं हुआ बचाव कार्य : इस बंधे से सटे सोहगौरा टीकर गांव के सामने राप्ती नदी अपना तांडव बाढ़ के दिनों में करती है। बाढ़ के कटाव से पुराना बंधा नदी में कट चुका है। बोल्डर पी¨चग का मरम्मत न कराए जाने से बारीगांव, कैथवलिया, सोहगौरा, टीकर गांव के लोग भयभीत हैं। टीकर के नरेंद्र उर्फ गुड्डू मिश्र, विजय पासवान, कैथवलिया के रामनयन दास, सदन चौधरी, सोहगौरा के दुर्गाशंकरराम त्रिपाठी कहते हैं कि बरसात के दिनों में इस बंधे पर चलना ही मुश्किल हो जाता है। बाढ़ के समय मरम्मत का कार्य प्रारंभ होने से धन का अपव्यय होता है। बाढ़ हटते ही जिम्मेदार चैन से बजट का अभाव बताकर सोते हैं। इस संबंध में बाढ़ खंड के अवर अभियंता शशिकांत ¨सह का कहना है कि बारिश से रेनकट हो गए हैं, जिसे भरा जा रहा है। काम हुआ था, लेकिन मिट्टी बह गई। सोहगौरा कटान स्थल के लिए खाली बोरी रखा गया है। जरूरत पड़ने पर इस्तेमाल होगा। बंधे की सुरक्षा के लिए रैटहोल और स्याही के माद घातक हैं।