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डराता ही नहीं, मजबूत पर्यावरण भी बताता है अजगर

वनविभाग के जानकारों का मानना है कि अजगर दलदली भूमि तालाब नाला नदी के किनारे रहने वाला सर्प है। उसकी वजह है कि इसके किनारे अजगर को पर्याप्त मात्रा में भोजन मिल जाता है। दलदली अथवा आद्र्र भूमि(वेटलैंड) पर पक्षी आकर ठहरते हैं।

By Navneet Prakash TripathiEdited By: Published: Sun, 23 Jan 2022 12:50 PM (IST)Updated: Sun, 23 Jan 2022 12:50 PM (IST)
डराता ही नहीं, मजबूत पर्यावरण भी बताता है अजगर
डराता ही नहीं, मजबूत पर्यावरण भी बताता है अजगर। प्रतीकात्‍मक फोटो

गोरखपुर, जितेन्द्र पाण्डेय। गोरखपुर का दक्षिणांचल अजगरों का बसेरा है। इस क्षेत्र में 17 से 18 फीट के अजगर सामान्य रूप से पाये जाते हैं। पिछले दो वर्षों में करीब तीन सौ अजगर को वन विभाग रेस्क्यु कर चुका हैं। अजगर हमें सिर्फ डराता ही नहीं है, बल्कि मजबूत पर्यावरण का संदेश भी देता है। इसकी वजह है अजगर दलदली भूमि, तालाब, नाला, नदी के किनारे रहता है और जहां यह सब होगा, वहां जनजीवन बेहतर होगा। अन्न का भंडार होगा।

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दलदल भूमि में रहते हैं अजगर

वनविभाग के जानकारों का मानना है कि अजगर दलदली भूमि, तालाब, नाला, नदी के किनारे रहने वाला सर्प है। उसकी वजह है कि इसके किनारे अजगर को पर्याप्त मात्रा में भोजन मिल जाता है। दलदली अथवा आद्र्र भूमि(वेटलैंड) पर पक्षी आकर ठहरते हैं। वह आद्र्रभूमि के पास की झाडिय़ों में अपना अंडा भी देते और अजगर इन झाडिय़ों में रहकर आसानी से पक्षियों का शिकार करता है और उनके अंडों को खा जाता है। इतना ही नहीं वह आद्रभूमि के पास वाले खेतों में रहने वाले मेडक, चूहों को भी खा जाता है। यही वजह है कि आद्र्रभूमि, तालाब आदि के किनारे वाले खेतों में गेहूं का उत्पादन अधिक होता है।

चूहों से गेहूं के फसल की रक्षा करता है अजगर

जिला कृषि रक्षा अधिकारी डा.संजय बताते हैं कि माना जाता है कि खेतों में पैदा होने से लेकर घर तक लाने तक में चूहे करीब 10 फीसद अनाज खा जाते हैं, लेकिन गोरखपुर में अजगर के चलते चूहे गेहूं को बड़ा नुकसान नहीं पहुंचा पाते हैं। बता दें जिले में छोटे बड़े मिलाकर कुल 2308 आद्र्रभूमि चिन्हित की गई है और गोरखपुर प्रदेश के पांच सर्वाधिक गेहूं उत्पादन करने वाले जिलों में शामिल है।

यह है आद्रभूमि का महत्व

आद्रभूमि पानी को सहेज कर रखती है। बाढ़ के दौरान आद्र्रभूमि पानी के स्तर को कम बनाए रखने में सहायक होती है। इसमें मौजूद तलछट और पोषक तत्वों को नदी में सीधे जाने से रोकती है। इससे झील, तालाब, नदी में पानी गुणवत्ता बनी रहती है। इसका लाभ वहां रहने वाले जीवों को मिलता है। खेतों की उत्पादकता बेहतर होती है।

विषैला नहीं होता है अजगर

डीएफओ विकास कुमार यादव ने बताया कि अजगर विषैला नहीं होता है। यह बेहद सुस्त किस्म का सर्प है। ऐसे में यह वहां रहना पसंद करता है, जहां इसे आसानी से भोजन मिल जाए। जिले में दलदली, आद्र्रभूमि, नमीयुक्त भूमि की संख्या अधिक है और अगजर को इसके आस-पास ही रहना पसंद हैं। झाडिय़ों में रहने वाले वह जीवों को खाता है। यहां पिछले दो वर्षों में करीब तीन सौ अजगर को बचाया गया है तो यहां आद्र्रभूमि भी बढ़े पैमाने पर है और लोगों को उसका लाभ भी मिल रहा है।


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