Indian Railways: पैसेंजर ट्रेनों में 50 प्रतिशत कम हो गए यात्री, किराया बढ़ने के बाद भी नहीं हो रहा कमाई
गोरखपुर रूट पर चलने वाली पैसेंजर ट्रेनों के टिकट बुकिंग की संख्या काफी कम हो गई है। कोरोनाकाल के बाद से ही इन ट्रेनों में यात्रियों की संख्या नहीं बढ़ रही है। वहीं पैसेंजर ट्रेनों में एक्सप्रेस का किराया लगने के बाद भी आय नहीं हो रही है।

गोरखपुर, प्रेम नारायण द्विवेदी। इसे ट्रेनों की लेटलतीफी कहें या किराए में बढ़ोत्तरी व सुविधाओं का अभाव। कोविडकाल के बाद पूर्वोत्तर रेलवे में सभी एक्सप्रेस व पैसेंजर (सवारी गाड़ी) ट्रेनें चलने लगीं। सबकुछ सामान्य हो गया, लेकिन पैसेंजर ट्रेनों में चलने वाले लोकल (स्थानीय) यात्रियों की संख्या नहीं बढ़ पा रही। पैसेंजर ट्रेनों में लगभग 50 प्रतिशत यात्री कम हो गए हैं। वर्ष 2019 के अक्टूबर व नवंबर के सापेक्ष 2022 में गोरखपुर रूट पर करीब 45 प्रतिशत लोगों ने ही टिकट बुक किया। पैसेंजर ट्रेनों में एक्सप्रेस का किराया लगने के बाद भी आय बढ़ने का नाम नहीं ले रही।
पैसेंजर ट्रेनों को नहीं मिल रहे यात्री
कोविडकाल के पहले गोरखपुर स्थित काउंटरों से 40 से 42 हजार जनरल टिकट बुक होते थे। आज यह संख्या 20 से 22 हजार पर सिमट गई है। गोरखपुर से लखनऊ, वाराणसी, नरकटियागंज और छपरा रेलमार्ग के बीच चलने वाली पैसेंजर ट्रेनों को यात्री नहीं मिल रहे। अधिकतर गाड़ियां खाली चल रही हैं। जानकारों का कहना है कि किसी के पास इतना समय नहीं है कि गोरखपुर से देवरिया करीब 50 किमी दूरी तय करने के लिए पैसेंजर ट्रेन में बैठकर तीन से चार घंटे इंतजार करे। रेलवे ने एक तो पैसेंजर ट्रेन का किराया बढ़ा दिया। न्यूनतम 15 की जगह 30 रुपये लग रहे। ऊपर से सुविधाएं भी नदारद हैं। ट्रेन कब पहुंचेगी कोई नहीं बता सकता। यही कारण है कि रेलवे धीरे-धीरे सवारी गाड़ियों का कान्सेप्ट समाप्त कर रहा है।
पैसेंजर ट्रेनों की जगह फर्राटा भरेंगी मेमू ट्रेनें
आने वाले दिनों में इनकी जगह मेमू ट्रेनें फर्राटा भरेंगी। यही नहीं लंबी दूरी की एक्सप्रेस ट्रेनों में जनरल कोचों की संख्या भी कम होती जा रही। उसकी जगह एसी कोच लगने लगे हैं। कोविडकाल के पहले 10 से 12 की जगह अब एक्सप्रेस ट्रेनों में चार से पांच जनरल कोच लग रहे हैं। यही कारण है कि साधारण टिकट के यात्रियों की संख्या कम होने के बाद भी एक्सप्रेस ट्रेनों में लगने वाले जनरल कोचों में पैर रखने की जगह नहीं बच रही। गोरखपुर से प्रतिदिन चलने वाली गोरखधाम एक्सप्रेस के जनरल कोचों में लोग गलियारे और टायलेट के गेट पर खड़े होकर 12 से 14 घंटे की यात्रा कर रहे हैं। फिर भी जनरल कोच नहीं बढ़ाए जा रहे हैं। कोविडकाल से पहले त्योहारों में लगभग डेढ़ लाख लोग गोरखपुर जंक्शन से आवागमन करते थे। आज यह संख्या 90 हजार से एक लाख पर सिमट गई है। वर्तमान में 70 से 75 हजार लोग आवागमन कर रहे हैं।
एक नजर में जनरल यात्रियों की संख्या व आमदनी
- अक्टूबर 2019- 889098 यात्री व 97262351 रुपये
- नवंबर 2019- 961960 यात्री व 146902985 रुपये
- अक्टूबर 2022- 495249 यात्री व 69999249 रुपये
- नवंबर 2022- 596521 यात्री व 121168126 रुपये
बढ़ते जा रहे लंबी दूरी के यात्री, बढ़ी आरक्षण की मांग
आरक्षित टिकट पर लंबी दूरी की यात्रा करने वाले यात्री बढ़ते जा रहे हैं। दिल्ली व मुंबई जाने के लिए शयनयान और वातानुकूलित श्रेणी के आरक्षण टिकटों की मांग बढ़ती जा रही है। वर्ष 2019 के नवंबर में गोरखपुर आरक्षण कार्यालय से 57463 लोगों ने टिकट लिया, जबकि नवंबर 2022 में 44806 लोगों ने टिकट बुक कराया है। आइआरसीटीसी के वेबसाइट से आनलाइन टिकट बुक कराने वाले लोग अतिरिक्त हैं। गोरखपुर में ही 75 से 80 प्रतिशत लोग ई टिकट पर यात्रा करते हैं।
पिछले माह स्वजन को छोड़ने स्टेशन पहुंच गए 57816 लोग
भले ही लोकल यात्रियों की संख्या कम हो रही है, लेकिन लंबी दूरी जाने वाले यात्रियों को छोड़ने स्टेशन पहुंचने वाले लोगों की संख्या कम नहीं हुई है। पिछले नवंबर में 57816 लोग स्टेशन पहुंचे थे। नवंबर 2019 में 55441 लोगों ने ही प्लेटफार्म टिकट खरीदा था।

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