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    गोरखपुर में जालसाजी का सबसे बड़ा मामला, मिले नए सुराग; सामने आए 50 और संदिग्ध

    Updated: Sun, 16 Nov 2025 04:15 PM (IST)

    गोरखपुर में जालसाजी का एक बड़ा मामला प्रकाश में आया है, जिसमें पुलिस को 50 और संदिग्ध मिले हैं। यह गोरखपुर का सबसे बड़ा जालसाजी मामला माना जा रहा है। जांच में नए सुराग मिले हैं, जिनसे पता चलता है कि कई और लोग शामिल हो सकते हैं। पुलिस ने संदिग्धों की पहचान कर ली है और उनसे पूछताछ जारी है।

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    एजेंट के साथ ही अस्पताल के कर्मचारियों की मिलीभगत की आशंका गहराई. Concept Photo

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। करोड़ों रुपये के इंश्योरेंस फर्जीवाड़े की जांच का लगातार दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। रामगढ़ताल थाना पुलिस को बीमा कंपनी की ओर से 50 और संदिग्ध बीमा धारकों की सूची मिली है, जिनके नाम पर बिना भर्ती किए ही उपचार दिखाकर क्लेम की रकम निकाली गई। पुलिस ने सूची मिलते ही सभी के दस्तावेजों की जांच शुरू कर दी है। दोनों अस्पतालों को नोटिस जारी कर संचालकों को बयान दर्ज कराने के लिए बुलाया गया है।

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    जांच में सामने आया है कि 50 नए संदिग्धों में कई ऐसे लोग शामिल हैं, जिनके नाम पर अस्पतालों ने भर्ती दिखा दी, जबकि अस्पताल रिकार्ड, रजिस्टर और मेडिकल रिपोर्ट में इसका कोई प्रमाण नहीं मिला। बीमा कंपनी का कहना है कि क्लेम पास कराने के लिए फर्जी फार्म, नकली मेडिकल रिपोर्ट और मरीजों के नाम पर खोले गए बैंक खातों का उपयोग किया गया। पुलिस जांच में पहले ही एक संगठित गिरोह की भूमिका उजागर हो चुकी है, जो अस्पतालों में ‘मरीज भर्ती’ दिखाने, नकली बिल बनाने और पूरी क्लेम प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का काम ठीके पर करता था। अब पुलिस इस गिरोह के अन्य सदस्यों और पूरे नेटवर्क की तलाश कर रही है।

    जालसाजी का सबसे बड़ा मामला

    शहर में इंश्योरेंस धोखाधड़ी का यह सबसे बड़ा मामला माना जा रहा है। नौ सितंबर, 2025 को बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस कंपनी ने तहरीर देकर फर्जीवाड़े का खुलासा किया था। जांच में पता लगा कि डिसेंट हास्पिटल और एपेक्स हास्पिटल में फर्जी भर्ती दिखाकर एक करोड़ 80 लाख 672 रुपये क्लेम के नाम पर निकाल लिए गए। बाद में यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि एपेक्स हास्पिटल, जहां दर्जनों मरीजों को भर्ती दिखाया गया था, वह अस्तित्व में ही नहीं है।

    बैंक स्टेटमेंट व अस्पताल रिकार्ड खंगाले जाएंगे

    रामगढ़ताल थाना पुलिस और क्राइम टीम अब फर्जी क्लेम से जुड़े सभी कागजातों, अस्पताल रिकार्ड, बैंक खातों और संदिग्धों की काल डिटेल की गहराई से जांच करेगी। फोरेंसिक टीम को दस्तावेजों की सत्यता की जांच सौंपी जाएगी, ताकि पूरे नेटवर्क को बेनकाब किया जा सके। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह सिर्फ बीमा धोखाधड़ी नहीं बल्कि संगठित आर्थिक अपराध है, जिसका दायरा शहर ही नहीं बल्कि कई जिलों और राज्यों तक फैला हो सकता है।