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    Maha Kumbh 2025: एनईआर ने 14 दिन में 344 स्पेशल ट्रेन चलाकर बनाया रिकॉर्ड, 31 लाख श्रद्धालुओं को भेजा महाकुंभ

    Updated: Wed, 05 Feb 2025 08:55 PM (IST)

    Maha Kumbh 2025 उत्तर पूर्व रेलवे (एनईआर) ने महाकुंभ 2025 में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए 10 जनवरी से 2 फरवरी के बीच महज 14 दिनों में 344 स्पेशल ट्रेनें चलाकर एक नया रिकॉर्ड बनाया है। यह भारतीय रेलवे के इतिहास में पहली बार हुआ है। इन ट्रेनों ने लगभग 35 लाख श्रद्धालुओं को गोरखपुर समेत अन्य स्टेशनों तक पहुंचाया और 31 लाख से अधिक लोगों को महाकुंभ भेजा।

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    Maha Kumbh 2025: आना-जाना मिलाकर 66 लाख लोगों ने रेलवे से किया सफर। जागरण

    जागरण संवादाता, गोरखपुर। Maha Kumbh 2025 महाकुंभ पहुंचे श्रद्धालुओं को बुलाने के लिए पूर्वोत्तर रेलवे (एनईआर) ने प्रयागराज रामबाग और झूसी से गोरखपुर व अन्य स्टेशनों के लिए दस जनवरी से दो फरवरी तक महज 14 दिन में 344 स्पेशल ट्रेनें चलाकर नया रिकॉर्ड स्थापित कर दिया है।

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    भारतीय रेलवे के इतिहास में यह पहली बार हुआ कि पूर्वोत्तर रेलवे ने दो दिन (29 और 30 जनवरी) को महाकुंभ से श्रद्धालुओं को बुलाने के लिए अघोषित 71 स्पेशल ट्रेन चला दी। यह तो सिर्फ स्पेशल ट्रेनों के आंकड़े हैं। इतने दिन में स्पेशल और नियमित सहित कुल 680 ट्रेनें चलाई गईं। यह ट्रेनें तब चलीं जब बनारस से प्रयागराज रेलमार्ग के बीच ट्रेनें सरकती रहीं। मौनी अमावस्या के दौरान तो एक ट्रेन को बनारस से प्रयागराज रामबाग पहुंचने में 40 घंटे तक लग गए थे।

    नियमित ट्रेनें तो पहले से चल रही थीं, लेकिन स्पेशल ट्रेनों को संचालित करने के लिए रेलवे प्रशासन को अलग से रेक तैयार करनी पड़ी। रेक बनाने में ही लगभग अतिरिक्त 6880 कोच की व्यवस्था करनी पड़ी। जानकारों का कहना है कि पूर्वोत्तर रेलवे की ट्रेनों से ही महाकुंभ स्नान करने गए लगभग 35 लाख श्रद्धालुओं ने गोरखपुर समेत अन्य स्टेशनों तक अपनी यात्रा पूरी की।

    Maha Kumbh 2025 मेले में गंगा स्नान में उमड़ी भीड़। भैरव जायसवाल


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    यही नहीं श्रद्धालुओं को महाकुंभ भेजने के लिए भी गोरखपुर सहित पूर्वोत्तर रेलवे के विभिन्न स्टेशनों से प्रयागराज रामबाग और झूसी के लिए 636 ट्रेनें भेजी गईं। इन ट्रेनों से करीब 31 लाख से अधिक लोग महाकुंभ पहुंचे थे। यानी, कुल 1306 ट्रेनों के माध्यम से पूर्वोत्तर रेलवे ने 31 लाख श्रद्धालुओं को महाकुंभ भेजकर 35 लाख श्रद्धालुओं को सकुशल वापस बुला लिया। इन ट्रेनों के परिचालन में लाेको पायलट, ट्रेन मैनेजर, स्टेशन मास्टर और कंट्रोलर ही नहीं परिचालन, सिग्नल, इंजीनियरिंग आदि सहित संबंधित सभी विभागों के

    कर्मचारियों और अधिकारियों ने अहम भूमिका निभाई। मौनी अमावस्या पर श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ने की संभावना पर रेलवे प्रशासन ने पहले से ही प्रयागराज और बनारस के आसपास वाले छोटे स्टेशनों पर 56 खाली रेक खड़ी कर दी थी।

    इसके अलावा पूर्व रेलवे सहित दूसरे जोन से भी रेक और कोच की मांग की थी। खाली रेक और कोचों की संख्या इतनी बढ़ गई कि गोरखपुर जंक्शन पर खड़ा करने के लिए जगह नहीं मिल रही थी। हालांकि, खाली रेकों और कोचों को धीरे-धीरे संबंधित जोन को भेजा जा रहा है।

    संगम में हर हर महादेव...महाकुंभ मेले में गंगा का स्नान के बाद हर हर महादेव जयकारा लगाकर शिवलिंग लेकर गंगा के समक्ष ध्यान लगाती युवती। -भैरव जायसवाल


    डबल लाइन ने बढ़ा दी ट्रेनों की रफ्तार, पुल से बढ़ी गति

    मौनी अमावस्या के दौरान भले ही ट्रेनें बनारस और प्रयागराज के बीच सरकती रहीं। लेकिन बनारस से प्रयागराज के बीच दोहरीकरण और गंगा पर बने रेलवे के नए पुल से होकर ट्रेनें लगातार चलती रहीं। डबल लाइन के चलते ट्रेनों की रफ्तार बढ़ गई। पुल ने ट्रेनों को गति प्रदान की। रामबाग, झूसी और बनारस ही नहीं मुख्यालय गोरखपुर में भी ट्रेनों की मॉनीटरिंग के लिए वार रूम खुला रहा।

    महाप्रबंधक सौम्या माथुर के नेतृत्व में परिचालन सहित संबंधित अन्य सभी विभागों के अधिकारी और कर्मचारी 24 घंटे ट्रेनों को कंट्रोल करते रहे। मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह बताते हैं कि महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर वर्ष 2019 के सापेक्ष इस वर्ष प्रयागराज रामबाग व झूसी से चार गुणा अधिक स्पेशल ट्रेनें चलाई गई हैं। वाराणसी मंडल के बनारस-माधोसिंह-प्रयागराज रेलमार्ग के दोहरीकरण तथा गंगा नदी पर बने पुल के चलते पर्याप्त संख्या में ट्रेनों का संचालन संभव हो पाया है।

    Maha Kumbh Mela 2025 में संगम स्नान करने उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़।-गिरीश श्रीवास्तव


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    डबल इंजन के चलते हर 25 मिनट में चल सकी ट्रेनें

    महाकुंभ में मौनी अमावस्या का स्नान करने पहुंचे श्रद्धालुओं को प्रयागराज से बाहर निकालने में ट्रेनों में लगे डबल इंजन श्रद्धालुओं के खेवनहार बने। ट्रेनों के आगे और पीछे दोनों तरफ इंजन लगने से प्रयागराज रामबाग और झूसी जैसे छोटे स्टेशनों पर विशेष गाड़ियों को वापस संचालित करने में इंजन नहीं बदलना पड़ा।

    इन स्टेशनों पर पहुंची ट्रेनें कम समय में ही श्रद्धालुओं को लेकर वापस हो जा रही थीं। ऐसे में रेलवे प्रशासन ने लगभग हर 25 मिनट में एक स्पेशल ट्रेन चलाकर लाखों श्रद्धालुओं को प्रयागराज से बाहर निकालने में सफल रहा।