महराजगंज जिले के विधानसभा चुनाव में खलल डाल सकती है नेपाली शराब
भारत-नेपाल के सीमावर्ती गांव नेपाली शराब का हब बन गए हैं। ऐसे में विधानसभा चुनावों में नेपाली शराब खलल डाल सकती है। सस्ती होने के कारण नेपाली शराब की खपत भारतीय गांवों में अधिक है। धंधेबाज शराब तस्करी को बड़े ही सुनियोजित तरीके से अंजाम दे रहे हैं।

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। भारत-नेपाल के सीमावर्ती गांव, नेपाली शराब का हब बन गए हैं। ऐसे में विधानसभा चुनावों में नेपाली शराब खलल डाल सकती है। सस्ती होने के कारण नेपाली शराब की खपत भारतीय गांवों में अधिक है। धंधेबाज शराब तस्करी को बड़े ही सुनियोजित तरीके से अंजाम दे रहे हैं। पहले नेपाल की डिस्टलरी फैक्ट्रियों से शराब की खेप सीमा सटे नेपाली गांवों में दुकान की आड़ में डंप की जाती हैं। फिर शराब की पेटियां कैरियरों के माध्यम से भारतीय गांवों में भेज दी जा रही हैं। हालांकि पुलिस व एसएसबी कभी कभार अभियान चलाकर नेपाली शराब की धरपकड़ करती है। बावजूद इसके शराब तस्करी का धंधा थमने का नाम नहीं ले रहा है।
कीमतों में अंतर के कारण भारतीय क्षेत्र में है मांग
नेपाल में माला, उमंग, कर्णाली गोल्ड, इश्क, सौंफी, जूली व लीची नामक देशी ब्रांड की शीशी 25 से 30 रुपये में मिल जाती है। जबकि भारतीय देशी शराब लैला व मिस्टर लाइम 50 से 65 रुपये में मिलती है। कम कीमत की वजह से शौकीनों के बीच नेपाली शराब की मांग अधिक है। भारतीय शराब की तुलना में प्रति शीशी 25 से 35 रुपये के अंतर को शराब तस्कर भुनाने में जुटे हैं और राजस्व को चूना लगा रहे हैं।
इन गांवों से होती है नेपाली शराब की तस्करी
सोनौली कोतवाली क्षेत्र के भगवानपुर, श्यामकाट, शेषफरेंदा, केवटलिया, फरेंदी बाजार, तिलहवा व हरदीडाली गांव के रास्ते नेपाली शराब भारत में आती है। नौतनवा थाना क्षेत्र के सुंडी, आराजी सरकार उर्फ बैरियहवा, छपवा, मुडिला, चंडीथान व संपतिहा गांव के रास्ते शराब की भारी तस्करी होती है।
सीमा पर रखी जा रही है चौकसी
पुलिस अधीक्षक प्रदीप गुप्ता ने बताया कि चुनाव के मद्देनजर बैरियर लगाए जाने के स्थान चिन्हित किए गए हैं। नेपाली शराब को भारत में आने से रोकने के लिए सीमावर्ती थाना व चौकी के पुलिसकर्मियों को निर्देशित किया गया हैं।
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