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    Nepal Bus Accident: प्रत्यक्षदर्शियों ने बयां किया दर्द, कहा- आंखों के सामने अपनों को मरते देखा

    Updated: Sun, 25 Aug 2024 03:24 PM (IST)

    Nepal Bus Accident नेपाल से लौटे श्रद्धालुओं ने पोखरा बस दुर्घटना के भयावह मंजर को याद किया। आंखों के सामने अपनों को मरते देखने का दर्द बयां करते हुए। उन्होंने बताया कि कैसे मदद के लिए चिल्ला रहे साथियों को बचाना मुश्किल था। सेना के त्वरित पहुंचने से घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया और स्वजनों को सूचित किया गया। इस दुखद घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया है।

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    नेपाल से लौटे श्रद्धालुओं ने बयां किया दर्द

    सतीश पांडेय, गोरखपुर। हमने आंखों के सामने अपनों को मरते हुए देखा। यह बहुत भयावह मंजर था। चाहकर भी कुछ कर नहीं पाए। इस भयानक हादसे को वह लोग कभी नहीं भूल पाएंगे। हालांकि, कुछ देर में ही सेना पहुंच गई और त्वरित मदद मिली। घायलों को अस्पताल पहुंचाने के साथ ही उनके स्वजन को फोन से जानकारी दी।

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    नेपाल से शनिवार की रात गोरखपुर पहुंचे श्रद्धालुओं ने भोजन के बाद हादसे के बारे में बताना शुरू किया तो उनके चेहरों पर वह संत्रास एक बार फिर उभर आया, जिसे उन्होंने नियति का क्रूर खेल मानकर सहा था।

    रेलवे स्टेशन पर एलटीटी एक्सप्रेस में लगे विशेष कोच में सवार होकर रवाना होने से पहले सभी ने योगी बाबा व जिला प्रशासन का आभार जताया।

    हादसे के बारे में पूछने पर सबकी आंखे नम

    महाराष्ट्र के भुसावल में रहने वाले किशोर देवराम राणे, दीपक अरुण राणे, सूरज सरोद शनिवार की रात नेपाल से अपने साथियों संग गोरखपुर पहुंचे। हादसे के बारे में पूछने पर सबकी आंखें नम हो गईं।

    धार्मिक यात्रा के बारे में बताया कि चौथी बार सभी लोग एक साथ सफर पर निकले थे। इस जत्थे में शामिल लोग आपस में रिश्तेदार व दोस्त हैं। इससे पहले वह लोग केदारनाथ, बैष्णो देवी व कुल्लू मनाली गए थे।

    इस बार 15 दिन की धार्मिक यात्रा पर 95 लोग 16 अगस्त को ट्रेन पकड़कर प्रयागराज पहुंचे। यहां से केसरवानी ट्रेवल की दो बस व ट्रैवेलर से चित्रकूट, अयोध्या, गोरखनाथ मंदिर होते हुए पोखरा पहुंचे थे।

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    पशुपतिनाथ का दर्शन करने के बाद 29 अगस्त को काशी विश्वनाथ पहुंचना था। वहां से दर्शन कर सभी लोग ट्रेन से भुसावल लौट जाते, पर पशुपतिनाथ पहुंचने से पहले ही पीछे चल रही एक बस खाई में गिर गई। हादसे में 27 लोगों के सांसों की डोर थम गई।

    पांच किलोमीटर आगे पहुंच गई थी एक बस

    सूरज सरोदे ने बताया कि जिस बस में वह लोग सवार थे वह आगे चल रही थी। उसके पीछे दूसरी बस थी जो खाई में गिर गई। हादसे की जानकारी उन लोगों को ट्रैवेलर के चालक इब्राहिम ने दी, वह सबसे पीछे था। जिस जगह पर बस खाई में गिरी, वहां पहुंचा तो देखा कि राहगीर मोबाइल फोन से वीडियो बना रहे हैं।

    रुककर देखा तो पता चला कि जो बस उसके पिता मुस्तफा चला रहे हैं वही खाई में गिरी है। तत्काल मौके पर पहुंचे और खाई में गिरे अपने साथियों को बाहर निकालने में लग गए, इसी बीच नेपाल की सेना पहुंच गई।

    योगी बाबा के निर्देश पर तत्काल नेपाल पहुंचे थे अधिकारी

    जलगांव के रविंद्र पुरुषोत्तम, पंकज सरोद, परेश सर्वदेव ने बताया कि हादसे के बाद उन लोगों को दोनों देश से तत्काल मदद मिली। योगी बाबा के निर्देश पर सोनौली से पहुंचे अधिकारियों ने सभी लोगों के भोजन, होटल में रुकने और घर लौटने का इंतजाम कराया। अधिकारियों की टीम उनके साथ मौजूद रही, जिसकी वजह से नेपाल से गोरखपुर आने में कोई असुविधा नहीं हुई।

    मुस्तैद रहे जनप्रतिनिधि व अधिकारी, रेलवे ने बदला प्लेटफार्म

    नेपाल से श्रद्धालुओं का जत्था रात नौ बजे गोरखपुर क्लब पहुंचा। यहां उनके उपचार, नाश्ता, भोजन व ट्रेन टिकट का इंतजाम किया गया था।महापौर डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव, विधायक विपिन सिंह, एमएलसी डॉ. धर्मेंद्र सिंह के साथ ही भाजपा के नेता इन लोगों के आवभगत में लगे रहे।

    श्रद्धालुओं के लिए रेलवे प्रशासन ने स्टेशन पर पहले से विशेष इंतजाम कर रखा था। एलटीटी एक्सप्रेस में एसी थ्री का अतिरिक्त कोच लगाने के साथ ही इस ट्रेन को प्लेटफार्म नंबर नौ की जगह प्लेटफार्म नंबर दो से रात 10:30 बजे रवाना किया गया।

    ट्रेन तक पहुंचने में श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो इसके लिए स्टेशन डायरेक्टर जेपी सिंह ने बस से ट्रेन तक सामान ले जाने के लिए कुली लगाए थे। सहयोग में मंडल वाणिज्य प्रबंधक एके सुमन, स्टेशन प्रबंधक संजय शर्मा व प्रभारी निरीक्षक आरपीएफ दशरथ प्रसाद मौजूद रहे।

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