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    सिस्टम पर सवाल: यहां ढूंढते रह जाएंगे प्लेटफार्म, एनाउंस सिस्टम भी बदहाल

    Updated: Fri, 07 Nov 2025 08:24 AM (IST)

    गोरखपुर के नकहा जंगल रेलवे स्टेशन पर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम लगने के बाद भी यात्री सुविधाओं का अभाव है। प्लेटफार्मों पर नंबर नहीं हैं, और एनाउंस सिस्टम भी ठीक से काम नहीं करता। शौचालय की कमी है और नौतनवा रूट की ट्रेनों के नकहा जंगल से चलने के कारण यात्रियों को परेशानी हो रही है। यात्री सुविधाओं में सुधार की मांग कर रहे हैं।

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    नकहा जंगल का हाल

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। नकहा जंगल रेलवे स्टेशन पर इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिंग सिस्टम लग गया है। ट्रेनों का संचालन पैनल बटन की जगह कंप्यूटर सिस्टम के (माउस) से होने लगा है। यह स्टेशन गोरखपुर जंक्शन से सीधे दोहरी लाइन (डबल लाइन) से जुड़ गया है। इस स्टेशन से होकर दिल्ली के लिए हमसफर और मुंबई के लिए पनवेल आदि एक्सप्रेस और पूजा स्पेशल ट्रेनें चल रही हैं। लखनऊ और नरकटियागंज रूट की ट्रेनें भी यहीं से बनकर चलने लगी हैं।

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    इसके बावजूद यह स्टेशन उपेक्षित है। गोरखपुर जंक्शन के पास का महत्वपूर्ण स्टेशन होने के बाद भी यात्री सुविधाएं नदारद हैं। इस स्टेशन पर संबंधित अधिकारियों भी नजर नहीं पड़ती। तभी तो उपेक्षित है। अगर आप अचानक प्लेटफार्म पर पहुंच गए तो प्लेटफार्म ढूंढते रह जाएंगे। थोड़ी दूर रहेंगे तो कानों तक ट्रेनों की अपडेट जानकारी भी नहीं पहुंचेगी।

    स्टेशन का एनाउंस सिस्टम (उद्घोषणा प्रणाली) भी बदहाल है। प्रसाधन केंद्रों का अभी अभाव है। मुख्य प्लेटफार्म पर एक शौचालय है, अन्य प्लेटफार्मों पर शौचालय की व्यवस्था नहीं है। नकहा जंगल स्टेशन पर कहने के लिए चार प्लेटफार्म है। लेकिन किस भी प्लेटफार्म पर प्लेटफार्म नंबर अंकित नहीं है।

    स्टेशन पर एनाउंस सिस्टम लगा है, लेकिन अगर यात्री प्लेटफार्म दो, तीन या चार पर खड़े हैं तो उनके कानों तक ट्रेनों की अपडेट सूचना नहीं पहुंच पाती। प्लेटफार्म एक पर ही सिमट कर रह जाती है। यात्रियों में प्लेटफार्मों को लेकर उहापोह की स्थिति बनी रहती है। अक्सर, ट्रेनों को लेकर यात्रियों में अफरातफरी मच जाती है। बीच वाली लाइन पर मालगाड़ी खड़ी होने से यात्रियों की मुश्किलें और बढ़ जाती हैं। मुख्य प्लेटफार्म की गतिविधियां नहीं दिख पाती हैं।

    प्लेटफार्मों को लेकर एक फुट ओवरब्रिज (एफओबी) भी बना है, लेकिन चारों प्लेटफार्मों से सीधे नहीं जुड़ा है। प्लेटफार्मों के शेड भी छोटे हैं। भीड़ बढ़ने पर यात्रियों को खुले आसमान के नीचे ट्रेनों की प्रतीक्षा करनी पड़ती है। यह तब है जब नकहा जंगल से रोजाना बड़ी संख्या में यात्री आवागमन करते हैं।

    यह भी पढ़ें- गोरखपुर के इन बैंकों में लावारिश पड़े हुए हैं 260 करोड़, नहीं है कोई दावेदार

    बढ़नी, गोंडा, लखनऊ, नौतनवा और नरकटियागंज के लिए ट्रेनें भी चलने लगी हैं। नकहा जंगल से नौतनवां के लिए 55069,55071,75115 नंबर की पैसेंजर ट्रेनें चलती हैं। मकर संक्रांति के अवसर पर प्रत्येक वर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु नकहा जंगह से आवाजाही करते हैं।

    रेलवे बोर्ड की पहल पर रेलवे प्रशासन छोटे-बड़े सभी स्टेशनों का पुनर्विकास कर रहा है। यात्री सुविधाएं बेहतर की जा रही हैं। गोरखपुर जंक्शन का ही करीब 500 करोड़ से पुनर्विकास हो रहा है। निर्माण कार्य भी आरंभ हो चुका है।

    नौतनवा के लिए नकहा जंगल में मितली है ट्रेन
    नौतनवा जाने के लिए नकहा जंगल में ट्रेन मिलती है। गोरखपुर जंक्शन से नौतनवा तक चलने वाली 55069, 55071, 75115 नंबर की पैसेंजर ट्रेनें अब नकहा जंगल से चलने लगी हैं। इन ट्रेनों के नकहा जंगल से बनकर चलने से गोरखपुर के अधिकतर यात्रियों की ट्रेन छूट जाती है। वे समय से नकहा स्टेशन नहीं पहुंच पाते। इसको लेकर कैंपियरगंज, रामचौरा, महावनखोर, रावतगंज आदि स्टेशन व हाल्ट से यात्रा करने वाले छात्र, नौकरीपेशा, व्यवसायी और मरीज आदि रेल यात्री परेशान हैं।

    रोजाना गोरखपुर की यात्रा करने वाले रामअधीन, दिव्यांश और प्रहलाद समेत सैकड़ों यात्री नकहा-नौतनवा पैसेंजर ट्रेन को गोरखपुर जंक्शन से चलाने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि नौतनवां रूट पर जाने वाले यात्रियों को नकहा जंगल स्टेशन जाना पड़ता है। नकहा जंगल पहुंचने में देर हो जाती है और ट्रेन छूट जाती है। गोरखपुर जंक्शन से शाम को बढ़नी- नौतनवां तक जाने वाली कोई पैसेंजर ट्रेन नहीं है।