तीन दशक की रोजी-रोटी पर 3 दिन का अल्टीमेटम भारी, नगर निगम ने दुकानें खाली करने के लिए दिया नोटिस
गोरखपुर नगर निगम ने दुकानदारों को दुकानें खाली करने का नोटिस दिया है, जिससे उनकी तीन दशक की रोजी-रोटी खतरे में पड़ गई है। दुकानदारों को सिर्फ तीन दिन का समय मिला है, जिससे वे निराश हैं। निगम का कहना है कि यह कदम शहर के विकास के लिए जरूरी है, जबकि दुकानदार समाधान की तलाश में हैं।

नगर निगम ने दुकानें खाली करने के लिए दिया नोटिस।
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। कचहरी बस स्टैंड के पास नगर निगम की दुकानों को किराए पर लेकर पिछले करीब 33 वर्षों से जीवनयापन कर रहे 38 दुकानदारों के सामने अब आजीविका का गंभीर संकट खड़ा हो गया है। सीएम ग्रिड सड़क निर्माण परियोजना के तहत सड़क चौड़ीकरण की योजना के कारण इन सभी दुकानदारों को नगर निगम ने तीन दिनों में अपनी दुकानें खाली करने के नोटिस दिया है।
निगम के इस कदम ने इन व्यापारियों के सामने जीवन यापन का संकट पैदा हो गया है, जो पीढ़ियों से इसी जगह से अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे थे। दुकानदारों ने धरना प्रदर्शन कर इस फैसले को वापस लेने, उनका पुनर्वास करने के साथ ही छात्रसंघ चौराहा से आंबेडकर चौराहा तक की सड़क की चौड़ाई को भी 18 मीटर करने की मांग की।
बृज किशोर सिंह, नीरज सिंह, शिवराम शर्मा, प्रियरंजन मिश्र समेत अन्य दुकानदारों का कहना है कि वे लंबे समय से नगर निगम को नियमित रूप से किराया देते आ रहे हैं। 30 साल से अधिक समय तक एक ही स्थान पर व्यवसाय करने से उनका एक निश्चित ग्राहक आधार बन गया था, जिससे उनका जीवन सुचारू रूप से चल रहा है।
दुकान खाली करने के आदेश के बाद उनके पास न तो कोई वैकल्पिक जगह है और न ही प्रशासन द्वारा कोई स्पष्ट पुनर्वास योजना बताई गई है। एक प्रभावित दुकानदार ने नम आंखों से कहा कि ‘हमने अपनी पूरी जिंदगी इसी दुकान के भरोसे काट दी। अब इस उम्र में हम कहां जाएंगे? हमारे पास दूसरा कोई हुनर या आय का स्रोत नहीं है।’
दुकानदारों ने नगर निगम और जिला प्रशासन से गुहार लगाई है कि उन्हें उजाड़ने के बजाय पास में ही किसी अन्य स्थान पर स्थायी दुकानें आवंटित की जाएं। साथ ही सीएम ग्रिड सड़क को आंबेडकर चौराहे से शास्त्री चौराहे तक की सड़क की तरह आंबेडकर चौराहे से छात्रसंघ चौराहे की तरह 18 मीटर चौड़ा रखा जाए। इससे कोई भी दुकानदार अपने जीवन यापन के जरिए से वंचित नहीं होगा।
क्या बोले दुकानदार
तीन दशक से इस दुकान के जरिए जीवन यापन कर रहे हैं। अब हमारे सामने रोजी रोटी का संकट आ गया है। शासन प्रशासन को इस विषय पर गंभीरता से सोचना चाहिए। -विनय कुमार सिंह।
1993 में यहां किताब की दुकान खोली थी। यही हमारे जीवन यापन का एक मात्र जरिया है। अब आगे का जीवन कैसे चलेगा, यह सोच रात की नींद भी गायब हो गई है। -सुबोध कुमार मिश्रा।
नगर निगम ने 99 साल की लीज पर यह दुकान आवंटित किया है। अब हमें इस दुकान को खाली करने के लिए कहा गया है। उजाड़ने के साथ निगम को हमारे पुनर्वास का भी सोचना चाहिए। -अभिषेक मणि त्रिपाठी।
सीएम ग्रिड सड़क की चौड़ाई जब 18 मीटर भी रखी गई है तो आंबेडकर चौराहा से छात्रसंघ चौराहा की सड़क की चौड़ाई को इतना ही रखा जाए तो दुकानदार नहीं उजड़ेंगे। -बृजकिशोर सिंह।

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