गोरखपुर में राजस्व वादों का अंबार, संपत्ति पर नाम दर्ज कराने को पसीना बहा रहे 12 हजार से अधिक लोग
गोरखपुर में जमीन बैनामा और वरासत के मामलों में राजस्व वादों का निस्तारण नहीं हो पा रहा है। 12 हजार से अधिक मामले लंबित हैं जिनमें से 600 से अधिक पांच साल से भी ज्यादा समय से अटके हुए हैं। आवेदक तहसीलों के चक्कर लगाकर परेशान हो रहे हैं। कभी कोर्ट नहीं चलती तो कभी कागजों के नाम पर उन्हें दौड़ाया जाता है।
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। राजस्व वादों को लेकर भले ही खूब सख्ती बरती जा रही हो लेकिन साधारण मामलों में भी इनका निस्तारण नहीं हो पा रहा है। जमीन बैनामा कराने या वरासत के आधार पर नाम दर्ज कराने के लिए धारा 34 के तहत राजस्व वाद दाखिल किया जाता है।
45 दिन में इसका निस्तारण हो जाना चाहिए लेकिन जिले में 12 हजार से अधिक मामले ऐसे हैं, जिनका तीन माह बीतने के बाद भी निस्तारण नहीं किया जा सका है।
आवेदक तहसीलों का चक्कर लगाकर चप्पलें घिसने को मजबूर हैं। कभी कोर्ट नहीं चलती तो कभी कागजों के नाम पर उन्हें दौड़ाया जाता है। मामला सही नहीं है तो आवेदक खारिज करने की बात भी करते हैं लेकिन उसका कोई असर नहीं दिखता।
विभिन्न तहसीलों में यह है निस्तारण की स्थिति
तहसील | तीन माह से अधिक समय से लंबित | पांच वर्ष से अधिक समय से लंबित |
कैंपियरगंज | 257 | 17 |
खजनी | 2133 | 76 |
गोला | 1676 | 86 |
चौरी चौरा | 402 | 32 |
बांसगांव | 919 | 01 |
सदर | 5255 | 340 |
सहजनवा | 1600 | 49 |
नोट : आंकड़े 28 सितंबर तक के हैं।
नंबर गेम
- जिले में तीन महीने से अधिक समय से लंबित मामले : 12,244
- जिले में पांच वर्ष से अधिक समय से लंबित मामले : 603
- सदर तहसील में लंबित हैं सबसे अधिक मामले : 5255
- कैंपियरगंज में सबसे कम लंबित मामले : 257
- लंबित वादों में तीन माह का समय पूरा कर चुके मामले : 73 प्रतिशत
- पांच साल से अधिक समय से लंबित वादों का प्रतिशत : 04
राजस्व वादों के निस्तारण के लिए नियमित रूप से निगरानी की जा रही है। नामांतरण के मामले में भी जितने वाद दाखिल हैं, उसके मुकाबले बड़ी संख्या में वाद निस्तारित हो चुके हैं। जिन मामलों में कुछ आपत्ति होती है, उनके निस्तारण में समय लगता है लेकिन उसे भी जल्द से जल्द निस्तारित कराने का प्रयास है।
-पुरुषोत्तम दास गुप्ता, अपर जिलाधिकारी प्रशासन
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