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बाल गृह कांड: मोहन तिवारी को उच्च न्यायालय से मिली जमानत

उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राजवीर सिंह ने मोहन की तीसरी जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए पांच शर्त के साथ जमानत दे दिया है। दो जमानतदार व व्यक्तिगत बंध पत्र दाखिल करने के बाद रिहा करने का निर्देश दिया गया है।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Mon, 26 Oct 2020 05:45 PM (IST)Updated: Mon, 26 Oct 2020 05:45 PM (IST)
बाल गृह कांड: मोहन तिवारी को उच्च न्यायालय से मिली जमानत
कोर्ट से मिली जमानत का प्रतीकात्‍मक फाइल फोटो।

गोरखपुर, जेएनएन। देवरिया जिले के चर्चित बाल गृह बालिका कांड के आरोपित मोहन तिवारी को 26 माह बाद उच्च न्यायालय से राहत मिल गई है। उच्च न्यायालय ने जमानत मंजूर करते हुए रिहा करने का आदेश जारी किया है। मुख्य आरोपित समेत अन्य आरोपितों की पहले ही इस मामले में जमानत मिल चुकी है और सभी आरोपित जमानत पर जेल से बाहर हैं।

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दो साल पहले हुआ था मामले का पर्दाफाश

पांच अगस्त 2018 को बाल गृह बालिका कांड के पर्दाफाश के बाद उसी रात पुलिस ने मुख्य आरोपित गिरिजा त्रिपाठी व मोहन तिवारी को गिरफ्तार कर अगले ही दिन जेल भेज दिया था। मुख्य आरोपित गिरिजा त्रिपाठी, कंचनलता, प्रदीप तिवारी समेत अन्य आरोपितों को पहले ही उच्च न्यायालय के आदेश पर रिहा किया जा चुका है, जबकि सह आरोपित मोहन तिवारी 26 माह से जिला कारागार में बंद है। उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राजवीर सिंह ने मोहन की तीसरी जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए पांच शर्त के साथ जमानत दे दिया है। दो जमानतदार व व्यक्तिगत बंध पत्र दाखिल करने के बाद रिहा करने का निर्देश दिया गया है।

सीबीआइ कर रही मामले की जांच

इस कांड का पहले देवरिया पुलिस ने जांच की। इसके बाद एसआइटी गठन कर जांच कराया गया। अब मामले की जांच सीबीआइ कर रही है। अधिकांश लोगों का इस मामले में सीबीआइ ने बयान भी दर्ज कर लिया है।


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