बड़े काम का है यह पौधा, रोगों से लडऩे की बढ़ाता है क्षमता
अश्वगंधा चिकित्सा पद्धति में एक महत्वपूर्ण पौधा है। इसमें मौजूद ऑक्सीडेंट आपके इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है। यह व्हाइट और रेड ब्लड सेल्स दोनों को बढ़ाता है।
गोरखपुर, जेएनएन। अश्वगंधा, जिसे वनस्पति विज्ञान की भाषा में विथानिया सोमनीफेरा कहते हैं, चिकित्सा पद्धति में एक महत्वपूर्ण पौधा है। इसमें मौजूद ऑक्सीडेंट आपके इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है। यह व्हाइट और रेड ब्लड सेल्स दोनों को बढ़ाता है, कई गंभीर शारीरिक समस्याओं के समाधान में यह लाभदायक है।
गोरखपुर विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रो. वीएन पांडेय के अनुसार विदानिया कुल की विश्व में 10 तथा भारत में दो प्रजातियां पाई जाती हैं। चिकित्सा पद्धति में अश्वगंधा की मांग बढ़ती जा रही हैं।
इसकी भारत में खेती की जा रही है। इसके पौधे सीधे, शाखित, सदाबहार तथा झाड़ीनुमा 50-125 सेमी लंबे होते हैं। पत्तियां रोमयुक्त, अंडाकार होती हैं। फूल हरे, पीले तथा छोटे होते हैं। इसका फल बेरी पकने पर लाल रंग का होता है। जड़ें 30-45 सेमी लंबी और 2.5-3.5 सेमी मोटी होती हैं। इसकी जड़ों में 0.13 से 0.31 फीसद तक एल्केलाइड पाई जाती है। इसकी जड़ें शक्तिवर्धक, शुक्राणुवर्धक एवं पौष्टिक होती हैं। जड़ों से बना चूर्ण खांसी एवं अस्थमा के इलाज में बेहद कारगर है। श्वेत प्रदर, रक्तस्राव, गर्भपात आदि में जड़े लाभकारी होती हैं।
यही नहीं तंत्रिका तंत्र, गठिया तथा जोड़ संबंधी दर्द में भी आरामदायक हैं। नपुंसकता की स्थिति में इसकी जड़ का दूध के साथ सेवन करने से काफी लाभ मिलता है। बलुई दोमट अथवा हल्की लाल मृदा, खेती के लिए उपयुक्त होती है। यह खरीफ फसल है। फसल की बोआई कतार या छिटकवां विधि से की जाती है। अश्वगंधा मानसिक तनाव जैसी गंभीर समस्या को ठीक करने में भी लाभदायक है।
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