महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय में औषधीय पौधों का उद्यान, फार्मेसी में औषधियों का उत्पादन; रोगियों को उपचार में बड़ी राहत
महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय में औषधीय पौधों का उद्यान स्थापित किया गया है। फार्मेसी में औषधियों का उत्पादन शुरू होने से रोगियों को उपचार में बड़ी राहत मिलेगी। अब मरीजों को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण दवाएं मिल सकेंगी, जिससे उन्हें बेहतर इलाज प्राप्त होगा। यह विश्वविद्यालय औषधीय पौधों का केंद्र बन गया है।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय में औषधीय पौधों का एक विशाल उद्यान तैयार किया गया है। इस उद्यान का उद्देश्य केवल पौधों की सुंदरता प्रस्तुत करना नहीं है, बल्कि आयुर्वेदिक औषधियों के महत्व और उनके उपयोग के प्रति आम जनता और विद्यार्थियों में जागरूकता बढ़ाना भी है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रत्येक पौधे के पास उसका नाम और औषधीय गुणों का विवरण बोर्ड पर लिखवाया है, जिससे लोग पौधों को देखकर आसानी से उनकी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
उद्यान में लगभग दो सौ से अधिक प्रजातियों के सात हजार से अधिक पौधे लगाए गए हैं। लगाए गए प्रमुख औषधीय पौधों में हिमालय में पाए जाने वाले वचा, रूद्राक्ष, पारिजात, लाल चंदन, अश्वगंधा, मधुमेहारी, तुलसी, नीम, हरड़, आंवला, भृंगराज, गुड़हल, गिलोय, शतावरी, पीपल और कई अन्य पौधे शामिल हैं। इन पौधों का चयन वैज्ञानिक दृष्टिकोण से किया गया है ताकि विश्वविद्यालय में आयुर्वेदिक शोध एवं शिक्षा के लिए यह एक आदर्श स्रोत बन सकें। प्रत्येक पौधे के पास लगे बोर्ड में उसके वैज्ञानिक नाम, आम नाम, उपयोग और औषधीय गुणों का उल्लेख किया गया है। इस प्रकार यह उद्यान न केवल विद्यार्थियों के लिए अध्ययन का माध्यम बन रहा है, बल्कि स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए भी ज्ञानवर्धक स्थल बन गया है।
विश्वविद्यालय के कुलपति डा. के रामचंद्र रेड्डी ने बताया कि इस उद्यान में लगाए गए औषधीय पौधों का उपयोग शोध एवं औषधि निर्माण दोनों में किया जाएगा। यहां की फार्मेसी में इन पौधों से प्राकृतिक आयुर्वेदिक औषधियों का उत्पादन भी होगा। फार्मेसी विभाग में आधुनिक उपकरणों का उपयोग करते हुए आयुर्वेदिक दवाओं की उत्पादन प्रक्रिया को वैज्ञानिक रूप से संचालित किया जा रहा है। अश्वगंधा, मधुमेहारी, सतावरी, त्रिफला इत्यादि का चूर्ण बनाया जा रहा है।
अश्वगंधा विश्वविद्यालय में सबसे प्रमुख पौधों में से एक है। इसे जीवन शक्ति बढ़ाने, तनाव कम करने और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए जाना जाता है। इसके अतिरिक्त मधुमेहारी का उपयोग मधुमेह के रोगियों के लिए लाभकारी माना जाता है। इन पौधों से तैयार औषधियां न केवल स्थानीय स्तर पर वितरित की जा रही हैं, बल्कि भविष्य में अन्य राज्यों के अस्पतालों और आयुष केंद्रों में भी उपलब्ध कराई जाएंगी। इससे स्थानीय किसानों को रोजगार बढ़ाने में मदद मिलेगी। पौधों को उगाने के लिए उनको प्रोत्साहित किया जाएगा।
चिकित्सक बताते हैं कि इन औषधियों का निर्माण पूरी तरह से प्राकृतिक विधि से किया जा रहा है और किसी प्रकार का रासायनिक मिश्रण नहीं डाला जाता है। उद्यान और फार्मेसी दोनों ही शिक्षा और स्वास्थ्य दोनों के क्षेत्र में योगदान दे रहे हैं। यहां आकर लोग पौधों की पहचान, उनके गुण, उपयोग और औषधि निर्माण की प्रक्रिया भी जान सकते हैं। कुलपति ने बताया कि शिक्षा को बढ़ावा देने के साथ-साथ आयुर्वेदिक औषधियों की गुणवत्ता और उपयोगिता के प्रति समाज में विश्वास पैदा करना भी है। उन्होंने कहा कि औषधीय पौधों का यह उद्यान विद्यार्थियों के लिए एक जीवंत प्रयोगशाला के रूप में कार्य करेगा और उन्हें प्राकृतिक चिकित्सा और औषधि निर्माण के व्यावहारिक अनुभव से परिचित कराएगा।
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