मैलानी-नानपारा 170 किमी छोटी रेल लाइन 'हेरिटेज' घोषित, पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
रेल मंत्रालय ने मैलानी-नानपारा छोटी रेल लाइन को हेरिटेज घोषित किया है, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। पूर्वोत्तर रेलवे की सभी लाइनें अब बड़ी हो चुकी हैं, विद्युतीकरण भी पूरा हो गया है। नेपालगंज रोड स्टेशन के जुड़ने से गोरखपुर, लखनऊ से नेपालगंज तक ट्रेनों का परिचालन हो सकेगा, जिससे तराई क्षेत्र का आर्थिक विकास होगा। 1980 तक छोटी लाइन के रूप में जाना जाने वाला पूर्वोत्तर रेलवे अब पूरी तरह से बड़ी लाइन में परिवर्तित हो चुका है।

अब गोरखपुर और लखनऊ से नेपाल सीमा तक दौड़ेंगी ट्रेनें,
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। रेल मंत्रालय की पहल पर रेलवे बोर्ड ने पूर्वोत्तर रेलवे के दुधवा वन क्षेत्र में पड़ने वाली मैलानी-नानपारा 170 किमी छोटी रेल लाइन को हैरिटेज रेल लाइन (विरासत रेल लाइन) घोषित कर दिया है। पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से रेलवे बोर्ड ने इस लाइन को इको टूरिज्म के लिए संरक्षित कर लिया है।
इसके साथ ही पूर्वोत्तर रेलवे के सभी लगभग 3300 रूट किमी रेल लाइनें छोटी से बड़ी हो गई हैं। इन रेलमार्गों का विद्युतीकरण भी पूरा हो चुका है। इन रेल लाइनों पर इलेक्ट्रिक इंजनों से ही ट्रेनें चल रही हैं। पूर्वोत्तर रेलवे में पड़ने वाले सभी क्षेत्र देश के ब्राड गेज (बड़ी लाइन) रेल नेटवर्क से जुड़ गए हैं। निर्बाध ट्रेनों के संचालन के साथ पर्यावरण भी संरक्षित हो रहा है।
19 सितंबर 2025 को बहराइच-नेपालगंज अंतिम छोटी रेल लाइन भी बड़ी लाइन में परिवर्तित हो गई। नेपाल सीमा स्थित नेपालगंज रोड स्टेशन भी पूर्वोत्तर रेलवे के नेटवर्क से जुड़ गया। इसके साथ ही पूर्वोत्तर रेलवे की सभी लाइनें छोटी से बड़ी हो गई। अब गोरखपुर, लखनऊ, गोंडा और बहराइच होते हुए नेपालगंज रोड तक ट्रेनों का परिचालन हो सकेगा।
रेलवे प्रशासन ने गोरखपुर और लखनऊ से गोंडा और बहराइच होते हुए नेपाल सीमा के नेपालगंज रोड तक ट्रेन चलाने की तैयारी आरंभ कर दी है। पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह बताते हैं कि नेपालगंज रोड तक बड़ी रेल लाइन बिछने से तराई क्षेत्र की आर्थिक विकास को गति मिलेगी। पूर्वोत्तर रेलवे अब छोटी लाइन नहीं रह गई है। सभी लाइनें बड़ी हो गई हैं। साथ ही शत-प्रतिशत रेलमार्गों का विद्युतीकरण भी हो चुका है।
दरअसल, वर्ष 1980 तक पूर्वोत्तर रेलवे को छोटी लाइन के नाम से ही जाना जाता रहा। यद्यपि, सत्तर के दशक से आमान परिवर्तन का कार्य आरंभ हो चुका था। वर्ष 1981 में गोरखपुर के रास्ते लखनऊ से छपरा तक करीब 425 किमी रेलमार्ग का आमान परिवर्तन पूरा हो गया। पहली बार पूर्वोत्तर रेलवे का यह मुख्य रेलमार्ग छोटी से बड़ी रेल लाइन के रूप में बदला था।
जानकारों का कहना है कि 15 दिसंबर, 1886 में गोंडा-बहराइच-नानपारा-नेपालगंज रोड तक छोटी रेल लाइन का निर्माण पूरा हुआ था। इसी दिन से ट्रेनों का संचालन भी शुरू हो गया। लखनऊ-गोंडा-गोरखपुर-छपरा रेलमार्ग छोटी से बड़ी लाइन रेल लाइन होने के बाद गोंडा से बहराइच रेलखंड का भी आमान परिवर्तन हो गया।
बहराइच से नानपारा होते हुए नेपालंज रोड तक आमान परिवर्तन का कार्य शेष रह गया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 10 मार्च, 2024 को बहराइच-नानपारा-नेपालगंज रोड तक आमान परिवर्तित रेलमार्ग का शिलान्यास किया था। यह आमान परिवर्तन भी अब पूरा हो गया।
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