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    पूर्वांचल में शिक्षा व्यवस्था का वटवृक्ष है महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद, किराए के मकान से शुरू हुई थी यात्रा

    By Jagran NewsEdited By: Pragati Chand
    Updated: Sat, 03 Dec 2022 11:59 AM (IST)

    पूर्वांचल में शैक्षिक पुनर्जागरण के लिए महंत दिग्विजयनाथ ने 1932 में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की स्थापना की थी। परिषद का सफर प्राथमिक शि ...और पढ़ें

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    Gorakhpur News: महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय। (फाइल फोटो)

    गोरखपुर, जागरण संवाददाता। वर्तमान समय में पूर्वी उत्तर प्रदेश को एजुकेशन हब या शिक्षा की समृद्ध बगिया कहें तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। शिक्षा के इस बगिया में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद वटवृक्ष की तरह नजर आता है। गोरक्षपीठ की तीन पीढ़ियों द्वारा के प्रयास परिषद का विस्तार से प्राथमिक शिक्षा से लेकर निजी विश्वविद्यालय तक हो चुका है। इस परिषद का 90वां स्थापना वर्ष धूमधाम से मनाने की तैयारी चल रही है। ऐसे में परिषद की उपलब्धियों की चर्चा मौजू है।

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    महंत दिग्विजयनाथ ने रखी थी एमपी शिक्षा परिषद की नींव

    गोरखपुर समेत समूचे पूर्वी उत्तर प्रदेश में शैक्षिक पुनर्जागरण के लिए गोरक्षपीठ के तत्कालीन पीठाधीश्वर महंत दिग्विजयनाथ ने 1932 में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की नींव रखी थी। उनके शिष्य ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ उनके इस अनुष्ठान को बखूबी आगे बढ़ाया। अब वर्तमान पीठाधीश्वर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की देखरेख में परिषद शैक्षिक सेवाओं की ऊंचाई प्राप्त कर रहा है। महायोगी गुरु गोरखनाथ विश्वविद्यालय शिक्षा परिषद का विस्तृत पड़ाव है, जो योगी आदित्यनाथ के विशेष प्रयास और शिक्षा के प्रति समर्पित सोच से संभव हो सका। यहां यह चर्चा भी जरूरी है कि आजादी के बाद प्रदेश में स्थापित होने वाले पहले विश्वविद्यालय यानी दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की स्थापना में भी परिषद महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इसकी स्थापना का श्रेय महंत दिग्विजयनाथ को जाता है।

    किराए के मकान से शुरू हुई थी परिषद की यात्रा

    शिक्षा परिषद की शैक्षिक यात्रा किराए के मकान से शुरू हुई। महंत दिग्विजयनाथ ने बक्शीपुर में किराए का मकान लेकर 1932 में इसकी नींव रखी। 1935 में जूनियर हाईस्कूल की मान्यता मिली और 1936 से हाईस्कूल तक की भी पढ़ाई शुरू हो गई। इस बीच महंत दिग्विजयनाथ के प्रयास से सिविल लाइंस में जमीन मिल गई और हाईस्कूल वहां शिफ्ट हो गया। महाराणा प्रताप के नाम शुरू हुआ शैक्षिक जागरण का प्रकल्प इंटर कालेज होते हुए 1949-50 में डिग्री कालेज तक पहुंचा। 1958 में महंत दिग्विजय नाथ ने अपने द्वारा स्थापित महाराणा प्रताप डिग्री कालेज को विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु समर्पित कर दिया। उनके बाद उमहंत अवेद्यनाथ ने शिक्षा परिषद के जरिये ज्ञान के प्रसार का क्रम आगे बढ़ाया।

    योगी आदित्यनाथ ने कई आयामों से दिया विस्तार

    महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद का प्रबंधकीय दायित्व संभालने के बाद योगी आदित्यनाथ ने इसके ज्ञानदायी कार्यक्षेत्र को कई आयामों से विस्तार दिया है। वर्तमान में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के अंतर्गत प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा, अंग्रेजी, संस्कृत, तकनीकी शिक्षा (पालीटेक्निक), पैरामेडिकल (नर्सिंग) के दर्जनों संस्थान संचालित हैं। परिषद द्वारा संचालित शिक्षण संस्थानों का कार्यक्षेत्र गोरखपुर के अलावा महराजगंज, देवीपाटन और वाराणसी तक है।

    संस्थापक सप्ताह समारोह का शुभारंभ कल से

    महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के संस्थापक सप्ताह समारोह का शुभारंभ 4 दिसंबर को सुबह शोभायात्रा के साथ होगा। उद्घाटन अवसर पर महाराणा प्रताप इंटर कालेज के मैदान पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भारतीय वायुसेना के पूर्व एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया होंगे।