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    महराजगंज जिला अस्पताल का व्यवस्था बदहाल, एक बेड पर चल रहा दो से तीन नवजातों का इलाज

    महराजगंज जिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में तीन बेड खराब पड़े हैं। जबकि 23 बेड पर 42 नौनिहालों का उपचार किया जा रहा है। आलम यह है कि एक बेड पर दो से तीन बच्चों को रखा गया है। इनकी संख्या और बढ़ती ही जा रही है।

    By Pragati ChandEdited By: Updated: Fri, 13 May 2022 08:50 AM (IST)
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    महराजगंज जिला अस्पताल का व्यवस्था बदहाल। (फाइल फोटो)

    गोरखपुर, जेएनएन। महराजगंज जिला अस्पताल के सिक एंड न्यू बार्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) वार्ड में नौनिहालों को भर्ती करने के लिए बेड कम पड़ जा रहे हैं। एक बेड पर दो से तीन नवजातों का उपचार किया जा रहा है। यह वह नवजात हैं, जिनका जन्म के समय वजन कम है, अथवा पीलिया या सांस फूलने की समस्या ग्रसित हैं। जिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में 26 बेड हैं, लेकिन तीन बेड महीनों से खराब हैं। वर्तमान में लगातार नवजात मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है।

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    इन शिशुओं को किया जाता है भर्ती: इस वार्ड में जन्म लेने के साथ सांस फूलने, जांडिस, दूध नहीं पीने, निर्धारित वजन से कम, नौ माह के पहले जन्म लेने, अविकसित शिशुओं को भर्ती कर इलाज किया जाता है। इनमें कई ऐसे नवजात होते हैं, जिन्हें जन्म के बाद से लगभग आठ से 10 दिनों के लिए इसमें रखना पड़ता है। आए- दिन कम से कम आठ से दस नवजात इस तरह के आ रहे हैं। गुरुवार को यहां 42 नवजात भर्ती मिले। एक बेड पर दो से तीन नवजातों को भर्ती कर इलाज करने से संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है।

    महराजगंज के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. एएम भाष्कर ने बताया कि एसएनसीयू का विस्तार हुआ है। इसमें अब 26 बेड हो गए हैं। उपलब्ध संसाधनों में भी बेहतर चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। जिला अस्पताल पर लोगों का विश्वास बढ़ा है। इसलिए रोगी यहां बढ़ी संख्या में पहुंच रहे हैं।

    एसएनसीयू वार्ड के नोडल अधिकारी डा. विशाल चौधरी ने कहा कि बच्चों को सबसे अधिक बीमारी तापमान बदलाव से होती है। ऐसी स्थिति में एसएनसीयू वार्ड का वातानुकूलित माहौल नवजात के स्वास्थ्य के लिए प्रभावी होता है। निश्चित तापमान में रख कर बच्चों का इलाज करने से वह जल्दी ठीक हो जाते हैं। सावधानी बरतकर उनका इलाज किया जा रहा है।