महारविवार व प्रदोष व्रत आज
गोरखपुर : रविवार व्रत तो आमतौर पर एक माह में चार बार आता है लेकिन महारविवार व्रत वर्ष में क ...और पढ़ें

गोरखपुर : रविवार व्रत तो आमतौर पर एक माह में चार बार आता है लेकिन महारविवार व्रत वर्ष में केवल एक बार आता है, जो तीन सितंबर को है। इस दिन अमृत नाम का महाऔदायिक योग महारविवार व्रत को और अधिक पुण्यदायी बना देगा। सायंकाल त्रयोदशी तिथि होने से इसी दिन प्रदोष व्रत भी किया जाएगा।
ज्योतिषाचार्य पं. शरदचंद्र मिश्र ने बताया कि पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान सूर्य का जन्म भाद्रपद मास की सप्तमी को हुआ था और उस दिन रविवार था। इसलिए सप्तमी तिथि के पश्चात जिस दिन रविवार आता है, उसी दिन भगवान सूर्य की कृपा के लिए महारविवार व्रत किया जाता है। इस दिन सूर्य से संबंधित मंत्र व स्तोत्र के पाठ का अत्यधिक महत्व है।
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इस व्रत में क्या करें
-इस दिन व्रती को नमक का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
-दिन में एक समय सायंकाल बिना नमक के भोजन ग्रहण किया जा सकता है, जो केवल एक ही अन्न का बना हो। कुछ लोग फलाहार पर भी रहते हैं।
-रात्रि में जल ग्रहण नहीं किया जाता है।

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