Lumpy Skin Disease: क्या हैं लंपी चर्म रोग के लक्षण, बीमारी के प्रकोप में आने पर क्या करें- क्या न करें पशुपालक?
लंपी चर्म रोग के तेजी से फैलने को लेकर गोरखपुर के जिलाधिकारी ने पशु बाजार बंद करा दिए हैं। साथ ही उन्होंने अगले आदेश तक जिले के गोवंशों को बाहर ले जाने व अन्य स्थानों से लाने पर प्रतिबंध रहेगा।

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। गोवंश व भैंस में तेजी से फैल रही लंपी चर्म रोग को लेकर जिलाधकारी कृष्णा करुणेश ने जिले में लगने वाले पशु बाजारों को अगले आदेश तक के लिए बंद करा दिया है। उन्होंने कहा है कि अगले आदेश तक पशुओं को न जिले के बाहर ले लाया जा सकेगा और न बाहर से पशु लाए जा सकेंगे।
रोकथाम को लेकर की गई बैठक
बीमारी की रोकथाम को लेकर विकासभवन सभागार में जिले के सभी उप पशु चिकित्साधिकारी, पशु चिकित्साधिकारी व सभी खंड विकास अधिकारियों की बैठक आयोजित की गई। बैठक में जिलाधिकारी ने कहा कि सभी गो आश्रय स्थलों के लिए ब्लाक स्तर पर खंड विकास अधिकारी सेक्टर मजिस्ट्रेट व तहसील स्तर पर उप जिलाधिकारी जोनल मजिस्ट्रेट की भूमिका निभाएंगे। ब्लाक स्तर पर सभी उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, पशुचिकित्साधिकारियों को संबंधित क्षेत्र का नोडल बनाया गया है। बैठक के दौरान पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के जरिये बताया गया कि किस तरह से गोवंश व भैस में यह बीमारी बढ़ रही है।
गोवंश में रोग के लक्षण
- लंपी एक विषाणु जनित चर्म रोग है। इसका संक्रमण जानवरों से मनुष्यों में नहीं फैलता है।
- इसमें पशु को तेज बुखार, आंख-नाक से पानी गिरता है। पैरों में सूजन, कठोर व चपटी गांठ से शरीर का ढक जाती है।
- सांस लेने में कठिनाई होती है। वजन घटता है। शरीर कमजोर होता है। गर्भपात या दूध का कम हो जाता है।
क्या करें
- निकटतम पशु चिकित्साधिकारी को तत्काल सूचित करें।
- प्रभावित पशु को स्वस्थ पशुओं से अलग करें।
- प्रभावित पशु का आवागमन प्रतिबंधित करें।
- पशुओं को सदैव स्वच्छ पानी पिलाएं। प्रभावित पशु के दूध को उबालकर पीएं।
- मच्छरों, मक्खियों, किलनी आदि से बचाने के लिए कीटनाशक का प्रयोग करें।
- पशुबाड़े, गोशाला, पशु-खलिहान में फिनायल, सोडियम हाइपो क्लोराइट का छिड़काव करें।
क्या न करें
- पशुओं को सार्वजनिक चारागाह में न भेजें। पशु मेला व प्रदर्शनी में पशुओं को न भेजें।
- पशुओं के शव को खुले में न फेकें। वैज्ञानिक विधि से दफनाएं।
- बीमारी एवं स्वस्थ पशुओं को एक साथ चारा-पानी न कराएं।
- रोगी पशु का दूध बछड़े को न पिलाएं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।