Move to Jagran APP

अकेलापन व उपेक्षा महिलाओं में ला रही उदासी व घबराहट, पुरुषों से चार गुना ज्यादा महिलाएं उदासी की शिकार

गोरखपुर ज‍िला अस्‍पताल में सर्वाधिक महिलाएं उदासी व घबराहट की शिकायत लेकर आ रही हैं। विशेषज्ञों के अनुसार उदासी व घबराहट की शिकार ज्यादातर महिलाएं परित्यक्ता या विधवा हैं जिनके ऊपर अचानक बच्चों की पढ़ाई पालन-पोषण व शादी की जिम्मेदारी आ गई है। वे परिवार से कट गई हैं।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Tue, 17 May 2022 07:02 AM (IST)Updated: Tue, 17 May 2022 07:02 AM (IST)
अकेलापन व उपेक्षा महिलाओं में ला रही उदासी व घबराहट, पुरुषों से चार गुना ज्यादा महिलाएं उदासी की शिकार
मह‍िलाओं में उदासी पुरुषों की तुलना में कई गुना अधिक है। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, गजाधर द्विवेदी। मानसिक रोगों में उदासी (डिप्रेशन) व अति उत्साह (मेनिया) की बीमारी किसी को भी हो सकती है। लेकिन पुरुषों से लगभग चार गुना ज्यादा महिलाएं उदासी व लगभग दो गुना घबराह की शिकार हैं। जिला अस्पताल के बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) में सर्वाधिक महिलाएं उदासी व घबराहट की शिकायत लेकर आ रही हैं। इनकी संख्या लगभग 15 प्रतिशत है। विशेषज्ञों का कहना है कि अकेलापन व परिवार में उपेक्षा के चलते आधी आबादी इस बीमारी का शिकार हो रही है।

loksabha election banner

महिलाओं की अपेक्षा अति उत्साह से ज्यादा पीड़ित पुरुष

विशेषज्ञों के अनुसार उदासी व घबराहट की शिकार ज्यादातर महिलाएं परित्यक्ता या विधवा हैं, जिनके ऊपर अचानक बच्चों की पढ़ाई, पालन-पोषण व शादी की जिम्मेदारी आ गई है। वे परिवार से कट गई हैं। उन्हें कहीं से अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पा रहा है। यह बीमारी पुरुषों में भी होती है लेकिन वे छिपा ले जाते हैं, ताकि उनकी कमजोरी न प्रकट हो जाए। जब वे गहरे डिप्रेशन में चले जाते हैं या अति उत्साह से ग्रसित होकर ज्यादा आक्रामक हो जाते हैं, तब स्वजन उन्हें अस्पताल ले आते हैं। अति उत्साह के रोगियों में पुरुषों की संख्या ज्यादा है। पिछले तीन दिनों में रोज एक-एक रोगी इस बीमारी के आए। इसमें एक भी महिला नहीं थी।

ओपीडी में तीन दिन में आए उदासी के रोगियों की संख्या

तिथि महिला पुरुष

15 मई 08 02

14 मई 07 02

13 मई 09 03

घबराहट के रोगी

तिथि महिला पुरुष

15 मई 05 02

14 मई 03 01

13 मई 03 05

मानसिक रोगों के लिए नियमित ध्यान, प्राणायाम व सुबह खुली हवा में टहलना लाभप्रद है। इससे मन एकाग्र व शांत होता है। विपरीत परिस्थितियों में भी खुद को संभालने की ताकत मिलती है। शारीरिक स्तर पर भी हम स्वस्थ होते हैं क्याेंकि शरीर को पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन मिल जाता है और कार्बनडाइआक्साइड बाहर निकल जाता है। - डा. अमित कुमार शाही, मानसिक रोग विशेषज्ञ, जिला अस्पताल।

योग-ध्यान व व्यायाम से मानसिक बीमारियों को कम किया जा सकता है। लोगों से मिलना-जुलना और बातें करना जरूरी है। ऐसा न होने पर महिलाएं उदासी की चपेट में आ जाती हैं। परिवार के लोगों को भी चाहिए कि महिलाओं पर विशेष ध्यान रखें, उनकी व्यावहारिक कठिनाइयों व जरूरतों पर ध्यान दें और वेवजह उन पर दबाव न डालें। - डा. अलकनंदा, मानसिक रोग विशेषज्ञ, जिला अस्पताल।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.