राम जन्म की कथा सुन भाव विभोर हुए श्रोता
पृथ्वी पर जब-जब असुरों का आतंक बढ़ा है तब-तब ईश्वर ने किसी न किसी रूप में अवतार लेकर उनका संहार किया है। जब धरा पर धर्म के स्थान पर अधर्म बढ़ने लगता है तब धर्म की स्थापना के लिए ईश्वर को आना पड़ता है। भगवान राम ने भी पृथ्वी लोक पर आकर धर्म की स्थापना की।

सिद्धार्थनगर : पृथ्वी पर जब-जब असुरों का आतंक बढ़ा है तब-तब ईश्वर ने किसी न किसी रूप में अवतार लेकर उनका संहार किया है। जब धरा पर धर्म के स्थान पर अधर्म बढ़ने लगता है तब धर्म की स्थापना के लिए ईश्वर को आना पड़ता है। भगवान राम ने भी पृथ्वी लोक पर आकर धर्म की स्थापना की।
यह बातें कथा वाचिका मानस देवी साक्षी ने भनवापुर ब्लाक के धंधरा में चल रही श्री रामकथा के दौरान व्यक्त की। उन्होंने कहा कि आज का व्यक्ति ईश्वर की सत्ता को मानने से भले ही इन्कार कर दें, लेकिन एक न एक दिन उसे ईश्वर की महत्ता को स्वीकार करना ही पड़ता है। कथावाचिका ने श्रीराम जन्म की कथा सुनाते हुए कहा कि जब अयोध्या में भगवान राम का जन्म होने वाला था तब समस्त अयोध्या नगरी में शुभ शकुन होने लगे। भगवान राम का जन्म होने पर अयोध्या नगरी में खुशी का माहौल हो गया। चारों ओर मंगल गान होने लगे। राम जन्म की कथा सुन पांडाल में मौजूद महिलाएं अपने स्थान पर खड़े होकर नृत्य करने लगी।
इस अवसर पर इंद्रजीत उपाध्याय ,गिरीश श्रीवास्तव, मनोज चौधरी, संतोष कसौधन ,राजू कोटेदार ,प्रधान पवन कुमार ,रामजी मौर्य, दिनेश ,अनिल श्रीवास्तव आदि लोग मौजूद रहे।
सीता जन्म का किया गया सजीव मंचन
सिद्धार्थनगर : भनवापुर ब्लाक के नावडीह में चल रहे रामलीला मंचन में दूसरे दिन राम व सीता जन्म लीला का सजीव मंचन हुआ। दर्शक श्रोता रामलीला का सजीव मंचन देखकर भाव विभोर हो उठे। लीला के बीच में संगीत की धुनों पर कलाकारों के साथ दर्शक भी झूम उठे। दिखाया गया कि राजा जनक के दरबार में प्रजा पहुंचकर कहती है कि महाराज राज्य में अकाल पड़ा हुआ है। राजा जनक दरबार में ऋषियों से मंत्रणा करते हैं। अकाल दूर करने के लिए ऋषिगण राजा को सोने का हल चलाने का सुझाव देते हैं। राजा जनक रानी को साथ लेकर खेतों में सोने का हल चलाते हैं। इस दौरान खेतों में हल रुक जाता है। वहीं पर सीता का जन्म होता है।
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