बब्बर शेर का विसरा जांच के लिए भेजा गया IVRI बरेली, इस बात को लेकर गहराया मौत का राज
गोरखपुर के शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणी उद्यान में बब्बर शेर भरत की मौत हो गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मिर्गी का दौरा मौत का कारण बताया गया है। विसरा को बरेली और भोपाल भेजा गया है ताकि मौत के कारणों की पुष्टि हो सके। चिड़ियाघर के अन्य जानवरों के ब्लड सैंपल भी जांच के लिए भेजे गए हैं। आधुनिक जांच सुविधाओं की कमी को उजागर किया गया है।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणी उद्यान में रविवार को बब्बर शेर भरत की मौत के बाद उसका विसरा इंडियन वेटनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (आइवीआरआइ), बरेली भेजा गया है। इसके बाद सैंपल को राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान, भोपाल भी भेजा जाएगा ताकि मौत की पुष्टि वैज्ञानिक स्तर पर हो सके।
भरत की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत की वजह मिर्गी का दौरा आना बताया गया है। रिपोर्ट के बाद डाक्टरों ने उसका विसरा संरक्षित कर लिया था। अब यह जांचा जाएगा कि भरत के शरीर में कोई वायरस या संक्रामक रोग तो नहीं था। मई 2024 में भी चिड़ियाघर में वन्यजीवों की लगातार मौत के बाद बाघिन शक्ति का सैंपल भोपाल भेजा गया था।
वहां से पुष्टि हुई थी कि उसकी मौत बर्ड फ्लू से हुई थी। यही कारण है कि भरत की मौत के मामले में भी सतर्कता बरती जा रही है। भरत को इटावा लायन सफारी से लाया गया था।
रविवार सुबह उसे अचानक मिर्गी का दौरा पड़ा और वह नाइट सेल में गिर पड़ा। सूचना पर डाक्टर पहुंचे और इलाज शुरू किया। दोपहर तक उसकी सांसें सामान्य हो गई थीं, लेकिन शाम चार बजे उसकी मौत हो गई।
दूसरे जानवरों का भी भेजा ब्लड सैंपल
चिड़ियाघर में बब्बर शेर की मौत के बाद आसपास के बाड़े में रह रहे वन्यजीवों का भी ब्लड सैंपल आइवीआरआइ, बरेली भेजा गया है। चिड़ियाघर के उप निदेशक एवं मुख्य वन्यजीव चिकित्सक डा. योगेश प्रताप सिंह ने बताया कि बाघ, तेंदुआ और शेरनी गौरी के खून का सैंपल बरेली भेजा गया है। हालांकि तीनों पूरी तरह स्वस्थ हैं।
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बच सकती थी जान पर नहीं थी सीटी स्कैन व एमआरआइ की सुविधा
चिड़ियाघर में बब्बर शेर भरत की मौत मिर्गी के दौरे से हुई, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि अगर समय रहते सीटी स्कैन या एमआरआइ जांच हो जाती, तो उसकी जान बचाई जा सकती थी। भरत को पहले भी मिर्गी के दौरे आ चुके थे।
पशु चिकित्सक उसके लक्षणों के आधार पर इलाज कर रहे थे, लेकिन चिड़ियाघर में आधुनिक जांच सुविधा का अभाव है। मिर्गी जैसे न्यूरोलाजिकल रोग की पुष्टि के लिए सीटी स्कैन और एमआरआइ आवश्यक माने जाते हैं।
भरत को मई 2024 में इटावा लायन सफारी से गोरखपुर लाया गया था, लेकिन वहां भी यह सुविधा उपलब्ध नहीं है। इस संबंध में विशेषज्ञों का कहना है चिड़ियाघर में रह रहे वन्यजीवों की जांच के लिए आधुनिक उपकरण प्रदेश में कहीं नहीं है। वन विभाग के पास इस तरह के उपकरणों की कमी अब बड़ी चुनौती बनती जा रही है।
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