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Railway: छोटे प्लेटफार्म से लंबी नहीं हो पा रहीं ट्रेनें, टॉयलेट में खड़े होकर सफर करने को मजबूर हैं यात्री

प्लेटफार्मों की लंबाई कम होने पर गोरखधाम और पुष्पक एक्सप्रेस में अधिकतम 24 कोच नहीं लग पा रहे हैं। ऐसे में यात्रियों का सफर मुश्किल हो रहा है। त्योहारों व गर्मी की छुट्टियों के चलते भीड़ भी बढ़ गई है।

By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandPublished: Thu, 23 Mar 2023 11:44 AM (IST)Updated: Thu, 23 Mar 2023 11:44 AM (IST)
Railway: छोटे प्लेटफार्म से लंबी नहीं हो पा रहीं ट्रेनें, टॉयलेट में खड़े होकर सफर करने को मजबूर हैं यात्री
छोटे प्लेटफार्म से लंबी नहीं हो पा रहीं ट्रेनें। (फाइल)

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। छोटे प्लेटफार्मों के चलते पूर्वोत्तर रेलवे रूट पर चलने वाली ट्रेनें लंबी नहीं हो पा रहीं। त्योहारों और गर्मी की छुट्टियों में भीड़ बढ़ने के बाद भी गोरखपुर से बनकर प्रतिदिन चलने वाली लगभग 19 एक्सप्रेस ट्रेनों में भी लिंक हाफमैन बुश (एलएचबी) के अतिरिक्त कोच नहीं लग पा रहे। यह ट्रेनें 22 कोच से ही चल रही हैं, प्लेटफार्मों की लंबाई कम होने के चलते ट्रेनों में अधिकतम 24 कोच नहीं लग पा रहे। गोरखधाम और पुष्पक एक्सप्रेस में 24 कोच लगाने का प्रस्ताव भी अधर में है। भारतीय रेलवे स्तर पर उत्तर मध्य व उत्तर रेलवे के निर्धारित रूटों पर गिनती की ही 24 कोच वाली ट्रेनें हैं।

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पूर्वोत्तर रेलवे रूट पर इनकी संख्या शून्य है। ट्रेनें 24 आइसीएफ (पुराने) कोच से तो चल जा रहीं, लेकिन एलएचबी के 22 से अधिक कोच नहीं लग पा रहे। 24 कोच लगाने पर ट्रेन की लंबाई के सापेक्ष प्लेटफार्म छोटे पड़ जा रहे हैं। अधिकतर प्लेटफार्मों पर तो आइसीएफ के 24 कोच ही प्लेटफार्मों से बाहर हो जाते हैं। एलएचबी लगने पर तो यात्रियों की परेशानी और बढ़ जाएगी। संरक्षा प्रभावित होने की आशंका रहती है। आइसीएफ के कोच 22 मीटर तो एलएचबी 23.54 मीटर लंबे होते हैं। गोरखपुर, लखनऊ और छपरा आदि कुछ बड़े जंक्शन को छोड़ दिया जाए तो अधिकतर स्टेशनों के प्लेटफार्म आइसीएफ कोच के मानक के अनुरूप ही बने हैं। बहुधा प्लेटफार्मों पर तो आइसीएफ के 24 कोच वाली ट्रेनें भी खड़ी नहीं हो पातीं।

टॉयलेट में खड़े होकर सफर करने को मजबूर हैं यात्री

प्लेटफार्म से ट्रेन के बाहर होने पर यात्रियों को विशेषकर महिलाओं, बुजुर्गों और मरीजों को कोचों में चढ़ने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। यात्रियों की भीड़ बढ़ी है तो रेलवे प्रशासन चाहकर भी ट्रेनों में अतिरिक्त कोच नहीं लगा पाया है। गोरखधाम एक्सप्रेस जैसी महत्वपूर्ण ट्रेन के जनरल कोचों में पैर रखने की जगह नहीं मिल रही। दिल्ली जाने वाले यात्रियों को ट्रेनों के टॉयलेट में खड़े होकर सफर करना पड़ रहा। गोरखपुर-दिल्ली रूट पर न नियमित ट्रेनों की संख्या बढ़ पा रही और न अतिरिक्त कोच लग पा रहे हैं। गोरखपुर जंक्शन से ही रोजाना एक लाख लोग आवागमन कर रहे हैं।

क्या कहते हैं अधिकारी

पूर्वोत्तर रेलवे के सीपीआरओ पंकज कुमार सिंह ने बताया कि सभी महत्वपूर्ण और हाई डिमांड ट्रेनें पूरी क्षमता के साथ चलाई जा रही हैं। आइसीएफ कोच से चलने वाली ट्रेनें 24 कोच तथा एलएचबी कोच से चलने वाली ट्रेनें 22 कोच की फुल कैपेसिटी के साथ चल रही हैं।

ऊंचे होंगे सभी प्लेटफार्म बनेंगे 650 मीटर लंबे

पूर्वोत्तर रेलवे के अधिकतर प्लेटफार्म 400 से 550 मीटर लंबे हैं। एलएचबी कोचों के लिए कम से कम 600 मीटर लंबे प्लेटफार्म की जरूरत होती है। रेलवे प्रशासन ने यात्रियों की सुविधा के लिए सभी प्लेटफार्मों को उच्चीकृत करने व फुल लेंथ के साथ अधिकतम 650 मीटर लंबा बनाने का प्रस्ताव तैयार किया है। पूर्वोत्तर रेलवे में छोटे-बड़े कुल 505 रेलवे स्टेशन हैं। गोरखपुर रूट पर ही प्रतिदिन 150 ट्रेनें चलती हैं।

कैंट स्टेशन पर सिग्नल फेल, विलंबित हुईं ट्रेनें

कैंट रेलवे स्टेशन पर बुधवार को शाम पांच बजे के आसपास कुछ देर के लिए सिग्नल फेल हो गया। इसके चलते गोरखपुर-देवरिया रूट पर जाने वाली गाड़ियां जहां थीं, वहीं रुक गईं। ट्रेनें कुसम्ही, गौरीबाजार और चौरी चौरा स्टेशनों पर खड़ी रहीं। गोरखपुर आने वाली आधा दर्जन ट्रेनों का संचालन प्रभावित हुआ। मौर्य और बाघ एक्सप्रेस दो से तीन घंटे तो शालीमार, अहमदाबाद-गोरखपुर और दादर एक्सप्रेस चार घंटे से भी अधिक देरी से गोरखपुर पहुंचीं। जानकारों के अनुसार दिन के समय मालगाड़ियों को पास कराने के चक्कर में भी कुछ यात्री ट्रेनें विलंबित हुईं। 02569 नंबर की दरभंगा-दिल्ली क्लोन स्पेशल एक्सप्रेस गोरखपुर से करीब चार घंटे की देरी से रवाना हुई। यात्री समय से पहुंचने के बाद भी स्टेशन पर घंटों इंतजार करते रहे।


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