लीच थेरेपी: प्लास्टिक सर्जरी में अनोखा इलाज, रोगियों का खराब खून पी रहे जोंक, दूर कर रहे रोग
बीआरडी मेडिकल कॉलेज में प्लास्टिक सर्जरी के दौरान लीच थेरेपी का उपयोग बढ़ रहा है। यह सस्ती और सुरक्षित होने के कारण लोकप्रिय है। जोंक प्राप्त करने में कठिनाई को दूर करने के लिए, ठीक हो चुके मरीज जोंक उपलब्ध करा रहे हैं, जिससे यह थेरेपी और भी सुलभ हो गई है।

प्लास्टिक सर्जरी के बाद खराब व गंदे खून वाले हिस्से पर लगाई जा रही जोंक
गजाधर द्विवेदी, गोरखपुर। बीआरडी मेडिकल कालेज के सर्जरी विभाग में प्लास्टिक सर्जन डा. नीरज नाथानी ने प्लास्टिक सर्जरी के रोगियों पर लीच थेरेपी (जाेंक चिकित्सा) का प्रयोग शुरू किया है। इस थेरेपी में जोंक को खराब व गंदे खून वाले हिस्से पर लगा दिया जाता है।
जोंक गंदा खून पीकर रोगियों को स्वास्थ्य प्रदान कर रही है। ऐसे कुछ रोगियों का दोबारा छोटा आपरेशन करने की जरूरत पड़ जाती थी, इससे उन्हें राहत मिल गई है। सर्जरी वाले अंग के जिस हिस्से में नीला या काला धब्बा दिखने लगता है, वहां जोंक लगा दी जाती है। पांच-छह बार जोंक थेरेपी से खराब व गंदा खून खत्म हो जाता है और रक्त संचार सामान्य हो जाता है।
खासकर कटे अंगों को पुन: जोड़ने में यह समस्या आती है। शरीर से कटकर अलग हो चुके अंग को जब पुन: जोड़ा जाता है तो अनेक रोगियों में उस अंग में या उसके कुछ हिस्से में कालापन या नीलापन दिखने लगता है। विशेषज्ञों के अनुसार इसका मतलब वहां गंदा खून जमा हो गया है।
ऐसे में या तो पुन: छोटा आपरेशन कर उस खून काे निकाला जाए या लीच थेरेपी से उसे खत्म कर दिया जाए। इसमें लीच थेरेपी बहुत मददगार साबित हो रही है। वहां तीन-चार जोंकें लगा दी जाती हैं। वे खून पीने लगती हैं। जब खून पी लेती हैं तो अपने आप नीचे गिर जाती है।
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ऐसा पांच-छह बार करने से वहां से गंदा खून खत्म हो जाता है और रक्त प्रवाह सही हो जाता है। इस थेरेपी से रक्त का जमाव या थक्का बनने की समस्या भी दूर हो जाती है। सूजन कम हाे जाती है। रोगियों को राहत मिल जाती है।
प्लास्टिक सर्जरी में लीच थेरेपी बहुत कारगर साबित हो रही है। सस्ता, सुरक्षित व लाभदायक थेरेपी होने से इसका उपयोग बढ़ रहा है। जोंक के मिलने में थोड़ी कठिनाई आती है। इस कार्य में वे रोगी भी मदद कर रहे हैं जो लीच थेरेपी से ठीक हो चुके हैं। उनमें से कुछ रोगी जोंक उपलब्ध करा देते हैं।
-डा. नीरज नाथानी, प्लास्टिक सर्जन बीआरडी मेडिकल काॅलेज
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