सर्दियों में कोहरा नहीं रोक सकेगा ट्रेनों की रफ्तार, सुरक्षा देगा 'कवच'
गोरखपुर में 'कवच' प्रणाली लगने से अब कोहरे में भी ट्रेनों की रफ्तार पर असर नहीं पड़ेगा। लोको पायलट केबिन में ही सिग्नल देख सकेंगे। यह सिस्टम ऑटोमेटिक ब ...और पढ़ें

आटोमेटिक ब्लाक सिग्नल के साथ कार्य करता है 'कवच'। प्रतीकात्मक
जागरण संवाददाता, गोरखपुर। 'कवच' ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नल सिस्टम के साथ मिलकर कार्य करता है। आटोमेटिक ब्लाक सिग्नल सिस्टम लगने के साथ ही कवच सिस्टम भी लगना आरंभ हो गया है। लोको पायलट अपने केबिन में सिग्नल लाइव देखते रहेंगे। कोहरे में भी ट्रेनों का संचालन प्रभावित नहीं होंगा। ट्रेनें निर्बाध गति से चलती रहेंगी। बाराबंकी-छपरा रूट पर आटोमेटिक ब्लाक सिग्नल सिस्टम भी तेजी के साथ लग रहा है।
इंजन के कैब, सिग्नल व पटरियों पर लगेगा 'कवच'
कवच सिस्टम प्रत्येक एक किलोमीटर पर लग रहे आटोमेटिक ब्लाक सिग्नल सिस्टम के सिग्नल, पटरियों, इंजन के कैब और इंजन के नीचे तथा स्टेशन मास्टर के पैनल में लगाया जाएगा। जो एक सेक्शन में चलने वाली ट्रेन की गति समेत इंजन और सिग्नल की प्रत्येक गतिविधियों को रीड (पढ़ता) करता रहेगा। रेड सिग्नल होने, निर्धारित से अधिक गति होने, लोको पायलटों की सक्रियता नहीं होने तथा एक सेक्शन यानी एक किमी के अंदर दूसरी ट्रेन के आते ही कवच सक्रिय हो जाएगा। सबसे पहले वह लोको पायलटों और स्टेशन मास्टर को अलर्ट करेगा। फिर इमरजेंसी ब्रेक लगा देगा।
रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने स्वयं किया है परीक्षण
कवच सिस्टम पूरी तरह स्वदेशी रेडियो फ्रीक्वेंसी तकनीक पर तैयार किया गया है। रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने स्वयं कवच का परीक्षण किया है। चार मार्च, 2022 को रेलमंत्री ने ट्रेन में बैठकर कवच प्रणाली का परीक्षण किया था। परीक्षण की सफलता के बाद रेल मंत्रालय ने पूर्वोत्तर रेलवे सहित भारतीय रेलवे स्तर पर इस प्रणाली का प्रयोग करने के लिए अनुमति प्रदान कर दी है।

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