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    Gorakhpur News: जेल में मां के रहने वाली बच्चियों को मिला शिक्षा का अधिकार, 42 का स्कूल में हो चुका है दाखिला

    Updated: Sun, 20 Jul 2025 07:47 AM (IST)

    गोरखपुर जेल प्रशासन ने महिला कैदियों के बच्चों के भविष्य को संवारने की पहल की है। चार से छह साल की तीन बच्चियों को स्कूल में नामांकित किया गया है। डीआइजी जेल डॉ. रामधनी ने बच्चियों से मुलाकात कर उनका हौसला बढ़ाया। जेल में महिला बंदियों के साथ रह रहे बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं।

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    स्कूल जाने वाले बच्चियों से बातचीत करते डीआइजी जेल डा. रामधनी (दाएं से दूसरे)- सौ. इंटरनेट मीडिया

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। महिला बंदियों के साथ रहने वाले बच्चों के भविष्य को संवारने की दिशा में जेल प्रशासन ने मानवीय पहल की है। चार से छह साल की तीन बच्चियों का स्कूल में नामांकन कराकर उन्हें नियमित पढ़ाई के लिए स्कूल भेजा जा रहा है। डीआइजी जेल (मुख्यालय) डा. रामधनी ने शनिवार को इन बच्चियों से मुलाकात कर उनका हौसला बढ़ाया।

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    जिला कारागार में 108 महिला बंदी हैं, जिनमें सात के साथ उनके छोटे बच्चे भी रह रहे हैं। इनमें चार लड़कियां और तीन लड़के शामिल हैं। जेल प्रशासन ने चार से छह साल की उम्र वाली तीन बच्चियों का स्कूल में नामांकन कराया है। इन बच्चियों को जेल के सुरक्षाकर्मी प्रतिदिन स्कूल ले जाने के साथ ही ले आते हैं।यह पहल महिला बंदियों के बच्चों को मुख्यधारा में लाने और शिक्षा से जोड़ने के उद्देश्य से की गई है।

    शनिवार को डीआइजी जेल डा. रामधनी ने गोरखपुर जेल का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने बच्चियों से बातचीत की, उनकी पढ़ाई के बारे में जानकारी ली और उन्हें चाकलेट दिया। जेल अधीक्षक दिलीप पांडेय और अन्य अधिकारियों को निर्देश दिया कि बच्चों को जिम्मेदारी से रोजाना स्कूल भेजा जाए। डीआइजी ने बताया कि प्रदेश की जेलों में 59 बच्चे अपनी मां के साथ रह रहे हैं, जिनमें से 42 का दाखिला स्कूलों में कराया जा चुका है। शेष बच्चों के नामांकन की प्रक्रिया चल रही है।

    जेल में बच्चों के लिए विशेष व्यवस्था

    जिला कारागार में महिला बंदियों के साथ रह रहे बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं। इसमें नियमित टीकाकरण और स्वास्थ्य परीक्षण कराना।खेल-कूद व बाहरी गतिविधियां का ध्यान देना।

    धार्मिक स्थलों के साथ ही पार्क में भ्रमण कराना। शैक्षणिक सामग्री उपलब्ध कराने के साथ ही नामांकन कराना।इस तरह की इसलिए की जाती है ताकि जेल में पल रहे बच्चे मां की सजा के बोझ तले अपना बचपन न खो दें।