चलती ट्रेन में युवाओं के सपनों को मिली ऊंची उड़ान, उद्यमिता की राह दिखा गई 'जागृति यात्रा'
आजादी के अमृत उत्सव वर्ष के चलते इस बार अमृत यात्रा नाम से जागृति यात्रा का सफर पूरा हुआ। 15 दिन की यात्रा में सैकड़ों युवाओं के सपनों को उड़ान मिली तो इस सफर में कइयों के जीवन को नई दिशा मिल गई।

गोरखपुर, डॉ. राकेश राय। वह कोई आम ट्रेन नहीं थी और न ही उसके यात्री आम थे। यात्रा का लक्ष्य भी केवल भौतिक रूप से गंतव्य तक पहुंचाना नहीं बल्कि युवाओं की सोच का दायरा बढ़ाना था। देश निर्माण के लिए युवाओं को उद्यमिता की राह दिखाना था। हम बात कर हैं उस 'जागृति यात्रा' की जिसे आजादी के अमृत उत्सव के चलते इस बार अमृत यात्रा का नाम मिला था और जिसका सफर आठ जनवरी को पूरा हो गया। इसी के साथ पूरा हुआ यात्रा का उद्देश्य भी। मुंबई से शुरू होकर वहीं समाप्त हुई इस यात्रा में युवाओं के सपनों को उड़ान मिली तो 8000 किलोमीटर के सफर में कइयों के जीवन को नई दिशा मिल गई। ऐसा इसलिए कि 500 युवाओं का एक कुनबा पंद्रह दिन की जिस यात्रा पर निकला था, वह दुनिया को देखने-समझने का उनका नजरिया बदलने वाला भर ही नहीं था, उनकी जिंदगी और भविष्य की दिशा तय करने वाला भी था।
यह थी यात्रा की खूबी
मुंबई से शुरू होकर और फिर देश भर का भ्रमण कर वहीं पहुंचकर सम्पन्न होने वाली यात्रा की खूबी यह थी कि इसमें शामिल नौजवान अलग-अलग जगहों और अलग सामाजिक-सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के थे। यानी यात्रा में शामिल होने से पहले सभी अनजान थे एक-दूसरे के लिए। ऐसे में सत्संग से उनके जीवन में उद्यमिता व करियर विकास की नई कहानी गढ़ी जानी थी और गढ़ी भी गई। कन्याकुमारी, मदुरै, वाइजेक, बंगुलरु, नालंदा, देवरिया, दिल्ली, तिलोनिया, अहमदाबाद जैसी जगहों पर ठहराव के साथ बढ़ी इस यात्रा में युवाओं को तमाम रोल-माडल मिले और उनकी सफलता की कहानी से अपने जीवन को नई दिशा देने की राह मिली। यात्रा में शामिल तकनीक, वित्त, कृषि, संस्कृति, ऊर्जा क्षेत्रों की विशेषज्ञता लिए युवाओं को एक-दूसरे का साथ मिला तो आगे साथ मिलकर उद्यमिता को लेकर काम करने की योजना बनाने का अवसर भी।
अद्भुत था चेयरकार सेशन
ट्रेन पूरी रफ्तार से पटरी पर दौड़ रही थी, उसी रफ्तार से चल रहा था उद्यमिता की योजनाओं को लेकर युवाओं का दिमाग भी। जागृति यात्रा का चेयरकार सेशन, उन्हें ऐसा करने का अवसर दे रहा था। 15 डिब्बों वाली ट्रेन में सबसे पीछे लगे एसी चेयरकार में यात्रा के आयोजकों ने युवाओं को यह अवसर दिया था। चेयरकार सेशन में अलग-अलग समय पर युवाओं के अलग-अलग ग्रुप यात्रा के दौरान मिले रोल माडल और उनके कार्यों की समीक्षा कर रहे थे और उसमें बेहतरी को लेकर अपनी योजनाएं साझा कर रहे थे। इस दौरान उन्हें विशेषज्ञों के सुझाव भी मिल रहे थे। यह सिलसिला पूरे 15 दिन सुबह, दोपहर, शाम और रात चारों पहर चला।
22 हजार आवेदनों में से चुने गए 500 युवा यात्री
जागृति यात्रा के लिए युवा यात्रियों का चुनाव बाकायदा एक प्रक्रिया के तहत किया गया। 24 दिसंबर से शुरू होने वाली यात्रा के लिए आनलाइन आवेदन आमंत्रित करने की प्रक्रिया जून-2022 से ही शुरू हो गई थी। इसके लिए 22 हजार युवाओं के आवेदन आए। आवेदन पत्र में युवाओं से उनकी अकादमिक योग्यता की जानकारी ही नहीं मांगी गई थी बल्कि करियर को लेकर भविष्य की योजना, रोल-माडल, समाज व देश के विकास के लिए अपनी सोच को साझा करने के लिए भी कहा गया था।
ऑनलाइन साक्षात्कार के आधार पर हुआ यात्रियों का चयन
आवेदन-पत्र से मिली जानकारी और आनलाइन साक्षात्कार के आधार पर उनमें से 500 यात्रियों का चयन किया गया। महिलाओं को प्राथमिकता देते हुए यात्रियों में 35 प्रतिशत उन्हें जगह दी गई। नौ यात्री विदेश के भी रहे। यात्रा से पहले सभी यात्री एक-दूसरे के लिए अंजान थे। आपस में उनकी जान-पहचान को सहज बनाने और भविष्य की योजनाओं को गढ़ने के लिए सात-सात यात्रियों का एक समूह व 21 यात्रियों का एक क्लस्टर बनाया गया था। हर क्लस्टर में एक तिहाई महिलाओं को जगह दी गई थी। मानिटरिंग के लिए यात्रा प्रबंधन की ओर से फैसेलिटेटर की जिम्मेदारी तय की गई थी।
यात्रियों ने साझा किए अनुभव
ग्वालियर के तन्मय जैन ने कहा कि उन्हें ऐसा उद्यम लगाना है, जिससे आमदनी तो हो ही, समाज को भी कुछ दिया जा सके। इसके लिए उन्हें मदुरै के अरविंद आई केयर जैसा रोड माडल यात्रा के दौरान मिला। दरभंगा के साफ्टवेयर इंजीनियर सौरभ झा ने बताया कि उन्हें अपना स्टार्टअप शुरू करना है, जिसके लिए यात्रा के दौरान मिले अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञों से मिली राय से जमीन तैयार हो गई है। कोल्हापुर के विनायक ने कहा कि इस यात्रा ने देश को लेकर उनकी जानकारी का दायरा बढ़ाया है। कन्नूर के सीए राहुल के अनुसार उन्हें अपनी सोच को बढ़ाने का अवसर यात्रा ने दिया है। नागपुर के पराग कुमार, औरंगाबाद के अंकुर अनपट, हैदराबाद के सूर्या, यूके के पावेल, नीदरलैंड की इंजीनियर एंजिलीना, कोलकाता के प्रोनीत राय, वापी के अजीम दिनौती, सतारा के रेयान आदि भी यात्रा के दौरान सोच और उद्यमिता के बढ़े दायरे से उत्साहित नजर आए।
क्या कहते हैं जागृति यात्रा के संस्थापक
जागृति यात्रा के संस्थापक शशांक मणि त्रिपाठी ने कहा कि इतिहास गवाह है कि यायावरी से हमारा देश परिभाषित हुआ है और इसके निर्माण की रूपरेखा तैयार हुई है। जागृति यात्रा भी इसी तरह का एक प्रयास है। इसकी शुरुआत 1997 में हुई थी। हालांकि उसके बाद 11 वर्ष तक यात्रा का संचालन नहीं हो सका लेकिन 2008 से शुरू हुआ यात्रा का क्रम अनवरत जारी है। अबतक कुल 15 जागृति यात्रा का आयोजन किया जा चुका है। यात्रा का उद्देश्य युवाओं के जरिये उद्यम से नए भारत का निर्माण है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।